क्रिकेट केवल खेल या व्यापार का जरिया? पढ़ें कैसे ICC टूर्नामेंट से हो रही अरबों की कमाई | cricket a game or a way of business know how icc tournaments earn a lot of money


खेल भले ही नहीं है लेकिन इससे होने वाला बिजनेस तेजी से विश्व स्तर पर पकड़ बना रहा है. इसके लिए फिलहाल एक ही चीज जोखिम का कारण बनी हुई है. वह है गेम आइडेंटिटी, आखिरकार गेम का रियल वर्जन कौन सा है? क्या यह टेस्ट क्रिकेट है, 50 ओवर का खेल या टी20?

आजकल दुनियाभर के हर बड़े स्पोर्टिंग टूर्नामेंट्स की शुरुआत एक रंगारंग ओपनिंग सेरेमनी के साथ होती है. हालांकि, भारत में फिलहाल आयोजित किए जा रहे एकदिवसीय विश्व कप के लिए इसे रद्द कर दिया गया था. लेकिन भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) ने अहमदाबाद में भारत और पाकिस्तान के बीच खेले जाने वाले हाई-वोल्टेज ड्रामे से पहले एक म्यूजिक कॉन्सर्ट की व्यवस्था की थी. इस बीच टूर्नामेंट के शुरुआती कुछ मैच आधे से ज्यादा स्टेडियमों में खेले गए हैं. यहां तक कि चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत के शुरुआती मैच में भी सीटें खाली थीं. आउटफील्ड के साथ-साथ दर्शकों के लिए सुविधाओं की, भारतीय क्रिकेट के दिग्गजों में से एक सुनील गावस्कर ने कड़ी आलोचना की है.

इस सब के बावजूद यह मेगा टूर्नामेंट ऐसी सभी खामियों को आसानी से नजरअंदाज कर सकता है क्योंकि टूर्नामेंट पहली गेंद फेंके जाने से पहले ही बहुत ज्यादा कमाई कर चुका है. बीसीसीआई ने पहले ही करोड़ों रुपये कमा लिए हैं और जब तक बोर्ड, टीमें, खिलाड़ी और स्पॉन्सर्स पैसा कमाते रहेंगे, तब तक क्रिकेट खेल से ज्यादा महज एक व्यापार बनकर रह जाएगा.

आंकड़ों को देखे तो सभी लोग तगड़ी कमाई करते नजर आ रहे हैं. सिवाय दर्शकों के. टीवी और डिजिटल दोनों प्लैटफॉर्म्स के लिए ऑफिशियल ब्रॉडकास्टर डिज्नी स्टार ने हिंदुस्तान यूनिलीवर, महिंद्रा एंड महिंद्रा और कोका-कोला सहित कई स्पोंसर्स के साथ करार किया है. इनसे की गई कमाई, कंपनी को भारत में अपनी ऐप डिज्नी प्लस हॉटस्टार के माध्यम से सभी मैचों की लाइव कवरेज मुफ्त में स्ट्रीम करने की अनुमति देती है. मनीकंट्रोल में एक लेख में सीनियर जर्नलिस्ट संदीप खन्ना ने इस पर विस्तार से चर्चा की है.

टूर्नामेंट में हिस्सा लेने वाली टीमों के लिए भी इनामी राशि बहुत बड़ी है. टूर्नामेंट की विजेता टीम को कुल 10 मिलियन डॉलर से 4 मिलियन डॉलर मिलेंगे, जबकि उपविजेता को 2 मिलियन डॉलर दिए जाएंगे. हालांकि, फुटबॉल विश्व कप जैसे खेल आयोजन की तुलना में, यह काफी कम है. कतर में पिछले फीफा विश्व कप की विजेता टीम अर्जेंटीना को रिकॉर्ड 42 मिलियन डॉलर की प्राइज मनी मिली थी.

