रविन्द्र कुमार/झुंझुनूं. कहते है पूत के पग पालने में ही नजर आ जाते है ऐसा ही कुछ कर दिखाया एक छोटे से गांव के साधारण किसान परिवार से निकले युवक ने. जिले के हरियाणा सीमा से लगते भावठड़ी पंचायत के अरविंद चौधरी ने घरवालों के विरोध के बावजूद कुछ अलग करने की ठानी और फिल्म निर्माण में भाग्य आजमाने पहुंच गए चंडीगढ़ वर्तमान में अरविंद सुपवा रोहतक की फिल्म विभाग में अंतिम साल में है. इस दौरान अरविंद ने दो डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का निर्देशन किया है. उनकी दोनों फिल्मों का चयन चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल में हुआ है. उनकी इस सफलता पर गांव व क्षेत्र में लोग चर्चे कर रहे है. अरविंद की शिक्षा पिलानी कस्बे से हुई थी उनके पिता अशोक कुमार अध्यापक व माता मुन्नी देवी गृहणी है.
शिक्षा, खेलकूद, स्वास्थ्य व रोजगार पर आधारित है. ‘एक गांव दिशा की ओर’ युवा फिल्म मेकर अरविंद की जुबानी उन्होंने बताया कि वह एक गांव से निकलकर इस क्षेत्र में पहुंचे तो उन्हें गांव की समस्याओं पर विचार करते हुए इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने का आईडिया आया. उन्होंने बताया कि इस फिल्म की कहानी रोहतक के पास एक गांव के विकास पर आधारित है. उन्होंने दिखाने की कोशिश की है कि कैसे एक गांव को भी हम मिलकर काम करें तो शहर से बेहतर बना सकते है.
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5वें चित्र भारती फिल्म महोत्सव में हुआ चयन
अरविंद ने बताया कि उनकी पहली लघु फिल्म भी राजस्थान के गांव की एक कुप्रथा पर आधारित हाथ थी. जिसे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी पसंद किया गया था. उन्होने बताया कि उनकी कोशिश राजस्थानी सिनेमा को आगे लाना है. उनकी दूसरी डॉक्यूमेंट्री ‘एक गांव दिशा की ओर’ को 23 से 25 फरवरी तक चंडीगढ़ के पंचकूला में आयोजित होने वाले 5वें चित्र भारती फिल्म महोत्सव के लिए हुआ. फिल्म के चयन को लेकर अरविंद काफी खुश नजर आ रहे है. चित्र भारती फिल्म महोत्सव के द्वारा युवा प्रतिभाओं को सामने लाने का प्रयास है. उन्होने बताया कि महोत्सव में देशभर से आई 7 सौ फिल्मों में से 135 फिल्मों का चयन हुआ है जिनमें उनकी लघु फिल्म भी शामिल है.
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FIRST PUBLISHED : January 18, 2024, 18:37 IST