क्रिकेट विश्वकप के आयोजन से अर्थव्यवस्था को मिलेगी ताकत, 20,000 करोड़ का होगा कारोबार


राज एक्सप्रेस। क्रिकेट वर्ल्ड कप का आगाज देश में हो चुका है। 12 साल के बाद देश में क्रिकेट विश्वकप का आयोजन किया जा रहा है। क्रिकेट प्रशंसकों के लिए यह भारी उत्साह और जश्न का मौका है। विभिन्न कंपनियां खेल महाकुभ के माध्यम से कारोबारी फायदा उठाने की कोशिश कर रही हैं। वर्ल्ड कप की शुरुआत 5 अक्टूबर को अहमदाबाद में इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच मुकाबले के साथ हो चुकी है। भारतीय क्रिकेट टीम 8 अक्टूबर को अपना पहला वर्ल्ड कैप मैच खेलने वाली है। भारत के 10 स्थानों पर विश्वकप के कुल 48 मैच खेले जाने हैं। कारोबारी विशेषज्ञों का मानना है कि इस विश्व कप से अर्थव्यवस्था को भी जबर्ददस्त बूस्ट मिलेगा।

बैंक ऑफ बड़ौदा के अनुसार देश के ग्रॉस ऑउटपुट में इस आयोजन का 20,000 करोड़ रुपये के आसपास योगदान रह सकता है। इस बार टीवी-ब्रॉडकास्ट स्पॉन्सरशिप के खर्च में काफी उछाल देखने को मिला है। हॉस्पिटलिटी, टिकट सेल्स, फूड डिलीवरी सहित कई सेक्टर्स की कंपनियां इस आयोजन को लेकर बेहद उत्साहित हैं। विश्वकप के दौरान इस आयोजन से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में भी उछाल देखने को मिलने लगा है।

निवेशक माथा पच्ची कर रहे हैं कि इस आयोजन से कंजम्प्शन में कितनी बढ़ोतरी होगी और इससे कंपनियों की कमाई कहां तक बढ़ सकती है? हालांकि जेफरीज की रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि कुछ सेक्टर्स को इस आयोजन से नुकसान हो सकता है, क्योंकि हफ्ते के अंत में लोग मैच देखने के लिए घर में रहना पसंद करेंगे। वे कदाचित मैच देखने बाहर निकलें ही नहीं। इससे उन कंपनियों की कमाई पर असर पड़ सकता है, जिनका बिजनेस ग्राहकों के आगमन पर निर्भर करता है। इसके साथ ही सप्ताहांत ट्रेवल में भी गिरावट देखने को मिल सकती है। विश्वकप आयोजन के दौरान कुछ कंपनियों या सेक्टर को फायदा मिलने की उम्मीद है, जबकि कुछ को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

इस विश्व कप का आयोजन ऐसे समय पर हो रहा है, जब देश में फेस्टिव सीजन होता है। इसका मतलब है कि इस सीजन में ऐसे ही खरीदारी काफी ज्यादा होती है। ऐसे में यह अनुमान लगाना कठिन है कि बिक्री में होने वाली वृद्धि में क्रिकेट विश्व कप के आयोजन का कितना योगदान है। वर्ल्ड कैप के मैचों के दौरान अगर लोग एक्स्ट्रा खर्च करते हैं, तो टूर्नामेंट खत्म होते ही फिर से ज्यादातर सेक्टर में मंदी का दौर शुरू हो जाएगा। अगर कंजम्प्शन में थोड़े समय के लिए उछाल आता भी है, तो यह लंबी अवधि के निवेशकों के लिए ज्यादा मायने नहीं रखता।


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