अमेरिका में बसे भारतीयः इंजीनियर और वकील की जोड़ी जिनके फूड का दीवाना है ब्रुकलिन


साल 2016 में वेंकट और श्वेता राजू ने बेंगलुरु से न्यूयॉर्क पहुंचे थे. अपने सपने लिए. श्वेता पेशे सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. और उनके पति वेंकट वकील हैं. दोनों को खाना बनाने और खिलाने का शौक है. न्यूयॉर्क पहुंचकर वेंकट और श्वेता ने अपने इसी शौक को पेशे में बदल दिया. 

श्वेता ने ब्रुकलिन मैग्जीन को दिए इंटरव्यू में बताया था, ‘जब हम पहली बार यहां आए थे, तो हमें घर की याद सताती थी. इसलिए हमने खाना बनाना शुरू कर दिया और पड़ोसियों को खाने पर बुलाया. क्योंकि हम भारतीयों का मानना है कि किसी के दिल का रास्ता उसके पेट से होकर जाता है.’

श्वेता ही नहीं, बल्कि उनके पति वेंकट भी अच्छा खाना बनाते हैं. श्वेता और वेंकट, दोनों ही कर्नाटक के टिफिन बिजनेस करने वाले परिवार से आते हैं.

2016 में ही दोनों न्यूयॉर्क से ब्रुकलिन शिफ्ट हो गए. यहां विदेश में उन्होंने देसी तड़का लगाया और ‘ब्रुकलिन करी प्रोजेक्ट’ नाम से फूड स्टैंड लगाया. यहां उन्होंने बेंगलुरु स्टाइल में मसाला डोसा, इडली, उत्तपम और मसाला चाय का स्वाद चखाया. उनके रेस्टोरेंट में लोग दूर-दूर से सिर्फ मसाला डोसा खाने आते हैं. ब्रुकलिन में साउथ इंडियन फूड के अलावा श्वेता और वेंकट चपाती, चावल या खिचड़ी, कड़ी, अचार जैसे आइटम्स भी मिलते हैं.

Advertisement

वेंकट ने एक इंटरव्यू में बताया था कि ब्रुकलिन करी प्रोजेक्ट का आइडिया श्वेता का था. वो यहां के लोगों को साउथ इंडियन फूड का स्वाद चखाना चाहती थीं. वहीं, श्वेता ने बताया था कि वेंकट को भारत में रेस्टोरेंट चलाने का अनुभव था. 

श्वेता और वेंकट ने 2021 में अपना कारोबार शुरू किया. दोनों ब्रुकलिन के फोर्ट ग्रीन इलाके में ‘ब्रुकलिन करी प्रोजेक्ट’ नाम से फूड स्टैंड लगाते हैं. उनका स्टॉल सिर्फ शनिवार को लगता है. इस दिन यहां काफी भीड़ होती है. 

श्वेता और वेंकट के दो बच्चे भी हैं, जो ब्रुकलिन के ही एक स्कूल में पढ़ाई करते हैं. एक इंटरव्यू में वेंकट बताते हैं कि न्यूयॉर्क में उनका कोई दोस्त नहीं था, लेकिन यहां उनके खाने की वजह से बहुत दोस्त हैं. 

उनके फूड स्टॉल को शुरू हुए दो साल हो गए हैं. दोनों का मानना है कि वो लोगों को खुश करने में कामयाब रहे हैं, जो अब उनके स्टॉल में आते हैं.

ब्रुकलिन मैग्जीन को दिए इंटरव्यू में श्वेता बताती हैं, लोगों से मिलने के बाद हमें जो जूनून और संतुष्टि मिलती है, वही हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है. वेंकट का कहना है कि हफ्तेभर की सारी थकान इससे दूर हो जाती है.


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *