World Food India 2023: भारत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को तेज़ी से बढ़ावा दे रहा है. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने के पीछे कई कारण महत्वपूर्ण हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी मानना है कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के हर क्षेत्र में भारत ने ख़ूब तरक्की की है. नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में 3 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वर्ल्ड फूड इंडिया 2023’ के दूसरे संस्करण का उद्घाटन किया. यह एक मेगा फूड इवेंट है.
दुनिया के खाद्य केंद्र के रूप में पहचान
आने वाले कुछ वर्षों में भारत दुनिया के खाद्य केंद्र के रूप में पहचाना जायेगा. इसी मकसद को ध्यान में रखकर वर्ल्ड फूड इंडिया का आयोजन किया गया है. इसके साथ ही इस इवेंट का मुख्य मकसद 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के तौर पर मनाना भी है. इस कार्यक्रम के माध्यम से सरकारी निकायों, उद्योग के पेशेवरों, किसानों, उद्यमियों और अन्य हितधारकों को चर्चा में शामिल होने, साझेदारी स्थापित करने और कृषि-खाद्य क्षेत्र में निवेश के अवसरों का पता लगाने के लिए एक नेटवर्किंग और व्यापार मंच मुहैया कराया जा रहा है.
तकनीक और स्वाद के मिश्रण का लाभ
इस मौक़े पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बदलते वैश्विक माहौल खाद्य सुरक्षा की प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख किया. इस दौरान उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला. प्रधानमंत्री का मानना है कि प्रौद्योगिकी और स्वाद के मिश्रण से ही भविष्य की अर्थव्यवस्था का रास्ता साफ होगा.
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में विदेशी निवेश
वर्ल्ड फूड इंडिया से जो नतीजे सामने आ रहे हैं, वो भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को ‘सूर्योदय क्षेत्र’ के रूप में पहचाने जाने का एक बड़ा उदाहरण है. इस बात पर ज़ोर देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से जुड़ी जानकारियों को साझा किया. पिछले 9 साल से खाद्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार लगातार क़दम उठा रही है. इसी का नतीजा है कि इस अवधि में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में 50,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ है. केंद्र सरकार की पीआईएल योजना से भी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को काफ़ी मदद मिल रही है. इसके ज़रिये नये उद्यमियों को इस क्षेत्र में आने और आगे बढ़कर काम करने का अवसर मिल रहा है.
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में वृद्धि से किसानों को लाभ
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने का सीधा लाभ देश के किसानों को मिल रहा है. इसी को ध्यान में रखते हुए फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे के लिए एग्री-इंफ्रा फंड के दायरे में हजारों परियोजनाओं पर काम जारी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी जानकारी साझा किया कि मत्स्य पालन और पशुपालन क्षेत्र में प्रसंस्करण बुनियादी ढांचे को भी हजारों करोड़ रुपये के निवेश के ज़रिये बढ़ावा दिया जा रहा है.
कृषि निर्यात में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सबसे ज़रूरी है कि इस क्षेत्र में निजी निवेश बढ़े. केंद्र सरकार की निवेशक अनुकूल नीतियों से खाद्य क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सहयोग मिल रहा है. इसी का नतीजा है कि कृषि निर्यात में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है. पिछले 9 वर्षों में देश में कृषि निर्यात में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी 13 से बढ़कर 23 फ़ीसदी हो गयी है. ऐसा होने से निर्यातित प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में कुल मिलाकर 150 फ़ीसदी का इजाफा हुआ है.
कृषि उपज के निर्यात में तेज़ी से वृद्धि
तमाम सरकारी प्रयासों से भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के हर क्षेत्र अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने से वैश्विक बाज़ार में भी कृषि उपज के निर्यात में तेज़ी से वृद्धि हो रही है. वर्तमान में कृषि उपज में निर्यात के मामले में भारत सातवें स्थान पर है. कृषि उपज के कुल निर्यात मूल्य का आँकड़ा 50,000 मिलियन डॉलर के पार चला गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि यह खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से जुड़ी हर कंपनी और स्टार्ट-अप के लिए यह एक सुनहरा मौक़ा है.
