झारखंड में फूड-पिज्जा डिलीवरी ब्वॉय से लेकर ओला-उबर-रैपिडो चलाने वालों की न्यूनतम मजदूरी के लिए बन रही पॉलिसी
रांची, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। फूड-पिज्जा डिलीवरी या इस तरह के काम करने वालों को मिनिमम वेज हासिल हो, इसके लिए झारखंड सरकार पॉलिसी बनाने की तैयारी कर रही है। राज्य सरकार के श्रम विभाग ने इसके लिए कमेटी गठित कर दी है। झारखंड पहला राज्य है, जिसने स्विगी-जोमैटो-ओला-उबर-रैपिडो जैसी कंपनियों के लिए कांट्रैक्ट या कमीशन पर काम करने वालों को न्यूनतम मजदूरी के दायरे में लाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। ऐसी पहल अब तक देश के किसी राज्य की सरकार ने नहीं की है।
राज्य के श्रम विभाग के अंतर्गत झारखंड राज्य न्यूनतम मजदूरी परामर्शदातृ पर्षद की ओर से गठित की गई कमेटी में श्रम आयुक्त संजीव कुमार बेसरा, न्यूनतम वेतन बोर्ड के डायरेक्टर राजेश प्रसाद, झारखंड फेडरेशन ऑफ चैंबर के अध्यक्ष किशोर मंत्री, इंटक के प्रदेश अध्यक्ष राकेश्वर पांडेय सहित सीटू, बीएमएस और एटक ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है।
कमेटी अध्ययन करेगी कि स्विगी-जोमैटो, ओला-उबर ड्राइवर, गिग वर्कर्स, ऑनलाइन डिलीवरी ब्वॉय किन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं। इसी आधार पर इनकी न्यूनतम मजदूरी को लेकर अनुशंसा की जाएगी।
अनुमान है कि पूरे झारखंड के विभिन्न जिलों में लगभग 12 लाख लोग ऐसे कामों में लगे हैं।
बता दें कि इसके पहले झारखंड सरकार राज्य में काम करने वाले सभी प्राइवेट कंपनियों में 40 हजार रुपए मासिक तनख्वाह वाली नौकरियों में 75 प्रतिशत पद राज्य के स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित करने का कानून बना चुकी है। इस कानून का पालन न करने पर सैकड़ों कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई है।
राज्य के विभिन्न औद्योगिक-व्यापारिक प्रतिष्ठानों या निजी-सरकारी संस्थानों में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले मजदूरों के मिनिमम वेजेज की भी समीक्षा की जा रही है। इन्हें उनके कार्यक्षेत्रों और काम की प्रकृति के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर उनकी न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने की सिफारिश की जाएगी।
इसके तहत राज्य के शहरों को तीन श्रेणियों में बांटे जाने की तैयारी है। रांची, जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो सहित बड़े शहरों में कार्यरत कर्मचारियों को ‘ए’, नगर निगम-नगर पालिका व नगर पर्षद में कार्यरत कर्मचारियों को ‘बी’ और ग्रामीण व सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों को ‘सी’ श्रेणी में रखा जाएगा और इसी मापदंड के आधार पर न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण किया जाएगा।
–आईएएनएस
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