‘फुकरे 3’ निकम्मे लोगों के राजनीति में प्रवेश करने की कहानी है. सेकेंड पार्ट की घटनाओं के बाद हनी (पुलकित सम्राट), चूचा (वरुण शर्मा), लाली (मनजोत सिंह), और पंडित (पंकज त्रिपाठी) दिल्ली सरकार द्वारा प्रदान किये गये स्टोर को चलाना जारी रखते हैं. हालांकि, कारोबार मंदा है. इस बीच भोली पंजाबन (ऋचा चड्ढा) जनहित समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव में खड़ी हुई हैं. वह हनी, चूचा, लाली और पंडित से उसकी मदद करने और जरूरत पड़ने पर चूचा के ‘देजा चू’ का उपयोग करने के लिए कहती है. हालांकि, अभियान के दौरान चूचा, अनजाने में, शो चुरा लेता है और आम जनता का पसंदीदा बन जाता है. चारों ने फैसला किया कि चूचा को भी चुनाव लड़ना चाहिए और भोली को हराना चाहिए. उनका मानना है कि एक बार जीतने के बाद वह निवासियों के लिए कुछ भी सार्थक नहीं करेगी. हालांकि, प्रचार के लिए पैसे की जरूरत होती है, जो फुकरे गैंग के पास नहीं है. तभी उन्हें दक्षिण अफ्रीका से मौका मिलता है. शुंडा सिंह अहलूवालिया (मनु ऋषि चड्ढा) एक खदान का मालिक है और हीरे खोजने के लिए संघर्ष कर रहा है. चूचा को ‘देजा चू’ के उपयोग के जरिये हीरे खोजने में मदद करने के लिए वहां आमंत्रित किया गया है. कुल मिलाकर यह फिल्म मनोरंजन से भरपूर है.