हाइलाइट्स
गली क्रिकेट में एक महत्वपूर्ण फील्डिंग पोजिशन है, जहां से खूब रन चुराए जाते हैं तो कैच भी पकड़े जाते हैं
पहले क्रिकेट की फील्डिंग में गली की पोजिशन नहीं थी, वो कहां से और कैसे आई
बनारस की गलियां पूरी दुनिया में मशहूर हैं तो पुरानी दिल्ली की गलियों का कहना ही क्या. वैसे तो यूरोप से लेकर खाड़ी के सारे ही देशों में संकरे पतले रास्तों या गलियों का खूब विकास हुआ, जिसमें बीच के पतले रास्ते के इर्द-गिर्द कई मंजिलों के मकान खड़े हुए. गली शब्द का उच्चारण अब दो ही जगह होता है एक तो भारत में और दूसरा क्रिकेट में. क्या क्रिकेट की पोजिशन गली को उसका ये नाम भारत की गलियों से मिला.
ये जानना वाकई रोचक होगा कि क्रिकेट की गली और भारत की गली में कोई रिश्ता है या नहीं. जब क्रिकेट का 17वीं सदी में विकास हो रहा था , तब इसके पास गली जैसी कोई पोजिशन नहीं थी. वो कई दशकों बाद इससे जुड़ी. वैसे भारत में सैकड़ों सालों से पुराने शहरों में गलियां बनीं. कुछ अभी तक गुलजार हैं और कुछ समय के साथ वीरान पड़ गईं.
शहरों की गलियां और क्रिकेट की गली
गलियों को लेकर हम भारतीयों ने बहुत फैंटेसी, बहुत गाने बनाए. फिल्मों के नाम गढ़े. डॉयलॉग लिखे गए. साहित्य में गलियों को लेकर बहुत कुछ कहा गया. बनारस की गलियां तो बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हैं. इस शहर की कुछ गलियां 150 तो कुछ 200 सालों से ज्यादा पुरानी हैं और ज्यों की त्यों हैं. दुनियाभर में अब गलियों को गलियां बोलना भी शायद भारत में ही सीमित है. लेकिन सवाल फिर वहीं है कि क्रिकेट की एक फील्डिंग पोजिशन को जो नाम गली दिया गया, वो कहां से कैसे आया.
कैसे रखा गया क्रिकेट में गली पोजिशन का नाम
क्योंकि आप क्रिकेट की फील्डिंग पोजिशन के बारे में जब सुनते हैं तो वो सुनना अक्सर सवाल पैदा करता है कि ये नाम आखिर कैसे रखे गए होंगे. और इन पोजिशन के नामों के जरिए हम क्रिकेट में किसी भी फील्डिंग की स्थिति को जान-पहचान पाते हैं. अब जैसे स्क्वेयर, फाइन, बैकवर्ड और फारवर्ड, वाइड और स्ट्रैट, डीप और शार्ट. इससे ये पता लगता है कि कहां आगे पीछे कौन सा क्षेत्ररक्षक खड़ा है.
क्रिकेट की गली तो अपनी जगह मुकम्मल है लेकिन …
अब जैसे आप सोचेंगे तो जरूर कि ये नाम स्लिप, गली, मिडविकेट, कवर कहां से कैसे आया होगा. इनकी रोचक दास्तान तो होनी ही चाहिए. पहले बात गली की ही करते हैं, जो हमारे देश में पुराने रिहायशी इलाकों के साथ ऐसी जुड़ी थी कि अब तक जुड़ी थी. पहले गलियां होती थीं और उनसे मोहल्ले बनते थे. अब गलियां नई बस्तियों में रही नहीं लेकिन क्रिकेट में जरूर पुख्ता तौर पर बरकरार है.
क्रिकेट में क्षेत्ररक्षण करते समय फील्डर जब गली पर खड़ा होता है तो वो जगह तीर के जरिए दिखाई गई है.
क्या होता है गली का मतलब
वैसे अंग्रेजी में जब आप गली यानि Gully लिखते हैं तो इसके कई मतलब हो सकते हैं – गली, नाली, नाला, खड्ड, जलमार्ग, गढ़ा, घट्टा, अवनालिका, खाई, तंग वादी, ख़ंदक़. Gully का मतलब एक लंबी संकरी घाटी भी हो सकता है जिसके किनारे खड़े हों. यानि गली का मतलब संकरे रास्ते या फिर पतले जल मार्ग से होता है तो ये शब्द क्रिकेट में कैसे आया. क्या इसका भारत की गलियों से कोई लेना देना है.
गलियों से इसका क्या रिश्ता
इसका जवाब है कि क्रिकेट फील्डिंग में गली पोजिशन का भारत की गलियों से केवल इतना सा रिश्ता है कि इसका नाम भी जब दिमाग में आया तो पतले और संकरे मार्ग के तौर पर ही आया. किस सज्जन ने क्रिकेट पोजिशन में गली नामकरण किया और कब किया, ये भी हम आपको बताएंगे.
