उज्जैनएक दिन पहलेलेखक: आनंद निगम
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उज्जैन में 15 साल की लड़की से रेप के आरोप में पुलिस ने जिस ऑटो ड्राइवर को संदिग्ध मानते हुए सबसे पहले हिरासत में लिया, वो खुद को उसका मददगार बता रहा है। ऑटो ड्राइवर राकेश मालवीय का कहना है कि उसने तो लड़की को मदद के इरादे से ऑटो में बैठाया था। वह आधे-अधूरे कपड़ों में थी तो उसे अपनी ड्राइवर वाली खाकी जैकेट भी पहनाई।
लड़की से रेप 25 सितंबर को उज्जैन शहर के जीवनखेड़ी इलाके में हुआ था। इसी दिन राकेश ने यहां से 400 मीटर आगे पुलिया से लड़की को ऑटो में बैठाया। करीब 700 मीटर आगे तिरुपति ड्रीम्स कॉलोनी के गेट पर उतारा। यह दूरी 5 मिनट से भी कम समय में तय की।
ऑटो में बैठाकर लड़की को क्यों उतार दिया? पुलिस तक क्यों नहीं ले गया या जानकारी क्यों नहीं दी? दैनिक भास्कर के इन सवालों पर राकेश का कहना है, ‘लड़की कुछ बता नहीं पा रही थी। डरी हुई थी। उस पर दया कर मैंने उसे बैठा तो लिया था, लेकिन मेरी भी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं? मुझे लगा कि लड़की आसपास ही कहीं की होगी, इसीलिए उसे उतार दिया और अपनी नियमित सवारी को लेने चला गया। गलती इतनी रही कि पुलिस को सूचना नहीं दी।’
पुलिस ने राकेश को क्लीन चिट नहीं दी है। उस पर आईपीसी की धारा 176 के तहत कार्रवाई की गई है। उसे शनिवार रात छोड़ दिया गया। राकेश का कहना है कि महाकाल थाने में वह करीब 5 दिन रहा। पुलिस ने उसे पीटा। अब तक मोबाइल और उसका ऑटो पुलिस के पास है।
बता दें कि धारा 176 सूचना देने में चूक पर लगाई जाती है। दोषी पाए जाने पर 1 साल तक की सजा हो सकती है। महाकाल थाने के टीआई अजय वर्मा ने बताया कि ऑटो ड्राइवर को नोटिस जारी किया जाएगा।
ऑटो ड्राइवर राकेश मालवीय के मुताबिक, शिप्रा नदी में उसने चने डाले। रिंग रोड पर शिप्रा के ब्रिज से आगे बढ़ा तो पुलिया पर लड़की मिली। उसने उसे ऑटो में बैठा लिया। करीब 700 मीटर आगे जाकर तिरुपति ड्रीम्स कॉलोनी के टर्न पर लड़की को उतार दिया।
हमने ऑटो में बैठकर सीन को रीक्रिएट किया, राकेश ने लड़की को ऑटो में बैठाने से उतारने तक की सिलसिलेवार जानकारी दी…
राकेश मालवीय ने इसी जगह से लड़की को ऑटो में बैठाया था। यह जगह जीवनखेड़ी से करीब 400 मीटर आगे है। यहां एक पुलिया है।
लड़की ने इशारे से गलत काम होने की जानकारी दी थी
हर दिन की तरह 25 सितंबर की सुबह 5.50 बजे मैं अपने घर से निकला। मेरी रोज की बंधी हुई यानी नियमित सवारियां हैं। इनर रिंग रोड पहुंचा। शिप्रा ब्रिज से नदी में चने डाले। इस समय हल्की बूंदाबांदी भी हो रही थी। सड़क सुनसान थी। यहां से हाटकेश्वर जाने के लिए 700 मीटर ही आगे बढ़ा था कि लड़की आधे-अधूरे कपड़ों में जाते हुए दिखी। उसकी हालत देख मुझे दया आ गई। आगे जाकर मैंने ऑटो को रोक दिया।
लड़की ऑटो के पास आकर रोने लगी। हालत देखकर लग रहा था कि उसके साथ कुछ गलत हुआ है। शरीर के ऊपर कपड़े नहीं थे, नीचे कुछ लपेट रखा था। मैंने तुरंत गाड़ी के पीछे रखी अपनी खाकी कलर की जैकेट उसे पहनने को दी। उससे जैकेट पहनने को कहा। उसे ऑटो में बैठा लिया। वह लगातार रो रही थी। उसने इशारे से मुझे उसके साथ गलत होने की जानकारी भी दी।
लड़की ने हाथ से इशारा किया। मुझे लगा कि वह आसपास की रहने वाली होगी। मुझे सवारी लेने भी जाना था, इसलिए जल्दबाजी में समझ नहीं पाया कि क्या करना चाहिए। लड़की को ऑटो से उतार दिया। जैकेट भी मैंने वापस नहीं ली। अगले दिन घटना का पता चला तो डर के कारण किसी को नहीं बताया।
(जैसा राकेश मालवीय ने दैनिक भास्कर को बताया।)
इतना बड़ा दाग मुझ पर लगा दिया गया…
राकेश को पुलिस ने घटना के दूसरे दिन यानी 26 सितंबर की शाम 7 बजे शहर के शांति नगर स्थित निजी स्कूल के पास से हिरासत में लिया था। यहां वह अपनी बुआ के साथ रहता है। बुआ गांव गई हुई थीं। राकेश ने बताया कि वह रोजाना 5 लोगों को अलग-अलग समय पर ऑटो से छोड़ता है। इनमें 18 साल की युवती भी है।
उसने कहा, ’15 साल से ड्राइवर का काम कर रहा हूं। कभी इस तरह के आरोप नहीं लगे। पहले एक प्राइवेट स्कूल में बस भी चलाई। कभी कोई शिकायत नहीं हुई। बच्ची को देखकर दिल पसीजा, मदद की लेकिन इतना बड़ा दाग मुझ पर लगा दिया गया। मैं आगे भी लोगों की इसी तरह मदद करता रहूंगा, लेकिन जरूरी कदम उठाने के बाद।’
ऑटो ड्राइवर ने लड़की को तिरुपति ड्रीम्स कॉलोनी के गेट के बाहर ड्रॉप कर दिया था।
बुआ के साथ रहता है राकेश, पत्नी का निधन हो चुका
ऑटो ड्राइवर राकेश मालवीय शांति नगर में पिछले 5 साल से अपनी बुआ के घर पर रहता है। बुआ का लड़का दूसरे मकान में रहता है। इससे पहले वह मक्सी मार्ग स्थित सालमखेड़ी का मूल निवासी था। रोजगार नहीं होने से उज्जैन आकर ऑटो चलाता है। पत्नी की छह साल पहले मौत हो चुकी है। राकेश की आठ साल की बेटी भी है। वह नाना-नानी के यहां देवास रोड स्थित भटुनि गांव में रहती है।
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मुख्य आरोपी जेल में; पुलिस बोली- छूट नहीं पाएगा
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