इंदौर13 मिनट पहले
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इंदौर में आज नो कार डे मनाया जा रहा है। लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग कर रहे हैं।
आज शुक्रवार को इंदौर में नो कार डे मनाया जा रहा है। कलेक्टर इलैया राजा टी सिटी बस का सफर करके ऑफिस पहुंचे। इससे पहले वे घर से पैदल ही निकले। उन्होंने सिटी बस काउंटर से टिकट खरीदा और फिर बस में बैठे। बस में उन्होंने युवाओं से नो कार डे को लेकर चर्चा भी की।
पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर साइकिल से दफ्तर पहुंचे। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ई-स्कूटर से अपने घर से निकले। उन्होंने शहर के कई इलाकों का दौरा किया। प्रशासनिक अधिकारियों और इंदौर विधानसभा एक से कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला ने भी नो कार डे का समर्थन करते हुए ई रिक्शा का इस्तेमाल किया।
नो कार डे अभियान का समर्थन हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने भी किया है। हाईकोर्ट ने पत्र जारी कर स्टाफ से दो पहिया वाहन का प्रयोग करने के निर्देश दिए हैं।
तस्वीरों में देखें इंदौर में नो कार डे

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ई-स्कूटर से घर से निकले। उनके साथ स्टाफ ने भी नो कार डे को फॉलो किया।

पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर साइकिल से ऑफिस पहुंचे।

विधायक रमेश मेंदोला ने भी ई स्कूटर चलाया।

सिटी बस में कलेक्टर इलैया राजा टी ने युवाओं से नो कार डे को लेकर चर्चा की।

बस स्टॉप तक कलेक्टर इलैया राजा टी पैदल चलकर गए।

लसूडिया टीआई तारेश सोनी सरकारी वाहन छोड़कर बाइक से थाना पहुंचे।

सुबह पलासिया चौराहे पर काफी कम संख्या में चार पहिया वाहन नजर आए।

शहर का सबसे व्यस्त एमजी रोड। तस्वीर सुबह 11 बजे की है। यहां भी ज्यादातर लोगों ने नो कार डे को फॉलो किया।

रीगल चौराहे पर प्रेस्टीज कॉलेज के स्टूडेंट्स और ताई साहेब वेलफेयर सोसाइटी के वॉलेंटियर खड़े हैं। जो वाहन चालकों को आगाह कर रहे हैं।

नो कार डे की अपील पर एआईसीटीएसएल की ओर से किराए पर उपलब्ध कराई जाने वाली साइकिल भी स्टैंड पर नजर नहीं आईं। शुक्रवार सुबह एक-दो साइकिलें ही स्टैंड पर दिखाई दीं।
इन्होंने किया नो कार डे का समर्थन
- महापौर पुष्यमित्र भार्गव, एमआईसी सदस्य नंदकिशोर पहाड़िया सहित अन्य जनप्रतिनिधि गुरुवार शाम मरीमाता चौराहा पर तख्तियां लेकर खड़े हुए।
- हाईकोर्ट ने स्टाफ को कार का उपयोग नहीं करने के निर्देश दिए हैं।
- देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने साइकिल, ई-बाइक का उपयोग करने की अपील की।
- बेसिक ड्रग डीलर एसोसिएशन के महासचिव जेपी मूलचंदानी ने कहा- हमने दवा निर्माताओं, रॉ मटेरियल सप्लायर, दवा क्षेत्र से जुड़े लोगों से अपील की है कि वे कार का उपयोग नहीं करें।
- सीईपीआरडी के रमेश मंगल ने कहा- कार का इस्तेमाल नहीं करेंगे।
- आयकर विभाग ने भी अधिकारियों एवं कर्मचारियों से कार का उपयोग नहीं करने की अपील की है।
- केंद्रीय जीएसटी विभाग ने भी इसी तरह के दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
- इंदौर सीए एसोसिएशन ब्रांच के पूर्व चेयरमैन आनंद जैन ने बताया कि हमने पोस्टर बनाने के लिए लिंक बनाई है। विधायक संजय शुक्ला ने नो कार डे का समर्थन करते हुए कहा कि वे ई रिक्शा से भ्रमण करेंगे।
महापौर ने कहा- यह एक इनिशिएटिव
महापौर पुष्यमित्र भार्गव का कहना है कि नो कार डे एक इनिशिएटिव है। वर्ल्ड कार फ्री डे 22 सितंबर को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत हम इंदौर में भी कर रहे हैं। हम देखेंगे कि शहर में कितनी कारें कम आती हैं। इससे शहर के पर्यावरण, यातायात और पब्लिक ट्रांसपोर्ट की क्या तैयारी हमें करनी होगी, इसकी जानकारी जुटाएंगे। शहरवासियों से आग्रह किया है कि शुक्रवार को कार का उपयोग नहीं करें।

नो कार डे पर शहरवासियों ने सिटी ट्रांसपोर्ट का उपयोग किया।
शहर के ट्रैफिक की स्थिति यह
एक रिसर्च के मुताबिक, पेट्रोल या डीजल कार हर साल करीब 4.6 मीट्रिक टन कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) उत्सर्जित करती है। इंदौर में करीब 4 लाख कारें रजिस्टर्ड हैं। इस लिहाज से 18.4 लाख मीट्रिक टन CO2 उत्सर्जित होती है। इंदौर का ट्रैफिक मैनेजमेंट सबसे बड़ा पेन-एरिया है। अभी शहर की सड़कों पर बमुश्किल 17 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ियां चल पा रही हैं जबकि दिल्ली-चेन्नई, मुंबई में यह 20 से 25 किमी के आसपास है।
इंदौर में फिलहाल सिर्फ 20% लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग कर रहे हैं। 42% लोगों के पास दोपहिया और 11% के पास चार पहिया वाहन हैं। कुल 53% लोगों के पास निजी वाहन हैं और वे पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग नहीं करते हैं।
35 लाख की आबादी वाले शहर में 21 लाख कारें
35 लाख की आबादी वाले इंदौर में फिलहाल चार पहिया वाहनों की संख्या 21 लाख पार कर गई है। इस वजह से आए दिन ट्रैफिक जाम की स्थिति रहती है। यदि एक दिन के लिए शहर की सड़कों को कारों से मुक्त किया जा सके, तो वायु प्रदूषण में काफी हद तक सुधार हो सकता है। इसके अलावा कारों के विकल्प के रूप में लोक परिवहन के साधनों की भविष्य आधारित व्यवस्था पर भी विचार किया जा सकता है।
इस साल स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में इंदौर नंबर वन आया, लेकिन यह पुरस्कार शहर को इसे सुधारने के प्रयासों के लिए दिया गया। कार में ईंधन के जलने से हर वर्ष करीब 21 हजार लीटर पानी बनता है, जो बेकार चला जाता है। इसी तरह हर साल इन वाहनों से निकलने वाली गैस पर्यावरण को दूषित कर रही हैं।
शहर की 83 फीसदी आबादी निजी वाहनों का उपयोग कर रही है। महज 8 से 9 फीसदी लोग ही लोक परिवहन में सफर कर रहे हैं। इस वजह से आए दिन सड़कों पर जाम के हालात बन जाते हैं। ट्रैफिक जाम से राहत और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए शहर में शुक्रवार को नो-कार डे मनाया जा रहा है।