क्रिकेट की पिच पर मुख्तार को देखकर प्यार में बोल्ड हो गई थी अफशां, माफिया की वो प्रेम कहानी


गाजीपुर: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से निकलकर देश के आठ राज्यों में अपने माफिया का साम्राज्य बढ़ाने वाले मुख्तार अंसारी की मौत हो गई। बांदा जेल में हार्ट अटैक के बाद उसे आनन- फानन में मेडिकल कॉलेज में लाया गया। वहां उसने आखिरी सांस ली। माफिया के तौर पर पूर्वांचल को दहलाने वाला माफिया आखिरी समय में खौफ के साए में था। एक ऑडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह न बच पाने की बात करता दिख रहा है। मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उसके जीवन पर चर्चा शुरू हो गई है। मुख्तार अंसारी किसी आपराधिक पृष्ठभूमि से नहीं था। उसका परिवार बेहद इज्जतदार था।मुख्तार अंसारी के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। महात्मा गांधी जी के बेहद करीबी, अहिंसा को मानने वाले नेता के रूप में उनकी पहचान थी। पिता भी साफ सुथरी छवि के नेता थे। उनकी अपने इलाके में खासी इज्जत थी। मुख्तार के नाना सेना में अधिकारी थे। उन्हें वीरता के लिए महावीर चक्र भी दिया गया। मुख्तार अंसारी का बचपन ठीक-ठाक था। अच्छी पढ़ाई-लिखाई, अच्छे कॉलेज में दाखिला हुआ था।

क्रिकेटर बनने का था शौक

मुख्तार अंसारी के पिता शानदार क्रिकेट खेलते थे। दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज के क्रिकेट कप्तान थे। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान मुख्तार ने भी पिता की तरह क्रिकेट खेलना शुरू किया। गाजीपुर में पढ़ाई के दौरान मुख्तार ने क्रिकेट पर फोकस किया। वह क्रिकेटर बनना चाहता था। रोज स्टेडियम जाकर प्रैक्टिस करता। मुख्तार की पर्सनालिटी भी काफी अच्छी थी।

मुख्तार को क्रिकेट खेलता देख पास के ही कॉलेज में पढ़ने वाली लड़की उस पर फिदा हो गई। वह अफशां अंसारी थी। अफशां ने जब मुख्तार के सामने अपने प्यार का इजहार किया तो मुख्तार भी उस पर फिदा हो गया।

1989 में हुआ निकाह

अफशां असारी ने क्रिकेट के मैदान में मुख्तार को देखकर उससे नजदीकी बढ़ाने का निर्णय लिया। वह मुख्तार अंसारी का क्रिकेट देखने रोज स्टेडियम आने लगी। किसी न किसी बहाने अफशां और मुख्तार की बातचीत होने लगी। इसके बाद दोनों के बीच दोस्ती हो गई। दोनों ने बाद में इस दोस्ती को रिश्ते में बदलने का मन गनाया। दोनों परिवारों को रिश्ते से कोई ऐतराज नहीं था। वर्ष 1989 में मुख्तार और अफशां ने निकाह कर ली।

अपराध में भी हमसफर

अफशां से शादी के बाद मुख्तार का मन क्रिकेट में नहीं रमा। उसने जुर्म का रास्ता अख्तियार कर लिया। नाम और पावर के चक्कर में जुर्म के दलदल में यह अच्छे परिवार का लड़का फंसता चला गया। हर जुर्म में उसकी पत्नी अफशां भी हमसफर रही। अपराध के बाद सजा से बचने के लिए मुख्तार ने राजनीति का रुख किया। अफशां शादी के बाद घर संभाल रही थी। शादी के तीन साल बाद वर्ष 1992 मुख्तार और अफशां के पहले बेटे अब्बास अंसारी का जन्म हुआ। वर्ष 1998 में दूसरा बेटा उमर अंसारी पैदा हुआ। जेल जाने के बाद मुख्तार और अफशां के वहां पर अवैध तरीके से रहने के आरोप लगे।

2005 में स्थायी तौर पर जेल जाने के बाद मुख्तार के काले साम्राज्य को अफशां ने टेकओवर कर लिया। बच्चों के बड़े होने के बाद मुख्तार के गैंग आईएस- 191 की कमान उसने अपने हाथों में ले ली। अफशां पर 11 केस दर्ज हैं। मुख्तार की रिवॉल्वर वाइफ के रूप में भी वह जानी जाती है। अभी फरार चल रही है। यूपी पुलिस ने उस पर 75 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है।


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