नई दिल्ली. ‘प्राण’ बॉलीवुड के लिए बड़ा नाम है. लेकिन आज की जनरेशन शायद इस नाम से जुड़ाव महसूस नहीं कर सके, लेकिन एक दौर था जब एक्टर से ज्यादा फैंस इस विलेन के दीवाने थे. प्राण साहब की एक खासियत रहीं, उन्होंने कभी अपने किरदार को दोहराया नहीं. हर फिल्म में उनका अलग और बदला अंदाज हर बार दर्शकों को अपनी ओर रिझाता था. इसलिए वह यकीनन हिंदी सिनेमा का अब तक का सबसे खतरनाक खलनायकों में से एक हैं.
जब प्राण पर्दे पर आते थे तो लोगों की निगाहें उन पर टिक जाती है. प्राण ने सिल्वर स्क्रीन पर अपनी ऐसी खलयानकी दिखाई कि लोग उनसे डरने लगे थे. देखते ही देखते प्राण इतने बड़े स्टार बन गए कि उन्हें कास्ट करने में मेकर्स के पसीने छूट जाते थे. आज हम आपको प्राण की कहानी बताते हैं कि कैसे वह एक पान की दुकान से मुंबई पहुंच गए और फिर हीरो से भी ज्यादा फीस लेने वाले विलेन बन गए.
पान चबाते हुए बदल गई जिंदगी
प्राण कभी भी एक्टिंग की दुनिया में नहीं आना चाहते थे, लेकिन कहते हैं न भाग्य में जो लिखा है, वो होकर रहता है. ऐसा ही कुछ प्राण के साथ भी हुआ. उन्हें स्टिल फोटोग्राफी का शौक था और विभाजन से पहले वह लाहौर में एक फोटोग्राफर के सहायक के रूप में कार्यरत थे. लेकिन, 1939 की एक रात, नियति ने उनके लिए कुछ अलग ही योजना बनाई थी. दरअसल, हुआ कुछ ऐसा था कि एक दिन प्राण साहब लाहौर के अनारकली बाजार में पान खा रहे थे और पानवाले से मजेदार अंदाज में बात कर रहे थे. वहां पर पंजाबी फिल्मों के राइटर और डायरेक्टर वली मोहम्मद वली भी मौजूद थे. उन्हें प्राण का स्टाइल और बात करने का अंदाज भा गया और तुरंत प्राण को फिल्म ऑफर कर दी.
प्राण ने पंजाबी फिल्म ‘यमला जट’ से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी
पंजाबी फिल्म से की एक्टिंग की शुरुआत
प्राण ने पंजाबी फिल्म ‘यमला जट’ से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद वह उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. प्राण की पहली हिंदी फिल्म थी ‘खानदान’, जिसमें उन्होंने नूर जहां के साथ काम किया था और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
पिता ने जब एक्टिंग छुड़वाई और फैक्ट्री में दिलवाया काम
एक्टिंग में करियर बनाने के बाद वह अपने पिता से मिलने दिल्ली पहुंचे, जो पेशे से एक सिविल इंजीनियर थे. प्राण ने अपने पेशे के बारे में पिता को विस्तार से बताया, लेकिन पिता ने उनके करियर के चुनाव को अस्वीकार कर दिया और उन्हें एक दोस्त की फैक्ट्री में नौकरी दिला दी और पिता ने बेटे की शादी बी एक अच्छे घर की लड़की से तय कर दी.
पिता के निधन के बाद वह अभिनय की दुनिया में फिर लौटे.
‘लेडी लक’ से चमका एक्टर का भाग्य
लेकिन, अफसोस कि वह अपने लाडले बेटे की शाजी देख पाते उससे पहले ही दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. पिता की मौत से प्राण टूट गए थे, लेकिन प्राण ने उसी से लड़की से शादी, जिससे पिता रिश्ता तय करके गए थे. पिता के निधन के बाद वह अभिनय में लौट आए और अपनी पत्नी के साथ लाहौर वापस चले गए. ‘लेडी लक’ अभिनेता के लिए काम आई और 1945 से 1947 तक लाहौर में प्राण का फिल्मी करियर खूब फला-फूला.
जब आना पड़ा मुंबई
हालांकि, आजादी से ठीक पहले हुए दंगों और सांप्रदायिक साजिशों ने प्राण को 1947 में बॉम्बे (अब मुंबई) आने के लिए मजबूर कर दिया. हालांकि, बॉम्बे में भूमिकाएं खत्म हो गई थीं. लाहौर में उन्होंने जो अभिनय किया, वो यहां काम नहीं आया. वो फिल्म स्टूडियो के चक्कर लगाते और जवाब मिलता, ‘माफ करें, अभी कुछ नहीं.’ ‘सपनों के शहर’ में अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए, प्राण ने एक बार रेडिफ़ से कहा था, टयहां तो बहुत धक्के खाने पड़े.’ मेरे पास छह महीने से अधिक समय तक यहां कोई काम नहीं था.
हर फिल्म में उनका अलग और बदला अंदाज हर बार दर्शकों को अपनी ओर रिझाता रहा.
जब बेचने पड़ी पत्नी की सोने की चूड़ियां
प्राण, अपनी पत्नी और एक बेटे के साथ ताज होटल में रह रहे थे. लेकिन, धीरें उनके पास पैसे खत्म होने लगे, जिसके कारण उन्हें सस्ते होटलों और आखिर में एक गेस्ट हाउस में रहने के लिए जाना पड़ा. एक ऐसा भयानक समय ऐसा भी आया जब दिग्गज स्टार को होटल का किराया चुकाने के लिए अपनी पत्नी की सोने की चूड़ियां बेचनी पड़ीं थी. इस घटना ने एक्टर को तोड़ दिया और उन्होंने फैसला कर लिया था कि वह जल्द ही बॉलीवुड के सबसे विलेन बनेंगे.
देवानंद, राज कपूर और दिलीप कुमार को दी टक्कर
हालांकि, फिर वो दौर भी आया उस दौर में प्राण इकलौते ऐसे एक्टर थे, फिल्मों में काम करने के लिए मेकर्स से हीरो जितनी या फिर हीरो से भी ज्यादा पैसे वसूलते थे. प्राण ने ज्यादातर फिल्मों में विलेन की भूमिका निभाई है. कहा जाता है कि उस दौर में सिर्फ प्राण के नाम से उनकी फिल्म बिक जाती थी. उन्होंने 40 के दशक से लेकर 90 के दशक तक काम किया और हर बार फैंस को अपनी दमदार अदाकारी से चौंकाया था. प्राण की शख्सियत, ड्रेसिंग स्टाइल, डायलॉग बोलने का स्टाइल, सिगरेट पकड़ने का जुदा अंदाज ऐसा था कि वह देवानंद, राज कपूर और दिलीप कुमार जैसे बड़े-बड़े एक्टर्स को टक्कर देते थे.
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Tags: Entertainment Special
FIRST PUBLISHED : February 16, 2024, 07:36 IST