बरेली8 घंटे पहलेलेखक: मनु चौधरी
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बरेली में दरगाह आला हजरत के गेट पर फूल बेचते हुए शाकिर।
बरेली के मोहम्मद शाकिर खान कभी क्रिकेट के होनहार खिलाड़ी थे। उनकी इनस्विंग गेंदें क्रिकेटर मोहम्मद कैफ, ज्ञानेंद्र पांडे और चेतन चौहान जैसे धुरंधरों तक की गिल्लियां उड़ा देती थीं। उनकी गेंदबाजी की इस धार को देखकर बरेली ही नहीं, UP के खिलाड़ियों को लगता था कि शाकिर खूब नाम कमाएंगे। वह विश्व क्रिकेट के फलक पर चमकेंगे।
मगर, मुफलिसी की जंजीरें उनके पैरों में ऐसी जकड़ी कि वो खेल का मैदान छूट गया। हालात इस कदर बिगड़े कि शाकिर को मजबूरन फूल बेचने का पेशा अपनाना पड़ा।
47 साल के शाकिर अब बरेली की दरगाह आला हजरत के बाहर फूल बेचकर हर दिन का सिर्फ 500 से 600 रुपए कमा पाते हैं। दैनिक भास्कर को उन्होंने बताया कि परिवार के लिए दो जून की रोटी का बंदोबस्त करने के लिए उनके पास बस यही एक जरिया है।
शाकिर के क्रिकेट से पहले उनकी लाइफ के बारे में पढ़ते हैं…

दैनिक भास्कर को जानकारी देते हुए मोहम्मद शाकिर।
पीके-11 से खेलते थे, इसलिए यही नाम पड़ा
शाकिर बरेली के बिहारीपुर के रहने वाले हैं। उन्हें उनके दोस्त पीके-11 के नाम से जानते हैं। क्योंकि, शाकिर पढ़ाई के दौरान पीके-11 टीम के लिए बॉलिंग किया करते थे। साल 1993 में इंटर की परीक्षा पास की। वह कहते हैं, ‘मैं 12वीं की पढ़ाई के दौरान घर से स्कूल जाने की बात कहकर निकलता और फिर मैच खेलने चंदौसी पहुंच जाता। वहां दिनभर क्रिकेट खेलता था। ज्ञानेंद्र पांडे के साथ 2 साल तक क्रिकेट खेला। मैंने उन्हें कई मौकों पर अपनी इनस्विंग गेंद पर आउट किया।’
मोहम्मद कैफ के साथ बरेली में क्रिकेट खेला
बीते दौर की क्रिकेट के मैदान की यादें आज भी शाकिर के जेहन में ताजा हैं, वो कहते हैं, ”1997-98 में बरेली में उड़ान कप टूर्नामेंट आयोजित किया गया। इसमें रणजी खेलने वाले खिलाड़ियों ने भी हिस्सा लिया। मोहम्मद कैफ और चेतन चौहान भी शामिल हुए। इस दौरान मैंने दोनों के साथ क्रिकेट खेला। उस समय कैफ में गजब की फुर्ती थी। कैफ को आउट करना आसान नहीं होता था। वे पिच पर बहुत तेज भागते थे। पलभर में वो सिंगल रन लेकर दूसरे छोर पर पहुंच जाते थे।
शाकिर ने बताया कि जब कैफ फील्डिंग करते, तो थ्रो से सबसे ज्यादा डर लगता था, क्योंकि कैफ के हाथ में अगर बॉल आ गई, तो सीधा थ्रो स्टंप पर ही लगता था। उस समय ही लगने लगा था कि उसमें आगे जाने की प्रतिभा है।
शाकिर उड़ान कप मैच का एक बहुत ही शानदार किस्सा बताना नहीं भूलते। उन्होंने कहा, बरेली कॉलेज में मैच चल रहा था। इसमें मैंने सामने छक्का मारा। गेंद कॉलेज के बाहर गई और एक बिल्डिंग में काम करने वाले मजदूर को लग गई। जिसमें मजदूर की नाक टूट गई। उस समय आयोजक और मैच के पैसों से उस मजदूर का इलाज कराया। बाद में मुझे डराया गया कि पुलिस तलाश रही है। इसके बाद मैंने कई मैच नहीं खेले।

शाकिर ने बताया कि एक दिन में 500 से 600 रुपए बच जाते हैं।
परिवार की जिम्मेदारी पड़ने पर छोड़ना पड़ा क्रिकेट
शाकिर बताते हैं, ‘उस समय एक मैच का प्राइज 5000 रुपए होता था। तब ये बड़ी रकम हुआ करती थी। मुझे गर्व है कि मेरे साथ खेलने वाले मोहम्मद कैफ, ज्ञानेंद्र पांडे और चेतन चौहान भारत के लिए खेले और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नाम कमाया। उड़ान के बाद मैंने रणजी के लिए ट्राई किया। लेकिन मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ। फिर भी मैं हार नहीं माना। मैं क्रिकेटर खेलता रहा।’
उन्होंने कहा, ‘इसके बाद घरवालों को मेरी करियर की चिंता सताने लगी। घरवालों को लगा कि शादी कर देंगे, तो जिम्मेदारी कंधों पर आएगी, तो शायद कुछ करने लगूंगा। फिर 2003 में मेरी शादी हो गई। पारिवारिक जिम्मेदारी पड़ने के बाद मुझे मजबूरन क्रिकेट छोड़ दिल्ली कमाने जाना पड़ा। 4 साल यानी 2007 तक मैंने वहां पर प्राइवेट नौकरी की।’
शाकिर हर दिन फूल बेचकर कमाते हैं सिर्फ 500 रुपए
शाकिर बताते हैं, ‘इसके बाद दिल्ली से बरेली आ गया। फिर मैं बरेली में ही एक फैक्ट्री में जरी का काम करने लगा। कुछ दिन बाद मैं बीमार पड़ गया। पत्नी भी बीमार हो गई। बीमारी से ठीक होने के बाद कुछ दिनों तक काम नहीं किया। इसके बाद 2015 तक जरी का काम किया।
2017 में फूल की दुकान लगाने लगा। मैं फूल को हर दिन सुबह मंडी से खरीदता लाता हूं। फिर दरगाह आला हजरत के बाहर बेचता हूं। दिनभर में 500 से 600 रुपए मिल जाते हैं। गुरुवार को दरगाह पर अधिक लोग आते हैं. तो उस दिन आमदनी 1 हजार रुपए तक पहुंच जाती है। कोरोना काल में आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई थी।’

शाकिर के साथ खेलने वाले तीन खिलाड़ी इंटरनेशनल खेले।
मोहम्मद कैफ का क्रिकेट करियर
- 1980 में प्रयागराज में जन्मे मोहम्मद कैफ ने 125 मैच के अलावा 13 टेस्ट मैच खेले। 29 IPL मैच के अलावा प्रथम श्रेणी के 186 मैच खेले। साल 2000 में अंडर 19 विश्वकप में कप्तानी भी की।
ज्ञानेंद्र पांडे का क्रिकेट करियर
- लखनऊ के रहने वाले ज्ञानेंद्र पांडे बाएं हाथ के बल्लेबाज रहे हैं। उन्होंने 1999 में दो वनडे मैच खेले। जबकि उन्होंने 100 प्रथम श्रेणी मैच खेलते हुए 37 के औसत से 4552 रन बनाए।