छठी फेल शख्स ने बनाया Zomato, आज है नामचीन फूड डिलीवरी ब्रांड, 1.40 लाख करोड़ का है साम्राज्य


नई दिल्ली: फूड डिलीवरी प्लेटफार्म जोमैटो (Zomato) हाल ही में चर्चा में है। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) दीपिंदर गोयल (Deepinder Goyal) ने बीते मंगलवार को शाकाहारी भोजन पसंद करने वाले कस्टमर के लिए प्योर वेज मोड सर्विस शुरू करने का ऐलान किया था। गोयल ने सोशल नेटवर्किंग मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि दुनियाभर में सबसे ज्यादा शाकाहारी जनसंख्या भारत में है। जोमैटो के पूर्ण शाकाहारी बेड़े में हरे रंग के डिब्बे होंगे न कि पारंपरिक लाल डिब्बे में। इस ऐलान के बाद से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जोमैटो काफी ट्रेड हो रहा है। कई लोग इसका विरोध कर रहे हैं। अब जोमैटो ने कहा है कि उसके सभी डिलीवरी पार्टनर लाल रंग की ड्रेस को पहनना जारी रखेंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं जोमैटो को इतनी ऊंचाईयों पर पहुंचाने वाले इसके फाउंडर दीपिंदर एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह छठी और 11वीं कक्षा में फेल हो गए थे, लेकिन इसके बाद उन्होंने कड़ी मेहनत की और आईआईटी के लिए सेलेक्ट हुए। वह साल 2006 में आईआईटी करने के बाद ‘बेन एंड कंपनी’ में नौकरी करने लगे, जो एक एक मल्टीनेशनल कंपनी है।जोमेटो ने वेज ग्राहकों के लिए शुरू की नई सर्विस, विरोध के बाद अब कंपनी ने दी सफाई, जानिए क्या है पूरा मामला

शुरुआत में नहीं मिली सफलता

एक दिन दीपिंदर रोजाना की तरह अपने ऑफिस की कैंटीन में बैठे हुए थे। उन्होंने देखा कि मेन्यू कार्ड की एक झलक पाने के लिए लंबी कतार लगी हुई है। दीपिंदर के दिमाग में एक आइडिया आया। उन्होंने उस मेन्यू कार्ड को स्कैन करके ऑनलाइन डाला, उनका आइडिया लोगों को पसंद आया। उन्होंने उस वक्त सोचा कि अगर कोई ऐसा प्लेटफार्म हो जहां से आसानी से खाना ऑर्डर किया जा सके तो इस कारोबार में बेहतरीन संभावनाएं हैं। इसके बाद उन्होंने फूडलेट नाम की वेबसाइट बनाई, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली। ऐसे में दीपेंदर ने एक नया रास्ता अपनाया और अपनी पत्नी के संग दिल्ली के सभी रेस्त्रां जाकर उनका मेन्यू अपनी साइट पर अपलोड करना शुरू कर दिया। इसके बाद भी जब अच्छा रिस्पांस नहीं मिला तो उन्होंन अपनी साइट का नाम बदलकर फूडीबे कर दिया।

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पंकज बने को-फाउंडर

दीपिंदर की मुलाकाल इस बीच पंकज चड्ढा से हुई। दिल्ली आईआईटी में पंकज दीपिंदर के साथ पढ़ते थे। पंकज ने टेक्नीकल मामले में ऐसी ट्रिक लगाई कि फूडीबे का ट्रैफिक तीन गुना तक बढ़ गया। दीपिंदर ने पंकज को को-फाउंडर बनने का ऑफर दे दिया। इस तरह साल 2008 में दोनों मिलकर फूडीबे की ग्रोथ में लग गए। इस दौरान उनकी साइट पर 1400 से ज्यादा रेस्टोरेंट रजिस्टर हो चुके थे। ये सिर्फ दिल्ली-एनसीआर के थे। इसे आगे बढ़ाने के लिए दोनों ने अपनी जॉब छोड़ दी।

ऐसे शुरू हुई जोमैटो

इंफोएज के फाउंडर संजीव बिखचंदानी ने इस कंपनी में साल 2010 में एक मिलियन डॉलर का इनवेस्टमेंट किया। कई और कंपनियों से भी फंड मिला। सबकुछ ठीक चल रहा था कि एक बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी ने फूडीबे के आखिरी चार लफ्ज को लेकर लीगल नोटिस भेज दिया। इसके बाद साल 2010 में नोटिस मिलने के पांच दिन के बाद फूडीबे का नाम बदलकर जोमैटो (Zomato) कर दिया गया। पंकज साल 2018 में जोमैटो से अलग हो गए, जबकि दीपिंदर आज भी कंपनी के सीईओ हैं। आज कंपनी भारत और यूएई सहित कई देशों में कारोबार कर रही है। जोमैटो की मार्केट कैपिटल 1.40 लाख करोड़ रुपये है। वहीं दीपिंदर की नेटवर्थ करीब 2570 करोड़ रुपये है।


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