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए क़दम
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए पिछले 9 साल में कई क़दम उठाए गए हैं. इससे भारत की खाद्य प्रसंस्करण क्षमता 12 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 200 लाख मीट्रिक टन से ज़्यादा हो गयी है. यह पिछले 9 वर्षों में 15 गुना वृद्धि है. देश में पहली बार कृषि-निर्यात नीति बनायी गयी. साथ ही राष्ट्रव्यापी लॉजिस्टिक्स और बुनियादी ढांचे का विकास किया गया. इनके अलावा जिले को वैश्विक बाजारों से जोड़ने वाले 100 से ज़्यादा जिला-स्तरीय केंद्रों का निर्माण किया गया. मेगा फूड पार्कों को बनाने पर ध्यान दिया गया, जिसकी वज्ह से इनकी संख्या 2 से बढ़कर 20 से ज़्यादा हो गयी है.
भारत नये कृषि उत्पाद के निर्यात में सक्षम
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने का ही नतीजा था कि इस दौरान कई नये कृषि उत्पाद के निर्यात में सक्षम हो पाया. इनमें पंजाब से कैवेंडिश केले, मध्य प्रदेश से सोया दूध पाउडर, कर्नाटक से कच्चा शहद, हिमाचल प्रदेश से काले लहसुन, लद्दाख से कार्किचू सेब, जम्मू और कश्मीर से ड्रैगन फ्रूट और जम्मू से गुच्ची मशरूम शामिल हैं.
पैकेज्ड फूड की लगातार बढ़ रही है मांग
देश में पैकेज्ड फूड की मांग लगातार बढ़ रही है. सरकार इस दिशा में भी ध्यान दे रही है. इसके लिए किसान, छोटे उद्यमी के साथ ही स्टार्टअप की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण हो जाती है. देश के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की विकास गाथा में छोटे किसान, छोटे उद्योगों और महिलाओं की भूमिका सबसे अधिक है. प्रधानमंत्री ने इन्हें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास में तीन प्रमुख स्तंभ बताया है.
छोटे किसानों का मुनाफा बढ़ाने पर ज़ोर
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास के माध्यम से छोटे किसानों का मुनाफा बढ़ाने में मदद मिल रही है. इस क्षेत्र में किसानों की हिस्सेदारी और आय बढ़ाने के लिए किसान उत्पादन संगठन या’नी एफपीओ बेहद कारगर है. इसको देखते हुए भारत सरकार का फोकस 10 हज़ार नये एफपीओ बनाने पर है. इनमें से 7 हज़ार एफपीओ पहले ही बन चुके हैं. एफपीओ के माध्यम से बाज़ार तक किसानों की पहुंच बढ़ रही है. इस क्षेत्र में रुचि लेने वाले किसानों तक प्रसंस्करण सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित हो रही है. लघु उद्योगों की हिस्सेदारी में वृद्धि के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में तक़रीबन 2 लाख सूक्ष्म उद्यमों को संगठित का काम भी जारी है.
महिलाओं की भूमिका काफ़ी प्रभावशाली
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा मिलने में महिलाओं की भूमिका काफ़ी प्रभावशाली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी कहना है कि देश की महिलाओं में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का नेतृत्व करने की नैसर्गिक क्षमता है. इसको ध्यान में रखकर हर स्तर पर महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूहों और कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है. इसी का परिणाम है कि वर्तमान में देश में 9 करोड़ से भी ज़्यादा महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं. इनके माध्यम से महिलाएं चिप्स, पापड़, मुरब्बा, अचार जैसे कई उत्पादों का बाज़ार अपने घर से ही चला रही हैं.
वैश्विक खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देकर ही वैश्विक खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकता है. इसके लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को दीर्घकालिक और स्वस्थ भोजन आदतों के प्राचीन ज्ञान को समझने और लागू करने की ज़रूरत है. इस बात पकर ज़ोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि भारत की खाद्य विविधता दुनिया के हर निवेशक के लिए एक लाभांश की तरह है. दुनिया भर के खाद्य उद्योग को भारत की खाद्य परंपराओं से बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है.
बाजरा भारत के ‘सुपरफूड बकेट’ का हिस्सा है और सरकार ने इसकी पहचान श्री अन्न के रूप में की है. पूरी दुनिया में 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष के तौर पर मनाया जा रहा है. भारत की पहल पर दुनिया में बाजरा को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. इसके ज़रिये बाजरा को भोजन में शामिल करने पर ज़ोर दिया जा रहा है. भविष्य इससे वैश्विक स्वास्थ्य को काफ़ी लाभ मिलने की उम्मीद है. साथ ही खेती और अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिल सकेगा.