एक घंटा पहले
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क्रिकेट का कोई भी बड़ा टूर्नामेंट हो, भारत-पाकिस्तान मुकाबले के बिना वो अधूरा है। इस मुकाबले का दर्शक बेसब्री से इंतजार करते हैं। वर्ल्ड कप के दौरान ये क्रेज और बढ़ जाता है। पहली बार भारत-पाक इस टूर्नामेंट में 1992 में आमने-सामने आए थे। तब से लेकर अब तक दोनों टीम के चेहरे बदले लेकिन फैंस के बीच इस मैच को लेकर क्रेज आज भी बरकरार है।
दैनिक भास्कर की खास सीरीज इंडिया का वर्ल्ड कप कनेक्शन में आज बात होगी भारत और पाकिस्तान के बीच हुए वर्ल्ड कप मुकाबलों की। 12 में से 10 वर्ल्ड कप स्टेडियम में बैठकर देख चुके हमारे एक्सपर्ट अयाज मेमन अपनी यादों के पिटारे से निकाल रहे हैं ऐसे किस्से, जो हर सवाल का जवाब हैं।
सवाल: भारत और पाकिस्तान के बीच 1990 से आज तक कुल 7 वनडे वर्ल्ड कप मैच हुए हैं और पाकिस्तान एक भी मुकाबला नहीं जीत पाया है। ये कैसा हर्डल है जो पाकिस्तान आज तक पार नहीं कर सका है ?
अयाज मेमन: बिलकुल, ऐसे मुकाबलों में प्रेशर दोनों तरफ की टीमों पर होता है और उस दिन कौन-सी टीम मैच जीतती है वो ये बताता है कि कौन-सी टीम इस प्रेशर सिचुएशन को बेहतर संभालती है। मैच का नतीजा दो चीजों पर निर्भर करता है, पहला कि टीम का टैलेंट पूल कैसा है और दूसरा कि टीम किस प्रकार से एकजुट होकर प्रेशर सिचुएशन को संभालती है।
सवाल: इमरान खान की अगुवाई में 1992 का वर्ल्ड कप पाकिस्तान फाइनल तक पहुंचा और जीता भी, कैसे?

इमरान की कप्तानी में 1992 का वर्ल्ड कप जीता था पाकिस्तान।
अयाज मेमन: 1992 वर्ल्ड कप में भारत ने पाकिस्तान को 43 रनों से हराया और पूरे लीग मैचों में पाकिस्तान अपने बुरे प्रदर्शन के कारण लगभग बाहर ही हो गई थी। लेकिन इमरान खान की अगुवाई में पाकिस्तान टीम ने कमबैक करते हुए टूर्नामेंट के बाकी मुकाबलों में अच्छा प्रदर्शन किया और वर्ल्ड कप में चैंपियन बना। इसी वर्ल्ड कप के बाद से ही भारत-पाकिस्तान के मुकाबले का क्रेज शुरू हुआ।
सवाल: 1996 का एक मुकाबला जिसे भुलाया नहीं जा सकता उसके बारे में कुछ बताएं।
अयाज मेमन: एक तरह से फिनिशर का रोल इंडियन क्रिकेट में इसी मैच के बाद से शुरू हुआ। सिद्धू के 93 रन बनाने के बाद भी ऐसा लग रहा था जैसे मैच पाकिस्तान के कंट्रोल में है पर अजय जडेजा की नामचीन बॉलर्स के खिलाफ खेली फिनिशिंग पारी ने भारत को सेफ जोन में ला दिया। इस मैच में खुद कप्तान वसीम अकरम ने मैच की सुबह ही अनफिट होने के कारण मैच खेलने से मना कर दिया था।

2003 वर्ल्ड कप में इंडिया ने पाकिस्तान को 6 विकेट से मात दी थी। इस मैच में सचिन ने 98 तो वहीं युवराज ने 50 रन की शानदार पारी खेली थी।
सवाल: क्या वर्ल्ड कप के मुकाबलों का कभी सचिन पर प्रेशर नहीं था?
अयाज मेमन: बहुत ज्यादा था, क्योंकि वो MVP थे, 2003 में सचिन सहवाग की पार्टनरशिप ने जिस तरह बड़े टोटल को चेज किया। सचिन के 2003 और 2011 के प्रदर्शन में एक कंट्रास्ट था। जहां 2003 में शुरुआत से ही अटैकिंग शॉट खेल रहे थे वहीं 2011 में समय लेकर खेलने की कोशिश कर रहें थे।
सवाल: मैच के दौरान होने वाली टसल को किस तरह देखते हैं?
अयाज मेमन: मैदान पर कोई भी टीम हाय-हैलो करने नहीं बल्कि जीतने या हारने के लिए उतरती है। इसलिए मैच के दौरान थोड़ा टसल होना भी मैच का एक हिस्सा है।
सवाल: पिछले वर्ल्ड कप मुकाबलों में विराट कोहली और रोहित शर्मा की जोड़ी ने शानदार प्रदर्शन किया है। 2015 में विराट पहले प्लेयर थे जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ शतक लगाया तो वहीं रोहित ने 2019 वर्ल्ड कप मुकाबले में शतक लगाया और विराट ने इसी मुकाबले में अर्धशतक जमाया। आने वाले वर्ल्ड कप में भी इनसे कितनी उम्मीदें लगाई जा सकती है ?

पाकिस्तान के खिलाफ 3 वर्ल्ड कप मैचों में, कोहली ने 64.33 की औसत से 193 रन बनाए हैं। इसमें एक अर्धशतक और एक शतक शामिल है।
अयाज मेमन: सचिन को महान खिलाड़ी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन्होंने लगातार बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया। सचिन के बाद आए विराट कोहली ने भी ऐसे ही प्रदर्शन को दोहराया है। जिस मैच में रोहित ने शतक बनाया उसमें विराट कोहली ने अर्धशतक बनाया। इसलिए ये दोनों बड़े खिलाड़ी हैं और इनसे उम्मीदें लगाना भी सही है।
सवाल: इंडियन और पाकिस्तानी फैंस का क्रिकेट को लेकर एक्साइटमेंट और एग्रेशन अलग ही लेवल का है…
अयाज मेमन: बिलकुल, ये एग्रेशन 1999 और 2003 के वर्ल्ड कप मुकाबले में दिखा भी। इंडिया की जीत के बाद पाकिस्तान और भारत के फैंस में तू-तू मैं-मैं शुरू हो गई थी। 1999 का वर्ल्ड कप टूर्नामेंट भारत में हुआ और इस कारण से बहुत सारे पाकिस्तानी फैंस भारत नहीं आए थे। जबकि उस समय वीजा मिलना आसान हुआ करता था। लेकिन उसके बाद जहां भी इंडिया और पाकिस्तान के वर्ल्ड कप मुकाबले हुए फैंस भारी संख्या में पहुंचने लगे।