
नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) दिल्ली की भीड़भाड़ वाली सड़कों और इसकी बदहाल झुग्गियों में युवाओं का एक समूह आगामी ‘स्ट्रीट चाइल्ड क्रिकेट विश्व कप’ में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार हैं।
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सानिया, श्रवण, जन्नत, संध्या, फरजाना और करण ऐसे खिलाड़ी है जो गरीबी, बदहाली और किस्मत को चुनौती देकर स्ट्रीट चाइल्ड क्रिकेट विश्व कप में अपनी यात्रा शुरू करने को तैयार है।
‘स्ट्रीट चाइल्ड यूनाइटेड’ द्वारा आयोजित आगामी ‘स्ट्रीट चाइल्ड क्रिकेट विश्व कप’ का आयोजन चेन्नई में आईसीसी क्रिकेट विश्व कप 2023 से ठीक पहले 23 से 30 सितंबर तक होगा।
यह अनोखा टूर्नामेंट सिर्फ क्रिकेट के बारे में नहीं है, यह दुनिया भर में झुग्गियों में रहने वाले बच्चों के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देने के बारे में है। जिससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमकने का मौका मिल सके।
इस टूर्नामेंट का दूसरा आयोजन इस लिए भी खास है क्योंकि इसमें 17 देशों के लडकों के साथ लड़कियों की टीम भी भाग ले रही है, जिसमें भारत, इंग्लैंड, बुरुंडी, हंगरी, मॉरीशस, बांग्लादेश, नेपाल, रवांडा, मैक्सिको, श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका की टीमों शामिल है।
भारत की 15 सदस्यीय टीम में शामिल 15 साल की जन्नत के पिता दिहाड़ी मजदूर है जबकि मां दूसरों के घरों में काम करती है।
चौदह साल की सानिया नेहरू कैंप में रहती है तो वहीं 15 साल के श्रवण बिहार के मधुबनी जिले के है। श्रवण को एक एनजीओ (गैर सरकारी संस्थान) के लोगों ने पार्क में क्रिकेट खेलते देखा था।
कूड़ा उठाने वाले की बेटी संध्या की उम्र महज 13 साल है और वह दिल्ली के शिवाजी पार्क में रहती है।
बदहाली के बावजूद यह खिलाड़ी विश्व चैंपियन बनने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते है।
जन्नत ने कहा, ‘‘ मेरी सबसे बड़ी महत्वाकांक्षा इस टूर्नामेंट में जीत हासिल करना है। हम सिर्फ अपने लिए नहीं खेल रहे हैं, बल्कि अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। क्रिकेट से परे, मेरा ध्यान सकारात्मक प्रभाव डालने पर है।’’
सानिया ने कहा, ‘‘ मैं वैश्विक स्तर पर देश के प्रतिनिधित्व की तैयारी कर रही हूं।’’
भाषा आनन्द नमिता
नमिता