क्रिकेट में होती हैं कितनी फील्डिंग पोजिशंस, क्या होता है काऊ कॉर्नर


हाइलाइट्स

जब 17वीं शताब्दी में क्रिकेट शुरू हुआ तो मैदान पर केवल बॉलर और बैट्समैन ही होते थे, फिर धीरे धीरे फील्डर की जरूरत महसूस होने लगी
क्रिकेट में फील्डर की पोजिशन मुकम्मल तौर पर 19वीं शताब्दी में इसके नियमबद्ध होने के बाद पुख्ता हुई
क्रिकेट का मैदान बड़ा होता है और 10 फील्डर्स को ही इसमें गेंद को रोकना होता है और इसमें भी एक विकेटकीपर होता है

अहमदाबाद में कुछ देर बाद भारत और आस्ट्रेलिया की टीमों के बीच वर्ल्ड कप क्रिकेट का फाइनल मैच खेला जाएगा. इस मैच का रोमांच हर किसी के सिर चढ़कर बोल रहा है. दोनों टीम जब मैच खेलेंगी तो तरह तरह अपने फील्ड को सजाएंगी. क्षेत्ररक्षक खड़ा करेंगी ताकि रन भी रोके जा सकें और कैच भी पकड़े जाएं.

कहा जाता है कि मैच केवल बैटिंग या बॉलिंग से ही नहीं खेले जाते बल्कि फील्डिंग से भी जीते जाते हैं. कई बार तो टीमों की बेहतरीन फील्डिंग उन्हें मैच जीता देती है. वैसे क्रिकेट में फील्डिंग को लेकर ज्यादातर टीम 90 के दशक के दौरान सीरियस होना शुरू हुईं जब आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसी टीमों को उन्होंने बेहतरीन फील्डिंग के जरिए मैचों को पलटते देखा.

90 के ही दशक में क्रिकेट में फिटनेस और ऐसे क्रिकेटर उभरने शुरू हुए जो किसी एथलीट की तरह बहुत चपल थे. वो मैदान में तेज दौड़ लगाकर ना केवल ना केवल कैच पकड़ते थे बल्कि कई अविश्वसनीय तरीके से गोता लगाकर रन रोकते थे या गेंद को लपक कर बल्लेबाज को आउट कर देते थे. हालांकि हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए दुनिया के बेहतरीन कैचों में एक भारत के क्रिकेट कप्तान कपिलदेव ने 1983 के वर्ल्ड कप के फाइनल में विवियन रिचर्ड्स का लिया था.

क्रिकेट मैदान पर फील्डिंग कैसे सजाई जाती है
खैर हम अपने मूल सवाल पर आते हैं कि क्रिकेट मैदान पर जब फील्डिंग सजाई जाती है तो कितनी ऐसी पोजिशन होती हैं जहां टीम का कप्तान अपने खिलाड़ियों फील्डिंग के लिए खड़ा कर देता है. इन सभी पोजिशन के अपने नाम हैं.

क्रिकेट मैदान की फील्डिंग मुख्य तौर पर दो साइड और तीन सर्किल्स में होती हैं.

भेड़ चराने वालों ने शुरू किया था ये खेल
क्रिकेट की उत्पत्ति 16वीं शताब्दी के अंत में दक्षिण-पूर्व इंग्लैंड की भेड़ चराने वाली भूमि में हुई. शायद भेड़ चराने वाले चरवाहों ने इस खेल की शुरुआत की. इंग्लैंड इस खेल को खेले जाने पहला संदर्भ 1598 से मिलता है. पहला रिकॉर्डेड क्रिकेट मैच 1646 में केंट में हुआ था.

मैदान पर फील्डर्स की अवधारणा धीरे धीरे बनी
हालांकि जब क्रिकेट का खेल शुरू हुआ तो इसमें केवल एक बैटिंग करने वाला और एक बॉलिंग करने वाला होता था. कोई तय फील्डर नहीं होता था. यहां तक की विकेट के पीछे विकेटकीपर की पोजिशन पर भी कोई नहीं होता था. तब या बैट्समैन खुद ही दौड़कर बाल लाता था या ये काम गेंदबाज को करना होता था. धीरे धीरे लगने लगा कि इस खेल में ज्यादा लोगों को शामिल करना चाहिए ताकि मैदान पर गेंद को पकड़ने वाले भी कुछ लोग हों.

