जैसे-जैसे क्रिकेट का विस्तार होगा, टूर्नामेंटों की संख्या बढ़ेगी, प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, वैसे-वैसे इस तरह के मामले बढ़ेंगे. टाइम आउट का जो मामला 165 साल तक नहीं आया था, अब आ गया. विश्व कप 1975 से हो रहा है, उसमें भी पहले कभी ऐसा नहीं हुआ. जिस तरह नये-नये रिकॉर्ड बन रहे हैं, उसी तरह इस तरह के प्रकरण आयेंगे, जिन्हें हमें स्वीकार करना होगा. जो लोग खेल भावना की बात करते हैं, वे तो अपनी राय पर कायम रहेंगे, पर दूसरी धारा जो आयेगी, वह नियमों का हवाला देगी. उल्लेखनीय है कि पहले क्रिकेट के खेल का संचालन एमसीसी की नियमावली के अनुसार होता था. उसी के मानदंडों के अनुसार बल्ले के आकार-प्रकार से लेकर आउट होने के नियम माने जाते थे.