फुटबॉल के लिए आईसीसी (क्रिकेट) जैसी संस्था फेडरेशन इंटरनेशनेल डी फुटबॉल एसोसिएशन (फीफा) ने टूर्नामेंट के लिए पुरस्कार राशि में 440 मिलियन आवंटित किए. यहां तक कि वह राशि भी 2022 में 4.6 बिलियन डॉलर के अपने बजट के सामने फीकी पड़ गई, जिसमें अकेले प्रसारण अधिकार से आय में 2.6 बिलियन डॉलर का योगदान था.

इसके मुकाबले स्टार ने 2023 को खत्म होने वाली आठ साल की अवधि के लिए केवल 2.02 बिलियन डॉलर का भुगतान किया था. दरअसल, स्टार ने 2015 में क्रिकेट के अलग-अलग विश्व कपों के प्रसारण अधिकार हासिल किए थे. इस बीच डिज्नी स्टार अगले चार सालों (2027 तक) के लिए 3 बिलियन डॉलर की पेशकश के साथ टॉप पर रहा, जिसमें टेस्ट चैंपियनशिप के अलावा एक दिवसीय और टी20 विश्व कप के प्रसारण अधिकार भी शामिल हैं.

खेल भले ही नहीं है लेकिन इससे होने वाला बिजनेस तेजी से विश्व स्तर पर पकड़ बना रहा है. इसके लिए फिलहाल एक ही चीज जोखिम का कारण बनी हुई है. वह है गेम आइडेंटिटी, आखिरकार गेम का रियल वर्जन कौन सा है? क्या यह टेस्ट क्रिकेट है, 50 ओवर का खेल या टी20? आने वाले पैसे और दर्शकों की रुचि को देखते हुए, यह आखिरी चीज है जो सभी का ध्यान खींच रही है, और साथ ही निवेश भी.

इंडियन प्रीमियर लीग ने बदला खेल का अर्थशास्त्र

मौजूदा समय में क्रिकेट की मेजर लीग्स और इंटरनेशनल टूर्नामेंट्स में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) सबसे बड़ा इवेंट है, जिसके एनुअल ब्रॉडकास्टिंग रेवेन्यू ने अब अमेरिकन नेशनल फुटबॉल लीग (एनएफएल) और इंग्लिश प्रीमियर लीग जैसे मेगा फुटबॉल लीगों की बराबरी कर ली है. इस साल के सीजन का एडवर्टाइजमेंट रेवेन्यू 10,000 करोड़ रुपये को पार कर गया था. आईपीएल की 10 टीमों में से किसी एक में हिस्सेदारी पाना भी एक रोमांचक व्यावसायिक अवसर के रूप में देखा जाता है.

दो साल पहले, रेडबर्ड कैपिटल पार्टनर्स, जिसकी इतालवी क्लब एसी मिलान में हिस्सेदारी है, उसने 250 मिलियन डॉलर वैल्यूएशन पर राजस्थान रॉयल्स में 37.5 मिलियन डॉलर में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी. सीवीसी कैपिटल पार्टनर्स जैसी अन्य प्राइवेट इक्विटी फर्मों ने भी तेजी से रिटर्न की उम्मीद में आईपीएल टीमों में निवेश किया है. आईपीएल ने खेल की इकॉनमी को उसी तरह से बदल दिया है, जैसे ऑस्ट्रेलियाई मीडिया टाइकून केरी पैकर की वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट ने 1977 में किया था.

क्रिकेट एकेडमी

आज कम्युनिटी पार्कों की तरफ नजर जाती है तो वह खाली नजर आते हैं. फिलहाल जगह-जगह क्रिकेट एकेडमीज खुल गई हैं, जिन्होंने उन मैदानों की जगह ले ली है जिन्होंने सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ियों को तैयार किया है. इन एकेडमीज में उत्सुक माता-पिता अपने बच्चों की कोचिंग पर बड़ी रकम खर्च करते हैं. क्रिकेट अब एक करियर है और ये एकेडमीज बिजनेस इकोसिस्टम का हिस्सा हैं.


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