ये हैं क्रिकेटर आर्थर जोंस, जिन्होंने फील्डिंग पोजिशन गली का नामकरण किया. (विकी कामंस)
क्रिकेट में गली कहां
क्रिकेट में गली पोजीशन का नाम पॉइंट और स्लिप के बीच के संकीर्ण चैनल या संकरी जगह के नाम पर रखा गया. गली की स्थिति क्रिकेट मैदान पर स्टंप्स के बगल के स्लिप और प्वाइंट के बीचों बीच होती है. अक्सर कुशल बल्लेबाज इस जगह की ओर बल्ले से बॉल प्लेस करके बहुत रन चुराते हैं. लिहाजा गली हमेशा बहुत महत्वपूर्ण भी होती है, जहां अच्छे फील्डर की दरकार होती है.
पहले गली पोजिशन को किस नाम से जानते थे
वैसे गली पोजीशन को पहले शॉर्ट थर्ड मैन के नाम से जाना जाता था. तब थर्ड मैन की स्थिति मूल रूप से पॉइंट और स्लिप के बीच थी, लेकिन बाद में थर्ड मैन की पोजिशन विकेट में काफी पीछे की ओर कर दी गई, जहां खड़े फील्डर को बहुत भागना होता है. आमतौर पर जब गली की बात करते हैं तो ये ऑफ साइड की ओर माना जाता है लेकिन गली की स्थिति जब लेग साइड की ओर होती है तो इसे लेग गली कहते हैं.
किसने दिया ये नाम
क्रिकेट में गली पोजीशन का आविष्कार 1880 के दशक में आर्थर जोन्स द्वारा किया गया था, जो बाद में इंग्लैंड के कप्तान बने. एक तरह से गली क्रिकेट फील्डिंग में स्लिप और प्वाइंट के बीच का सेतु बनकर काम करती है. इस शब्द का पहला ज्ञात प्रयोग 1657 में माना जाता है.
गलियों की बात की जाए तो बनारस की गलियां फेमस हैं तो पुरानी दिल्ली की गलियां भी.
भारत की गलियां
वैसे भारत में दो जगह की गलियां बहुत प्रसिद्ध हैं एक तो पुरानी दिल्ली की कई नामों वाली गलियां और इसमें भी सबसे पराठें वाली गली. दूसरी बनारस की पतली पतली चकरघिन्नी बना देने वाली गलियां. बनारस की गलियां दुनिया भर में मशहूर हैं. इन गलियों को भूलभुलैया और रहस्यमय संसार भी कहा जाता है. मसलन – कचौरी गली, विश्वनाथ गली, कालिका गली, गोला दीनानाथ की गली.
हालांकि देश की अधिकांश पुरानी गलियां मुगलों के समय में बनना शुरू हुईं. ज्यादातर पुराने शहरों में पुराने जमाने में बनी गलियां उसी समय बनीं और इनका नामकरण किया, तो ये कहा जा सकता है कि गली की अवधारणा इस देश में अंग्रेजों से पहले मुगल लेकर आए और गली शब्द उन्हीं के समय प्रचलित हुआ होगा. लाहौर की गलियों के पुराने चित्र देखें तो आप अब भी वाह वाह कर उठेंगे. एक जमाने में गलियां शहरों की शान और फैशन थीं. हालांकि अब पुरानी संस्कृति की पहचान.
इस हिसाब से देखें तो लगता है कि जब क्रिकेट के फील्डिंग पोजिशन में आर्थर जोंस ने जब गली नामकरण किया, उससे पहले ही गलियां भारत में आबाद हो चुकी थीं और उन्हें गली के रूप में बोलने लगे थे.
मुगल 1526 में भारत आए. इसके बाद उन्होंने भारत पर शासन करना शुरू किया. 1700 तक अधिकांश उपमहाद्वीप पर मुगलों का शासन था. इस दौरान मुगलों ने दिल्ली, आगरा, इलाहाबाद और तमाम शहरों में तमाम गलियां बसाईं. गलियां उन दिनों शान की प्रतीक होती थीं. तब गलियों के जरिए भारत में नए शहरों ने अक्श लेना शुरू किया था. इन्हीं गलियों में जीने वाले गालिब ने फरमाया था,
“अपनी गली में मुझ को न कर दफ़्न बाद-ए-कत्ल…मेरे पते से खल्क को क्यूं तेरा घर मिले…”
जोंटी रोड्स का गली में कोई जवाब नहीं था
वैसे खैर अब बात इस बात से खत्म करते हैं कि क्रिकेट में गली का अब तक का सबसे बेहतरीन फील्डर कौन माना जाता रहा है. इसमें अब भी बेहतरीन फील्डर के तौर पर जांटो रोड्स का नाम लिया जाता है. जो दन्न से रन भी रोकते थे और हवा में गोता मारते हुए कैच भी पकड़ लेते थे.
शहरों की गलियां और क्रिकेट की गली दोनों खास
शहरों की गलियां और क्रिकेट की गली दोनों खास हैं. एक किसी शहर के फलेफूले कैरेक्टर की कहानी कहती है तो दूसरी उस जगह की जहां से बहुत रन बनते हैं, कैच उठते, गिरते और लपके जाते हैं. दोनों ही जगहें बहुत जीवंत हुआ करती हैं.
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Tags: Cricket, Cricket world cup, Former Fielding Coach, Gully Boy
FIRST PUBLISHED : November 17, 2023, 15:50 IST