क्रिकेट में हर बड़ा खिलाड़ी अपने करियर के एक ज़ोन में होता है.
उस ज़ोन में बहुत सारे सपने होते हैं – बड़े टूर्नामेंट जीतने के, बेशुमार रिकार्ड्स बनाने के, शोहरत कमाने के और टीम को अपने बल-बूते पर अनगिनत मैच जिताने के.
एक और सपना होता है- खेल में अपनी एक लेगसी या अमिट छाप छोड़ने का.
शुक्रवार शाम को चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में जब भारतीय टीम एकदिवसीय विश्व कप 2023 के अपने पहले मैच के लिए अभ्यास कर रही थी तो उसके कई टॉप खिलाड़ियों को देखकर मन में यही ख़याल बार-बार आ रहे थे.
रविवार को ऑस्ट्रेलिया से होने वाले इस अहम मुक़ाबले के पहले ग्राउंड पर फ़ुटबॉल खेलते वक़्त, मैदान में फ़ील्डिंग ड्रिल्स और बाद में नेट्स पर बैटिंग करते समय रोहित शर्मा, विराट कोहली, आर अश्विन और रवींद्र जडेजा के चहरों पर मुस्कुराहट के साथ एक संतोष भी था.
सभी ख़ासे फ़िट भी लग रहे हैं और अगर कोहली और शर्मा नेट्स में बुमराह और सिराज की गेंदों को बेहतरीन टाईम कर रहे हैं तो अश्विन अपनी ‘कैरम बॉल’ से सूर्यकुमार यादव को लगातार बीट कर रहे थे.
इन सभी की उम्र 34-35 से ज़्यादा है और सभी ने कई विश्व कप में भारत के लिए कस कर खेला है.
अगर कोहली और रोहित शर्मा ने सालों तक बल्लेबाज़ी में राज किया है और स्पिन गेंदबाज़ों में पिछले कई सालों से अश्विन का कोई तोड़ नहीं है और जडेजा के बेहतरीन ऑल-राउंडर होने के किससे सभी को पता हैं.
लगभग तय है कि एकदिवसीय क्रिकेट में ये सभी अपना आख़िरी टूर्नामेंट खेल रहे हैं और इनके चेहरों पर अपने ही देश में एक आख़िरी बार कुछ बड़ा करने की ललक साफ़ देखी जा सकती है. सभी उस ज़ोन में हैं जिसमें अब अपनी लेगसी को पुख़्ता करके आगे बढ़ना है.
मुक़ाबला आसान नहीं
भारत को मैच के तीन दिन पहले ही बड़ा झटका लग चुका है जब सलामी बल्लेबाज़ शुभमन गिल के डेंगू हो जाने की बात सामने आई.
हालांकि टीम कोच राहुल द्रविड़ ने शुक्रवार को कहा कि, “फ़ैसला आख़िरी मिनट पर लिया जाएगा और गिल अब पहले से बेहतर महसूस कर रहे हैं.” लेकिन उनके मैच में उतरने के आसार कम ही लग रहे हैं.
गिल की जगह या तो ईशान किशन और नहीं तो केएल राहुल पारी की शुरुआत कर सकते हैं लेकिन गिल के मौजूदा फ़ॉर्म को देखते हुए भारतीय टीम मैनेजमेंट ख़ासा चिंतित होगा.
72.35 के औसत से शुभमन गिल इस साल एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 1230 रन बनाकर शीर्ष स्कोरर हैं और उनका न खेलना बड़ा झटका साबित हो सकता है ख़ासतौर पर जब उन्होंने पिछले मैचों में दो शतक भी जड़े हैं.
ऑस्ट्रेलिया की ठोस टीम के ख़िलाफ़ भारत की कुछ और चुनौतियाँ भी रहने वाली हैं.
चेन्नई के मैदान में दो तरह की पिच हैं जिसमें एक लाल मिट्टी वाली है और दूसरी काली मिट्टी वाली पिच और रविवार का मैच दूसरी वाली पिच पर होना है.
काली मिट्टी वाली पिचें दक्षिण एशिया के कई मैदानों पर अक़सर बनाई जातीं हैं और स्लो पिचेस के नाम से जाना जाता है. यानी इन पर गेंद धीमी रफ़्तार से आती है और बाउन्स कम होती है.
कोच द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा शुक्रवार को ट्रेनिंग के दौरान पिच का गहरा मुआएना करके गंभीरता से एक-दूसरे से शायद यही बात कर रहे होंगे कि रविवार को टीम में अश्विन के तौर पर तीसरा स्पिनर खिलाया जाए या शार्दुल ठाकुर जैसा मीडियम पेसर.
ग़ौरतलब ये भी है कि चेन्नई आर अश्विन का होम ग्राउंड है और ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ हुए प्रैक्टिस मैचों में उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई शीर्ष और मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज़ों के न सिर्फ़ विकट लिए हैं बल्कि उन्हें जम कर छकाया भी है.
क़रीब पांच साल तक भारत की एकदिवसीय टीम में पक्की जगह न होने के बावजूद 37 साल के अश्विन ने टेस्ट क्रिकेट और टी20 जैसे दूसरे फ़ॉरमैट्स में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है और इस टूर्नामेंट के ठीक पहले अक्षर पटेल की चोट के चलते टीम से बाहर होने पर उनकी वापसी हुई है.
ऑस्ट्रेलिया की तैयारी
भारत में होने वाले इस विश्व कप की तैयारी के लिए सबसे पहले पहुँचकर लगातार खेलने वाली टीम ऑस्ट्रेलिया ही है.
भारत के साथ बाईलैट्रल सिरीज़ और फिर प्रैक्टिस मैचों में कोच ऐंड्रू मैकडॉनल्ड और कप्तान पैट कमिन्स ने कई तरह के एक्सपेरिमेंट किए हैं.
उनके टॉप बल्लेबाज़ों स्टीव स्मिथ, डेविड वॉर्नर, ग्लेन मैक्सवेल और मार्कस स्टोईनस के लिए भी संभवतः ये आख़िरी एकदिवसीय विश्व कप हैं क्योंकि इनकी औसत उम्र 35 साल के आसपास है.
लगभग सभी आईपीएल क्रिकेट में लंबे समय से खेलते रहे हैं और भारतीय पिचों को बखूबी समझते हैं.
सिर्फ़ मार्कस स्टोईनस की हैमस्ट्रिंग चोट एक चिंता दिख रही है और कोच मैकडॉनल्ड ने चेन्नई में कहा, “उनका खेलना टच एंड गो हो सकता है”.