क्रिकेट की शेरनी हरमनप्रीत ने दहाड़ से दिया लोगों के तानों का जवाब, सबको अनदेखा कर पिता ने दिया साथ


क्रिकेट की शेरनी कही जाने वाली इंडियन वुमन क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर जब मैदान में उतरती हैं तो उनका बल्ला बोलता है, जिसकी आवाज पूरे हिंदुस्तान में गूंजती हैं। लेकिन जालंधर की इस लड़की की शेरनी बनने की कहानी बहुत ही प्रेरणादायक है।

जब एक बेटी खेल से जुड़ती है तो इसका सबसे पहला असर उसके परिवार पर पड़ता है, क्योंकि उन्हें समाज के ताने सुनने पड़ते हैं। लेकिन हर कदम पर अपनी बेटी के सपनों का साथ देने वाले हरमिंदर सिंह ने ये दिखा दिया कि जिस बेटी के पीछे उसका बाप खड़ा होता है उसके सपनों को खुले आसमान में उड़ने से कोई नहीं रोक सकता है। ऐसा होता है बाप-बेटी का प्यार। (फोटो साभार: इंस्टाग्राम @imharmanpreet_kaur)

लोगों ने कहा- बेटा होता तो अच्छा था

लोगों ने कहा- बेटा होता तो अच्छा था

हरमनप्रीत का जन्म 8 मार्च 1989 को हुआ था। एक ओर जहां हरमन के पिता हरमिंदर सिंह और बाकी परिवार घर में बेटी के होने की खुशी मना रहा था, वहीं लोग ताने दे रहे थे कि बेटा होता तो अच्छा होता। जिस घर में सिर्फ बेटियां होती है उन मां-बाप को ऐसे तानों का कभी न कभी सामना करना पड़ता है, लेकिन हरमिंदर सिंह ने अपनी बेटी को इस मुकाम पर पहुंचकर सबको दिखा दिया कि चाहे बेटी हो या बेटा, बस बच्चे में काबिलियत होनी चाहिए।

पिता ने दिया बेटी का साथ

पिता ने दिया बेटी का साथ

जैसे-जैसे हरमन की उम्र बढ़ रही थी, क्रिकेट के लिए उनका प्यार भी आसमान छू रहा था। भारतीय महिला टीम की कप्तान का बचपन बहुत की कम संसाधनों में गुजरा था। गली में खेलती हरमन को 10वीं पास करने के बाद ट्रेनिंग के लिए भेज दिया और यहां उन्होंने अपने गेम पर फोकस किया। लोगों के तानों को अनदेखा कर हरमन के पिता ने उनका साथ दिया और आज आलम ये है कि हरमनप्रीत कौर काम नाम पूरे हिंदुस्तान का गर्व है।

ऐसे होता है बाप-बेटी का रिश्ता

ऐसे होता है बाप-बेटी का रिश्ता

हर घर में ऐसा ही होता है। कहा जाता है कि बेटा मां के करीब होता है बेटी बाप के, काफी हद तक ये सच भी है। आपका भी अपने पापा के साथ बहुत प्यार बोंड होगा। जिस तरह हरमन के पिता पैसे ना होते हुए भी बड़े बल्लों को चोट करते थे, ताकि बेटी खेल पाए, ये बाप का बेटी के लिए प्यार ही है। अपने पापा की मेहनत को सफल करना और उनका नाम रोशन करना, ये एक बेटी का अपने पापा की मेहनत का फल और प्यार ही तो है। हर कदम पर बेटी का साथ देना, उसपर भरोसा करना और लोगों के तानों को नजरअंदाज करना, ऐसा होता है बाप-बेटी का प्यार।

सपनों को पूरा करने में आती हैं ये बाधाएं

सपनों को पूरा करने में आती हैं ये बाधाएं

जिस तरह हरमन के पास खेल का परिवेश ना होना और लोगों के ताने सुनने जैसी दिक्कतें थी, उसी तरह आपकी लाइफ में भी लक्ष्य हासिल करने में कोई न कोई बाधा आड़े आई होगी या आ रही होंगी। शायद आपने लोगों को ऐसा कहते हुए भी सुना होगा कि ‘इनकी बेटी तो रात को लेट आती है’, ‘अपनी बेटी को पढ़ाते क्यों नहीं, खेल कर क्या करेगी’, या ‘अब तो उम्र हो गई है इसकी शादी कर दो’ आदि। अगर आपके सामने भी कई बाधाएं आ रही हैं तो उनसे लड़ें और आगे बढ़ें।

हम होंगे कामयाब

हम होंगे कामयाब

हमारे लिए कामयाबी का सबसे अच्छा उदाहरण हरमनप्रीत कौर हैं, जिन्होंने अपनी सभी कठिनाइयों को नजरअंदाज कर क्रिकेट की दुनिया में ऐसा मकाम हासिल किया है कि आज ये भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हैं और इनके बल्ले का बोलबाला है। आप भी इस शरनी की तरह अपने लक्ष्य का पीछा करें, यकीनन आपको भी जीत हासिल होगी। इसके अलावा चाहे जो कुछ भी हो जाए अपनी सोच को सकारात्मक रखें और हर काम को करते समय मन में यही ठान कर चलें कि सारी मुश्किलों के बाद हम होंगे कामयाब। जब आप मन लगाकर और अपनी पूरी मेहनत से काम करेंगे और लक्ष्य को साधते चलेंगे, तो एक या दो या तीन बार शायद आप विफल हो, लेकिन एक समय आएगा जब जीत आपके कदम चूमेगी।


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