क्रिकेट सीखने आए थे, लेकिन गेंद चुराने लगे, आठ दिन में 150 गेंद चोरी हुई तो एमपीसीए ने दो दिन पहले बंद कर दिया शिविर


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इंदौर2 घंटे पहले

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अंडर-16 खिलाड़ियों को क्रिकेट का प्रशिक्षण देने के लिए एमपीसीए द्वारा लगाया गया शिविर दो दिन पहले ही बंद कर देना पड़ा। वजह ये कि शिविर में कुछ खिलाड़ी क्रिकेट सीखने के बजाय गेंद चुराने पर ज्यादा फोकस कर रहे थे। आठ दिन में ही 150 गेंद चोरी हो गईं। एक गेंद की कीमत 1800 रुपए थी। यानी खिलाड़ियों ने 27 हजार की तो गेंद ही चुरा ली।

जब मामले का खुलासा हुआ और बैग चेक किए गए तो एक खिलाड़ी के पास से 60 गेंदें मिलीं। यह अपनी तरह का पहला मौका है, जब गेंद चोरी होने के कारण शिविर समय से पहले खत्म करना पड़ा है।

भारत-ऑस्ट्रेलिया मैच: आधे घंटे में बिके कम कीमत वाले टिकट

भारत आैर ऑस्ट्रेलिया के बीच तीन मैचों की सीरीज का दूसरा मुकाबला 24 सितंबर को होलकर स्टेडियम में खेला जाएगा। मैच के सामान्य टिकटों की बिक्री शनिवार सुबह 6 बजे से शुरू हुई। कम कीमत वाले ईस्ट आैर वेस्ट गैलरी के टिकट आधे घंटे में ही बिक गए। सबसे सस्ता टिकट 524 और महंगा 6273 रुपए है। एमपीसीए सीईओ रोहित पंडित के अनुसार अब तक 15500 टिकट बिक चुके हैं आैर करीब 400 बिकना शेष हैं। साइट क्रैश होने या बुकिंग में अन्य समस्या की शिकायत नहीं मिली।

पैरेंट्स को बुलाकर चर्चा करेंगे | हां, गेंद चोरी की घटना के बाद कैंप बंद करना पड़ा है। संबंधित बच्चों के अभिभावकों को बुलाकर चर्चा की जाएगी। उसके बाद ही उन पर कोई एक्शन लिया जाएगा। – संजीव राव, सचिव, एमपीसीए

एमपीसीए का यह शिविर 28 अगस्त से शुरू हुआ था, जो 9 सितंबर तक जारी रहना था। प्रशिक्षण के दौरान खिलाड़ियों को सुबह 7 से 11 और शाम को भी दो घंटे प्रैक्टिस कराई जा रही थी। एमपीसीए एक खिलाड़ी पर औसत साढ़े चार हजार रुपए के हिसाब से खर्च कर रहा था।

कोच अमोल कोकजे, समीर नाईक और एकेडमी इंचार्ज विकास अत्रे युवा खिलाड़ियों को क्रिकेट की बारीकियां सीखा रहे थे। शिविर के लिए करीब 400 नई गेंद लाई गई थीं, लेकिन प्रशिक्षण के दौरान लगातार गेंद कम होने लगी तो कोच भी हैरान रह गए। जब लगातार गेंद कम होती नजर आई तो 5 सितंबर को खिलाड़ियों के बैग खंगाले गए। इसी में चोरी का खुलासा हुआ। इसी वजह से तय समय से दो दिन पूर्व 7 सितंबर को ही शिविर समाप्त कर दिया गया। जिन खिलाड़ियों के बैग में ये गेंद मिली हैं, वे ग्वालियर-चंबल संभाग के बताए जा रहे हैं। आठ खिलाड़ियों ने ये गेंदें चुराई थीं।

हर खिलाड़ी पर औसत साढ़े चार हजार हो रहे थे खर्च


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