घर की मुर्गी दाल बराबर, ये कहावत तो आपने सुनी होगी. आमतौर पर इसका इस्तेमाल उसके लिए होता है, जब घर में महंगी चीज हो तो उसकी कीमत बहुत मायने नहीं रखती. लेकिन क्या आपको पता है कि पुराने जमाने में गरीबों की मुर्गी किसे कहते थे? क्यों ऐसी कहावत सामने आई. औपनिवेशिक काल में तो यह कहावत खूब चलन में थी. आप जानकर हैरान होंगे कि आज इस फूड को अमीर लोग बेहद चाव से खाते हैं. कई लोगों की डिनर टेबल पर तो यह हमेशा मौजूद होता है.
आपने झींगा के बारे में तो सुना होगा. बहुत सारे लोगों ने खाया भी होगा. लेकिन आज हम आपको इसके बारे में कुछ ऐसे तत्थ्य बताने जा रहे हैं, जिसे पहले शायद ही आपने सुना होगा. हम सब जानते हैं कि झींगा एक समुद्री भोजन है जो पोषक तत्वों से भरपूर है. कम कैलोरी वाला यह फूड प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है. इसमें कई तरह के विटामिन, मिनरल्स और ओमेगा 3 फैटी एसिड होते हैं, जो वजन घटाने में काफी मददगार हैं. यह हृदय की बीमारी का जोखिम कम करता है. बुढ़ापा जल्दी आने से रोकता है. लेकिन इसके अलावा भी इसकी कहानी काफी अनोखी है.
सूअरों और बकरियों को भी खिलाते थे इसे
औपनिवेशिक काल में झींगा को गरीब आदमी की मुर्गी कहा जाता था. बेहद गरीब इसका इस्तेमाल करते थे. यहां तक कि इसे सूअरों और बकरियों को भी खिलाया जाता था. कुछ स्थानों पर तो झींगा मछलियों को समुद्र के तिलचट्टे के रूप में भी जाना जाता था. ऐसा इसलिए क्योंकि वे प्रचूर मात्रा में उपलब्ध थे और बेहद सस्ती कीमत में मिल जाते हैं. गरीबों की मुर्गी भी इसीलिए कहा जाता था. इसीलिए सभी कैदियों तक को झींगा मछली खिलाई जाती थी. हालांकि, तब इन्हें बेस्वाद भी माना जाता था.
जॉर्ज बुश को बेहद पसंद झींगा मछली
एक रिपोर्ट के मुताबिक, 20वीं सदी तक जब रेस्टोरेंट में ग्राहकों को इसे परोसा जाने लगा तब तक भी झींगा मछली उतनी पॉपुलर नहीं थी. कुछ लोग इसे मंगाया करते थे. लेकिन इसके पकाने के तरीके ऐसे लोकप्रिय हुए कि धीरे-धीरे यह स्वादिष्ट व्यंजन बन गया. ऐसा कहा जाता है कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश अपनी पत्नी के साथ जब भी डिनर करते थे तो झींगा जरूर खाते थे. रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जाता है कि अमेरिका में ज्यादातर लोग झींगा के व्यंजन खाना पसंद करते हैंं.
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FIRST PUBLISHED : November 25, 2023, 06:46 IST