आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड यानी पैकेज्ड फूड का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। अब थालियों में दाल, चावल और रोटी की जगह पैकेज्ड फूड ने ले ली है। अब शहर ही नहीं, गांव भी इससे अछूते नहीं रह गए हैं। भूख लगने पर प्रॉसेस्ड फूड का इस्तेमाल बच्चों से लेकर बुजुृर्ग तक सभी लोग बहुतायत मात्रा में करने लगे हैं। इसका इस्तेमाल शरीर को बुरी तरह से खोखला कर रहा है। अगर आप भी भूख लगने पर ऐसे खाने को तवज्जो देते हैं तो आपकी सेहत खतरे में पड़ सकती है। हाल में ब्रिटिश जर्नल बीएमजे में एक शोध छपा था। जिसके मुताबिक, अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड यानी पैकेज्ड चिप्स, बिस्किट-नमकीन, चाकलेट्स और कोल्ड ड्रिंक्स से हमारी सेहत को नुकसान होता है। इनसे सबसे अधिक हार्ट डिजीज, कैंसर और फेफड़ों को नुकसान होता है। नियमित रूप से इसका सेवन कर रहे लोगों की आयु भी तेजी से घट रही है। अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड क्या होते हैं, ये खतरनाक क्यों हैं, इससे किस तरह की बीमारियों का खतरा है, आइए इसके बारे में बताते हैं।
32 बीमारियों का खतरा
समय बदलने के साथ ही लोगों का स्वाद भी तेजी सेबदल रहा है। अपने किचन की चीजें लोगों को कम अच्छी लगने लगी हैं। इसलिए लोग अल्ट्रा प्रॉसेस्ट चीजों का इस्तेमाल करने लगे हैं। स्टडी के मुताबिक, इसके इस्तेमाल से न सिर्फ मोटापा बढ़ता है, बल्कि इससे कैंसर, मानसिक स्वास्थ्य और दिल की तमाम बीमारियों का रिस्क भी बढ़ जाता है। स्टडी में प्रॉसेस्ट फूड के ज्यादा इस्तेमाल से 32 तरह की बेहद खतरनाक बीमारियों का खतरा बताया गया है।
क्या है अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड?
ऐसा खाना जो आमतौर पर घर के किचन में नहीं बनाया जाता उसे अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड कहते हैं। मान लो कि घर पर दूध से दही बनाया जा रहा है तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन, यदि किसी बड़ी इंडस्ट्री में दूध से दही बनाया जाता है तो उसमें स्वाद लाने के लिए कलर, फ्लेवर, चीनी या कॉर्न सिरप का इस्तेमाल किया जाता है। अपने किचन में भूने गए कॉर्न हेल्दी होते हैं, जबकि मार्केट में मिल रहा एक्स्ट्रा फ्लेवर वाला स्वादिष्ट पॉप कॉर्न बनाने के लिए कई केमिकल्स, शुगर और नमक का इस्तेमाल होता है। इस पूरी प्रक्रिया को अल्ट्रा प्रोसेसिंग कहते हैं और फूड को प्रॉसेस्ड फूड कहा जाता है।
टॉप-10 अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड
1-कोल्ड ड्रिक्स
2-आइसक्रीम
3-चाकलेट
4-पैकेज्ड चिप्स
5-पैकेज्ड सूप
6-कैंडी
7-फ्रेंच फ्राइज
8-पेस्ट्री
9-केक
10-रेडी टू ईट मीट
(स्रोत : डब्ल्यूएचओ)
जल्दी मौत का खतरा
शोध के अनुसार, अल्ट्रा-प्रॉसेस्ड फूड का ज्यादा इस्तेमाल करने से जल्दी मौत का खतरा 21 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। इसका अत्यधिक सेवन हृदय रोग से संबंधित मृत्यु, मोटापा, टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को भी 40 से 66 प्रतिशत बढ़ा देता है। इसके अलावा, इससे नींद की समस्या और अवसाद का खतरा 22 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
मोटापा बढ़ने का खतरा
मोटापे की समस्या दुनिया में तेजी से बढ़ी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन तो इसे एपिडेमिक यानी संक्रामक रोग के समान करार दे चुका है। इसका मतलब ऐसी बीमारी से है जो दुनियाभर में बहुत तेजी से फैल रही है। ज्यादा अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड के सेवन से मोटापे की समस्या बढ़ने का खतरा है। इससे हाई कॉलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और नींद की कमी जैसी बीमारियों की संभावना भी बलवती होती है।
बिगड़ रहा इम्यून सिस्टम
अच्छा खाना हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है, यह बात तो सभी को पता है। शोध के अनुसार, अल्ट्रा-प्रॉसेस्ड फूड हमारे जीन पर भी गहरा प्रभाव डालते हैं। इसका ज्यादा इस्तेमाल हमारे इम्यून सिस्टम को खराब कर रहा है। ऐसे में आने वाली पीढ़ी की इम्युनिटी को बचाने के लिए हमें आज के खान-पान की आदतों के प्रति सतर्करहने की जरूरत है।
डिप्रेशन का खतरा
अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड के इस्तेमाल से डिप्रेशन और स्ट्रेस का खतरा बढ़ रहा है। इससे शरीर में मौजूद एंटीबॉडीज नष्ट होने लगती है। इसका प्रभाव यह होता है कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है। वहीं, कुछ लोगों में बेचैनी और याददाश्त कम होने की भी शिकायत देखी गई है। कई बार हाई फैट डाइट लेने से दिमाग में सूजन भी हो जाती है।
बरतें सावधानी
खानपान में हमें सावधानी बरतने की आवश्यकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि पानी को छोड़कर हर खाने की चीज में फैट पाया जाता है। यह फैट चार तरह का होता है। जो शरीर में जाकर उसे कमजोर या मजबूत बनाता है। आइये बताते हैं वह फैट कौन-कौन से हैं-
1- पॉलीअनसैचुरेटेड फैट
पॉलीअनसैचुरेटेड फैट की बात करें तो यह सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी सहित अन्य वनस्पति तेलों में पाया जाता है। इससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहेगा। यह दिल से जुड़ी बीमारियां होने से बचाता है।
2- मोनोअनसैचुरेटेड फैट
मोनोअनसैचुरेटेड फैट स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। यह फैट शरीर के गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है, जिससे दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
3- सैचुरेटेड फैट
सैचुरेटेड फैट ऐसा फैट है जिसे लिवर यूटिलाइज करता है और इससे बैड कॉलेस्ट्रॉल बढ़ता है। इससे दिल से जुड़ी बीमारियों के बढ़ने की संभावना होती है। दूध-दही जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स के अलावा मीट, मटन या अन्य सभी मासांहारी चीजों में सैचुरेटेड फैट पाया जाता है। शरीर के कुल कैलोरी इंटेक में किसी भी तरह सैचुरेटेड फैट 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
4- ट्रांस फैट
ट्रांस फैट को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। यह फैट वेजिटेबल आॅयल में पाया जाता है। ट्रांस फैट बैड कोलेस्ट्रॉल को तो बढ़ाता ही है, साथ ही गुड कोलेस्ट्रॉल को भी नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में स्ट्रोक और दिल से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा बहुत रहता है। ट्रांस फैट सभी पैकेज्ड फूड जैसे केक, कुकीज, पेस्ट्री, आइसक्रीम, स्नैक्स वगैरह में पाया जाता है। इतना ही नहीं, यह हाई फैट डाइट आने वाली जनरेशन के इम्यून सिस्टम और दिमाग को भी कमजोर करने का काम कर रही है।