इंस्टेंट नूडल्स तो हम बहुत लंबे समय से खाते आ रहे हैं, लेकिन कोरियन कल्चर की आंधी के बाद से रामेन नूडल्स का एक अलग ही चस्खा लोगों की जुबान पर चढ़ चुका है। कोरियन ड्रामा देखने वाले लोगों को यह अच्छी तरह पता है कि हम किस नूडल की बात कर रहे हैं। कोरिया में रामेन एक इमोशन है और वही इमोशन के-ड्रामा देखने वालों तक बखूबी पहुंचा है।
जापानी ड्रामा हो या फिर कोरियन नूडल्स खाने का शौक हमें ड्रामाज और सोशल मीडिया पर नई रेसिपीज देखकर लगा है। अब नूडल्स तो आपने भी खाए होंगे, लेकिन क्या आपको रामने नूडल्स से जुड़े फैक्ट्स पता हैं? हमें पता है कि कई लोगों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होगी, इसलिए रामेन के बारे में नई जानकारी हम आपको बताने जा रहे हैं।
रामेन नूडल्स की उत्पत्ति की कहानी
जब भी रामेन नूडल्स की उत्पत्ति की बात आती है, तो लोग जापान का नाम लेते हैं। मगर इसके इतिहास के बारे में स्पष्ट जानकारी लोगों को कम है। ऐसा माना जाता है कि रामेन नूडल्स पहली बार मीजी काल (1868-1912) के दौरान जापान पहुंचे थे। वास्तव में, ‘रेमन’ शब्द चीनी नूडल, लैमियन का जापानी उच्चारण है। 1950 के दशक से पहले, जापान में इन इंस्टेंट नूडल्स को केवल ‘शिना सोबा’ या ‘चीनी सोबा’ कहा जाता था।
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जापान में रामेन नूडल्स की लगभग 22 वर्जन हैं
हुई न आपको भी हैरानी? इस डिश के सारे बेसिक, इसके सूप, टॉपिंग्स और नूडल्स में शामिल हैं। मगर जापान का हर एरिया इसे एक नए तरीके से बनाने और परोसने के लिए जाना जाता है। जापान में जगह-जगह इसके टॉपिंग्स और सूप के साथ एक्सपेरिमेंट होता है। कितना सूप, कितना नमक, कौन-सी टॉपिंग्स होंगी, ये हर क्षेत्र में अलग होता है। यही कारण है कि रामेन नूडल्स के वहां 22 वर्जन देखे जाते हैं।
बाकी नूडल्स से अलग होते हैं रामेन
अगर आपने कभी यह नूडल टेस्ट किया होगा, तो आपको पता होगा कि यह फर्म होता है। बाकी नूडल्स की तरह यह एकदम से गल नहीं जाता है। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है और रामेन को कौन-सी चीज़ अलग बनाती है? ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि उनमें कंसुई (Kansui) नामक अल्कलाइन मिनरल वॉटर का इस्तेमाल होता है। यह पानी रामेन को थोड़ा-सा पीला, फर्म और चबाने योग्य बनावट देता है। यही कारण है कि रामेन नूडल्स बहुत जल्दी नरम नहीं होते।
द्वितीय विश्व युद्ध की देन है रामेन नूडल्स
जापान, चीन और कोरिया में आज भले ही यह एक स्टेपल और आसानी से प्राप्त होने वाला फूड है, लेकिन एक समय था जब इसे लग्जरी माना जाता है। इतना ही नहीं, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद तक रामेन जापान में बहुत लोकप्रिय हो गया था। इस विश्व युद्ध के दौरान जापानी बाजार में संयुक्त राज्य अमेरिका से काफी आटा आया। यह सस्ता था, तो लोगों ने इससे नूडल्स बनाने शुरू किए। दो जापानी ट्रूप्स ने चीन में रहते हुए नूडल्स तैयार किए। इसके बाद, जापान लौटने के बाद उन्होंने में चीनी रेस्तरां और नूडल्स की दुकानें स्थापित कीं। बस तभी से जापानियों ने इसकी उत्पत्ति को अपना नाम दे दिया।
रामेन के नाम पर खुल गया म्यूजियम
किसी कोई कोई चीज़ कितनी पसंद आ सकती है कि वह उसके लिए म्यूजियम बना दे? जापानियों का रामेन प्रेम इतना बढ़ गया था कि उन्होंने इसके लिए म्यूजियम तक बना दिया। जी हां, आपको सुनकर हैरानी होगी लेकिन योकोहामा में एक रामेन म्यूजियम है। इसे फूड-थीम माले एंटरटेनमेंट पार्क के नाम से जाना जाता है, जिसे साल 1994 में खोला गया था। 1958 में क्योंकि रामेन का आविष्कार हुआ था, इसलिए इसे भी उस पार्क का हिस्सा बनाया गया। इसके अलावा इस पार्क में पुरानी शैली का बार, नाश्ते की दुकानें और एक सुवेनियर्स की दुकान भी है।
जापान को रामेन नूडल्स पर है गर्व
हमारे देश में कुछ अच्छा हुआ हो, तो हर भारतीय का सीना गर्व से फूल जाता है। अब जैसे पिछले साल हम चांद पर पहुंचे, तो हर किसी को गर्व से यह बात बताते हैं। इसी तरह जापान (जापान का रेस्टोरेंट ऑफ मिस्टेकन ऑर्डर्स) को अपने इस आविष्कार पर बड़ा गर्व है। जापान ने वैसे तो हर कदम पर नई-नई चीजों से हमें रूबरू करवाया है। जापान को टेक्नोलॉजी में बादशाह माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह ऐसा देश है, जो आज 2050 में जी रहा है।
जापान ने हमें वॉकमेन, निनटेंडो और कैरीओके से रूबरू करवाया, लेकिन जापान को रामने की उत्पत्ति पर गर्व होता है। 2000 में, फूजी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने जापानी लोगों का एक सर्वेक्षण किया, जिसमें उनसे पूछा गया कि उन्हें बीसवीं सदी की सबसे बड़ी अचीवमेंट क्या लगती है और उन्होंने इंस्टेंट नूडल्स रामेन का नाम लिया था।
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देखा आपने, कितने दिलचस्प फैक्ट्स हैं एक रामेन नूडल्स के। इसके अलावा भी ऐसी कई चीजें हैं, जो इस नूडल को खास बनाती है। वो फैक्ट्स हम आपको आगे आर्टिकल्स में जरूर बताएंगे।
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