फिर धीरे धीरे क्रिकेट में जैसे जैसे चीजें इवाल्व हुईं, वैसे टीम की अवधारणा बनी. फील्डिंग की कुछ मुकम्मल पोजिशन बनीं. धीरे धीरे फील्डंग की इन पोजिशन को नाम दिया गया. निश्चित तौर पर क्रिकेट फील्डिंग पोजिशन को नाम देने की कहानियां तो होंगी ही होंगी लेकिन असल को नियमबद्ध 19 सदी में किया गया.

ये पूरा चार्ट मैदान के चप्पे चप्पे की फील्डिंग पोजिशन के बारे में बता रहा है. अगर आप इसमें देखें तो ये दो हिस्सों में बंटा और तीन सर्कल्स भी इसमें नजर आ रहे हैं.

मोटे तौर पर क्रिकेट फील्डिंग कितने हिस्सों में बंटी होती है 
मोटे तौर पर क्रिकेट का दो हिस्सों और तीन सर्किल में बंटी होती है एक ऑफ साइड और दूसरी ऑन साइड. बैट्समैन का बल्ला विकेट के जिस ओर रखा होता है, उस ओर का क्रिकेट का मैदान ऑफ साइड होता है और जिधर उसका पैर होता है, उस ओर का हिस्सा आन साइड या लेग साइड होता है. हालांकि विकेट के पीछे का हिस्सा भी एक अलग ही इलाका होता है.

मोटे तौर पर मैदान में 09 फील्डर ही होते हैं
फील्डर्स को इन्हीं में सजाना होता है. तो अब हम आपको बताएंगे कि क्रिकेट में कुल कितनी फील्डिंग पोजिशन ऐसी हैं, जिनका नामकरण हो चुका है. अंदाज लगाइए कि ये कितनी होंगी. वैसे तो फील्डिंग कर रही टीम के 10 फील्डर ही फील्डिंग का काम करते हैं, इसमें भी एक विकेटकीपर की जगह विकेट के पीछे तय होती है तो इस तरह बचे 09 खिलाड़ी, जो अलग पोजिशंस में फील्डिंग का काम करते हैं. 11वां खिलाड़ी बॉलिंग के जरिए बैट्समैन को आउट करने की कोशिश करता है.

कितनी फील्डिंग पोजिशन
क्रिकेट में फील्डिंग की 35 पोजिशंस होती हैं. क्षेत्ररक्षण सजाने का काम कप्तान करता है. हालांकि इसे गेंदबाज, उसकी गेंदबाजी और बल्लेबाज किस ओर ज्यादा खेल रहा है – इस आधार पर सजाते हैं.

हम आपको फील्डिंग पोजिशंस का नाम तो आगे बताएंगे लेकिन ये जान लेते हैं कि आखिर फील्डिंग में मोटे तौर पर किस तरह के एरिया को दिमाग में रखा जाता है.

क्लोज कैचिंग इनफील्ड – इस क्षेत्र में वे क्षेत्ररक्षक होते हैं जो बल्लेबाज के सबसे करीब होते हैं. इस रिंग के अंदर हर कोई लगभग 15 गज दूर या करीब होगा! ये अक्सर विशेषज्ञ कैचिंग पोजीशन होती हैं. क्रिकेट मैदान में सबसे छोटे गोले के तौर पर इसको दिखाया जाता है.
इस एरिया में ये फील्डिंग पोजिशन होती हैं
– विकेट कीपर
– स्लिप
– गली
– लेग स्लिप
– लेग गली
– सिली प्वाइंट
– सिली मिड प्वाइंट
– शार्ट लेग
– सिली मिड -ऑन
– मिड ऑफ
– कवर
– बैकवर्ड प्वाइंट
विकेट कीपर – यह सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्ररक्षण स्थिति है. विकेटकीपर विकेट और बल्लेबाज के पीछे खड़ा होता है. अगर बल्लेबाज गेंद को किनारे लगाता है, चूक जाता है या छोड़ देता है तो गेंद को अपने दस्तानों में पकड़ने के लिए वह जिम्मेदार होता है. अधिकांश विकेटकीपर बल्लेबाज से लगभग 20 मीटर की दूरी पर खड़े होते हैं. हां स्पिनर की गेंदबाजी पर बहुत करीब आ जाते हैं ताकि स्टंपिंग कर सकें.

