कुली परिवार का लड़का, छोटी-सी दुकान से शुरू किया धंधा, इडली-डोसा बेच बेचकर बना दी 2,000 करोड़ की कंपनी


कहते हैं मेहनत से हर मुकाम हासिल किया जा सकता है. पीसी मुस्तफा (PC Mushtafa) ने भी अपना मुकाम पाया. वे एक कुली परिवार में पैदा हुए. बचपन में गरीबी देखी. उनके पास इतना भी पैसा नहीं था कि वे अच्छे स्कूल में बुनियादी शिक्षा ले पाते. जैसे-तैसे मेहनत से कुछ कमाया और अपनी पढ़ाई पूरी की. इसके बाद नौकरी की. मगर वह नौकरी उनके सबसे बड़े सपने के रास्ते का रोड़ा बन गई. ऐसे में नौकरी छोड़ी और खुद का बिजनेस शुरू कर दिया. शुरुआत धीमी रही, मगर बाद में बिजनेस ऐसा चला कि आज उनकी 2,000 करोड़ रुपये की कंपनी है. केवल एक मिक्सर, एक ग्राइंडर और एक सेकेंड हैंड स्कूटर के साथ उन्होंने अपना सफर शुरू किया था.

पीसी मुस्तफा ने इडली और डोसा का स्टार्टअप शुरू करके आज उसे एक बड़ी कंपनी में तब्दील कर दिया है. अपना काम शुरू करने से पहले वे दुबई में सिटीबैंक में एक नौकरी कर रहे थे. नौकरी ने उनकी तमाम इच्छाएं पूरी कीं, सिवाय एक के, कि उनकी अपनी कंपनी हो. अब उनकी अपनी कंपनी है. कंपनी का नाम है आईडी फ्रेश फूड -इंडिया- प्राइवेट लिमिटेड (iD Fresh Food -India- Pvt Ltd.).

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नौकरी छोड़कर लौटे मुस्तफा
अपनी दिली इच्छा लिए पीसी मुस्तफा भारत वापस आए. IIM बैंगलोर के एक कोर्स किया. इसी दौरान उन्होंने पाया कि भारत में घरों में (दक्षिण भारत को छोड़कर) साउथ इंडियन ब्रेकफास्ट के लिए कोई विकल्प नहीं है. इस समस्या को लेकर अपने चार चचेरे भाइयों के साथ चर्चा की और एक आइडिया निकाला. आइडिया था कि एक बैटर (इडली, डोसा बनाने का घोल) बनाने वाली कंपनी बनाई जाए, ताकि लोग घर पर दक्षिण भारतीय ब्रेकफास्ट बना सकें. इसी आइडिया को अमली-जामा पहनाते हुए 2005 में, इडली डोसा (आईडी) फ्रेश फूड्स ने सिर्फ 50,000 रुपये के साथ शुरू किया.

50 वर्ग फुट की दुकान से शुरू किया काम
बैंगलोर में 50 वर्ग फीट की दुकान से काम शुरू किया गया. पीसी मुस्तफा अपने बैटर को परीक्षण (Test) करना चाहते थे. बैटर अच्छा और स्वादिष्ट था, तो मुस्तफा ने सोचा कि वह रोज के 100 पैकेट्स तो सेल कर ही लेंगे. लेकिन यह इतना आसान नहीं रहा. उन्हें रोज 100 पैकेट की सेल तक पहुंचने में 9 महीने लग गए. धंधा स्लो जरूर था, मगर फायदा देने वाला था. मुस्तफा ने अपने काम को विस्तार देने के बारे में सोचा, लेकिन हर निवेशक ने उन्हें “बोरिंग” करार दिया. अब मुस्तफा के पास केरल में अपनी ज़मीन बेचने के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं था.

बिजनेस चला तो उठाया पूरा लाभ
ज़मीन के पैसे से, आईडी फ्रेश फूड्स ने एक 550 वर्ग फीट की जगह में उत्पादन शुरू किया. मुस्तफा ने रोज़ाना 100 पैकेट इडली बैटर बेचा. इडली बैटर को लोगों ने हाथों-हाथ लेना शुरू कर दिया. अब कंपनी ने रोजाना 2000 किलो बैटर बनाना शुरू किया. जल्दी ही कंपनी का रेवेन्यू प्रति महीना 1 करोड़ रुपये तक पहुंच गया.

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क्वालिटी और टेक्स्चर पर मुस्तफा खुद नजर रख रहे थे. इसी के साथ ही उन्होंने मालाबार परांठा और रोटी का काम भी शुरू कर दिया. इसी दौरान, उन्होंने अपने बिजनेस को हैदराबाद और मुंबई के 10 और शहरों में फैला दिया.

अज़ीम प्रेमजी भी हुए दीवाने
2014 तक, मुस्तफा ने अपना बिजनेस वहां पहुंचा दिया, जहां वह कभी नौकरी किया करते थे – दुबई. हेलियन वेंचर्स ने उनके काम में भरोसा जताते हुए 35 करोड़ रुपये निवेश किया. पूंजी आने के साथ, आईडी फ्रेश फूड्स ने 2015 में 100 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्त किया. इसने रोज़ाना 50,000 किलो बैटर, 40,000 चपाती और 200,000 परांठे बेचे. व्यापार इतना पॉपुलर हो गया था कि अज़ीम प्रेमजी भी उनके ग्राहक बन गए और 2017 में प्रेमजी ने 170 करोड़ रुपये निवेश कर दिया. सुपरफूड्स रेंज में विविधता लाने के साथ, मुस्तफा ने रागी बैटर, दही और पनीर भी बाजार में उतार दिए. उन्होंने बैंगलोर के अनेकल (Anekal) में एक 80,000 वर्ग फीट की फैक्ट्री भी खोल दी.

2023 में, आईडी फ्रेश फूड्स ने 500 करोड़ का टर्नओवर पूरा किया, जिससे उनका मूल्यांकन 2000 करोड़ रुपये तक पहुंचा. उनकी कंपनी छह मेगा फैक्ट्रियों में रोज 2,50,000 किलो बैटर और 52,000 परांठे प्रोसेस करती है. उन्होंने बैंगलोर, चेन्नई और केरल के क्षेत्रों से 800 गांववालों को नौकरी भी दी है.

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