केरल उपभोक्ता आयोग ने शादी समारोह में खाने के बाद फूड पॉइजनिंग का शिकार हुए मेहमान को 40,000 रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया


जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, एर्नाकुलम ने एक फूड कैटरिंग सेवा देने वाले को एक शिकायतकर्ता को 40,000 रुपये मुआवजे के रूप देने का आदेश दिया, शिकायतकर्ता एक शादी समारोह में परोसे गए खाने से का सेवन करने से फूड पॉइजनिंग का शिकार हो गया था।

आयोग के अध्यक्ष डी बी बिणु और सदस्य वी रामचंद्रन और श्रीविधिया टी एन की खंडपीठ ने पाया कि कैटरिंग सेवकों के द्वारा असुविधा से शिकायतकर्ता को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा जो की सेवा में कमी माना जाएगा।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि शादी समारोह में कैटरिंग सेवकों के द्वारा परोसे गए भोजन को करने से उसको पेट के रोगों से संबन्धित तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

शिकायतकर्ता ने बताया कि उसको डायरिया से निदान पाने क लिए तीन दिनों तक अस्पताल में भर्ती होना पड़ा जिसमे कुल 11,845 रुपये का इलाज खर्च आया। साथ ही उसने बताया की समारोह में उपस्थित अन्य कई और लोग भी डायरिया और उल्टी के शिकार हुये।

इस प्रकार शिकायतकर्ता के द्वारा 50,000 रुपये मुआवजे के रूप में मांग करते हुये आरोप लगाया गया कि असुरक्षित भोजन परोसना सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार है।

खंडपीठ ने यम रेस्टोरेंट्स (इंडिया) (पी) लिमिटेड बनाम किशन हेगड़े (2020) मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता निवारण आयोग के फैसले का हवाला दिया, जिसमें यह निर्धारित किया गया था कि यदि किसी उपभोक्ता द्वारा एक हलफनामा दायर किया गया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उसे परोसा गया भोजन सड़ा हुआ या बासी है, तो हलफनामा अपने आप में उपभोक्ता पर प्रारंभिक जिम्मेदारी का निर्वहन करने के लिए पर्याप्त होगा।

यह सुनिश्चित करते हुए कि असुरक्षित भोजन परोसने में कैटरिंग सेवकों का कार्य सेवा में कमी के समान है, आयोग ने उसे मुआवजे के रूप में 30,000 रुपये और कार्यवाही की लागत के लिए 10,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया।

शिकायतकर्ता के वकील: टॉम जोसेफ

केस टाइटल: उन्मेष वी वी विजयन जॉर्ज और अन्य।


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