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2 घंटे पहले
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मैच की शुरुआत में फास्ट बॉलर्स की स्विंग रोमांच पैदा करती है। लेकिन गेंद पुरानी होने के साथ ही स्विंग भी सीमित हो जाती है। वक्त के साथ क्रिकेटर्स ने इसका भी तोड़ निकाल लिया है। वो 10-15 ओवर पुरानी बॉल से भी स्विंग कराने लग गए।
पर स्विंग बॉलिंग सिर्फ स्किल नहीं है, इसके पीछे भी साइंस है। साइंस ऑफ क्रिकेट में आज बात थोड़ी पुरानी गेंद से स्विंग की।
स्विंग बॉलिंग के पीछे है एयरोडायनेमिक्स
प्लेन का उड़ना, रॉकेट का टेकऑफ या फिर सड़क पर दौड़ती कार… इन सबके पीछे है एयरोडायनेमिक्स। एयरोडायनेमिक्स यानी चीजों के इर्द-गिर्द गुजरती हवा कैसा बर्ताव करती है। यही एयरोडायनेमिक्स किसी फास्ट बॉल की गेंद को स्विंग कराती है। ये होता है गेंद की रफ्तार, उसकी सतह और सतह से टकराने वाली हवा के चलते।
साइंस से पहले जानिए स्विंग क्या है, कितनी तरह की होती हैं?
तेज रफ्तार वाली वो गेंदें जो हवा में और पिच पर टप्पा खाने के बाद अपनी दिशा बदल देती हैं, इसे ही स्विंग बॉलिंग कहते हैं स्विंग दो तरह की होती हैं। पहली इनस्विंग और दूसरी आउट स्विंग। नीचे दिए ग्राफिक्स से समझिए इनस्विंग और आउट स्विंग को।

क्या इन स्विंग-आउट स्विंग के अलावा भी कोई स्विंंग होती है?
हां, रिवर्स स्विंग। ये आमतौर पर काफी पुरानी क्रिकेट बॉल से होती है। करीब 35 ओवर पुरानी बॉल से। इसमें इन-स्विंग बॉल करने वाले बॉलर की गेंद आउट स्विंग होती है और आउट स्विंग करने वाले की इन स्विंग।
ये कबसे शुरू हुई इसका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है। क्रिकेट की दुनिया में रिवर्स स्विंग का जनक पाकिस्तानी फास्ट बॉलर सरफराज नवाज को माना जाता है। कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि सरफराज नवाज ने ये स्विंग एक लोकल बॉलर से सीखी। उन्होंने ये आर्ट इमरान खान को सिखाई। इसके बाद इसे वसीम अकरम, वकार यूनुस और फिर दुनियाभर के बॉलर्स इस्तेमाल करने लगे।
*रिवर्स स्विंग पर हम बात करेंगे साइंस ऑफ क्रिकेट के आने वाले एपिसोड्स में।

आज बात स्विंग के साइंस की, इसे 4 ग्राफिक्स से समझिए

1. जब गेंद 10-12 ओवर पुरानी हो जाती है तो उससे स्विंग हासिल करने के लिए बॉलर्स एक ट्रिक अपनाते हैं। वो गेंद की सतह पर पसीना लगाकर कपड़ों से रगड़ते हैं। ताकि बॉल की सतह चमकती रहे। बॉलर सीम के दोनों तरफ की सतह पर ऐसा नहीं करते। वो एक सतह को शाइन करते हैं और दूसरी को रफ रहने देते हैं। इसी ट्रिक के बाद शुरू होती है स्विंग की साइंस यानी एयरोडायनेमिक्स।

2. बॉलर जब शाइनी और रफ सतह वाली बॉल फेंकता है तो वह हवा को चीरती हुई गुजरती है। दोनों सतह से हवा के गुजरने का तरीका भी अलग-अलग हो जाता है। हवा खुरदुरी सतह से टकराती है तो बहाव में रुकावट आती है, इसे टर्बुलेंट फ्लो कहते हैं। चमकदार सतह पर हवा का बहाव आसान तरीके से होता है, इसे लेमिनार फ्लो कहते हैं।

3. खुरदुरी सतह पर हवा का रुकावट वाला बहाव और चमकदार सतह पर आसान बहाव, ये प्रक्रिया एक अंतर पैदा करती है। खुरदुरी सतह को हवा देर में छोड़ती है और शाइनी सतह को जल्दी।

ऊपर की तस्वीर में गेंद फोर्स की वजह से टप्पा खाकर आउट स्विंग होगी। नीचे वाली तस्वीर में यही फोर्स इन स्विंग की वजह बनेगी।
4. जब हवा दोनों सतह को अलग-अलग वक्त पर छोड़ती है तो एक फोर्स पैदा करता है। यह फोर्स चमकदार सतह से खुरदुरी सतह की ओर लगता है और इस फोर्स की वजह से टप्पा खाने के बाद गेंद खुरदुरी सतह की ओर मुड़ जाती है। इस प्रक्रिया को क्रिकेट की भाषा में आउट स्विंग कहते हैं। अगर खुरदुरी यानी रफ सतह उल्टी दिशा में रख दी जाए तो बॉल इन स्विंग होती है।
स्विंग के साइंस के बाद बात अब स्विंग के मास्टर्स की
यहां हम दो गेंदबाजों का जिक्र कर रहे हैं। एक ही वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज ग्लेन मैकग्राथ। जिन्होंने सचिन को 13 बार आउट किया। दूसरे हैं इंडिया के लिए वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज जहीर खान। उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी कप्तान ग्रीम स्मिथ को 14 बार आउट किया।
जहीर खान इंडिया के लिए 2003, 2007 और 2011 का वर्ल्ड कप खेले। उन्होंने 23 मैचों में 44 विकेट लिए। 6 फीट से ज्यादा हाईट। मजबूत शरीर, अच्छा रनअप उन्हें बॉलिंग के वक्त अच्छा मोमेंटम देता था। रनअप के आखिर में थोड़ी सी जम्प से गेंदबाजी में फोर्स भी जुड़ता था। इसके अलावा वो सीम और सरफेस का इस्तेमाल भी काफी बेहतर करते थे। इस वजह से 140-145 kmph रफ्तार पर भी स्विंग मिलती थी।

दोनों खिलाड़ियों के ये आंकड़े सिर्फ वर्ल्ड कप मैचों के हैं।
ग्राफिक्स: अंकुर बंसल/राहुल शर्मा
साइंस ऑफ क्रिकेट में कल बात रनिंग बिट्वीन द विकेट्स के साइंस की

क्रिकेट में बड़े स्कोर के लिए चौकों और छक्कों से ज्यादा जरूरी है रनिंग बिटवीन द विकेट्स। बड़ी साझेदारियों के पीछे सिंगल्स और डबल्स का बड़ा रोल होता है। इसके लिए क्या सिर्फ फिटनेस ही काफी है या फिर इसमें भी छिपा है कोई सांइस? जानेंगे साइंस ऑफ क्रिकेट के अगले एपिसोड में।