स्लिप – ये विकेटकीपर के बगल में ऑफसाइड की पोजिशन हैं. आमतौर पर चार स्लिप की स्थितियां होती हैं. पहली स्लिप, दूसरी स्लिप, तीसरी स्लिप और चौथी स्लिप. कभी कभी एग्रेसिव फील्डिंग में चार स्लिप भी खड़ी कर दी जाती हैं. ये आमतौर पर जरा से भी उठे कैच को लपकने के लिए होते हैं. इसी तरह जब दाएं हाथ का बल्लेबाज आता है तो

गली – स्लिप क्षेत्ररक्षकों के बगल में गली होती है.

लेग गली – लेग गली स्थिति लेग साइड में स्लिप स्थिति के समान है

लेग गली – ये लेग साइड में गली वाली पोजिशन है.

सिली पाइंट – सिली पॉइंट मैदान के ऑफ साइड पर बल्लेबाज के बहुत करीब की स्थिति है. बल्लेबाज के सामने करीब 45 डिग्री के कोण की पोजिशन

सिली मिड-ऑफ़ – मैदान पर ऑफ साइड पर बल्लेबाज के काफी करीब की स्थिति.
शार्ट लेग – शॉर्ट लेग काफी हद तक लेग साइट पर सिली पॉइंट के समान ही स्थिति.
सिली मिड-ऑन – ऑन साइड पर बल्लेबाज के करीब की स्थिति.

इंटरनल रिंग – इस क्षेत्र में वो क्षेत्ररक्षक होते हैं जो आमतौर पर बल्लेबाजों को सिंगल रन लेने से रोकने की कोशिश करते हैं. इस क्षेत्र में क्षेत्ररक्षक आमतौर पर बल्लेबाज से 30 गज की दूरी पर होता है. इस एरिया में भी बहुत से कैच उठते हैं.
फ्लाई स्लिप
– कवर
– मिड ऑन
– स्क्वायर फुट
– बैकवर्ड फुट
– मिड विकेट
– फाइन लेग
– थर्ड मैन
– डीप पॉइंट
– डीप बैकवर्ड पॉइंट
– लांग ऑफ

क्या होती है फ्लाई स्लिप
फ्लाई स्लिप की स्थिति मैदान के ऑफ साइड पर स्थित होती है. सामान्य स्लिप क्षेत्र की तुलना में थोड़ी अधिक गहरी होती है. वास्तव में, फ्लाई स्लिप क्षेत्ररक्षक अक्सर आंतरिक सर्कल के किनारे डीप में खड़ा होता है. इस पोजिशन को अक्सर शार्ट थर्ड मैन भी कहते हैं.

आउटफ़ील्ड – इस क्षेत्र में विकेट के सभी किनारों पर सीमा तक अन्य सभी क्षेत्र शामिल हैं. इस क्षेत्र में रखे गए क्षेत्ररक्षक मुख्य रूप से बल्लेबाज को गेंद को बाउंड्री के लिए मारने से रोकने के लिए होंगे. जब आप टीवी पर क्रिकेट मैच देखते हैं तो आउटफील्ड को सबसे बड़े वृत्त के तौर पर दिखाया जाता है.
– डीप एक्स्ट्रा कवर
– लांग ऑफ
– डीप फाइन लेग
– लांग लेग
– डीप कवर
– डीप बैकवर्ड
– डीप कवर पाइंट
– डीप फारवर्ड
– डीप स्विपर
– डीप वाइड
– काऊ कॉर्नर

काऊ कॉर्नर क्या होता है
यह क्रिकेट के मैदान पर डीप मिड-विकेट और वाइड लॉन्ग-ऑन के बीच स्थित क्षेत्ररक्षण की स्थिति है. इस स्थिति का नाम मैदान के एक कोने से लिया गया है जो बहुत कम व्यस्त/सक्रिय होता है. बल्लेबाज शायद ही कभी मैदान के उस कोने में कोई शॉट खेलते हैं. इस प्रकार, ऐसी जगह मानी गई जहां गाय आसानी से चर सकती हैं, क्योंकि बहुत कम बल्लेबाज वहां गेंद को मारेंगे.

क्रिकेट में 6’3 का मैदान क्या होता है?
– आपने अक्सर कमेंटेटरों को क्रिकेट ग्राउंड पर 6-3 फील्ड या 7-2 फील्ड का जिक्र करते हुए सुना होगा. यह ऑफ साइड और लेग साइड क्षेत्ररक्षकों के बीच की स्थिति बताई जाती है. क्रिकेट में 6’3 क्षेत्र का मतलब है – ऑफ साइड पर 6 फील्डर और लेग साइड पर 3.

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