नई दिल्लीएक घंटा पहले
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खाने-पीने के सामानों के दामों में बढ़ोतरी के बीच नवंबर में भारत की थोक महंगाई दर बढ़कर 0.26% पर पहुंच गई है। इससे पहले अक्टूबर महीने में ये -0.52% पर थी। 7 महीने बाद है जब थोक महंगाई शून्य के ऊपर रही है। खाद्य महंगाई 1.07% से बढ़कर 4.69% हो गई है।

नवंबर में खाद्य महंगाई दर बढ़ी
- खाद्य महंगाई दर अक्टूबर के मुकाबले 1.07% से बढ़कर 4.69% रही है।
- रोजाना जरूरत के सामानों की महंगाई दर 1.82% से बढ़कर 4.76% रही है।
- ईंधन और बिजली की थोक महंगाई दर -2.47% से घटकर -4.61 रही है।
- मेन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई दर -1.13% से बढ़कर -0.64 रही है।
नवंबर में रिटेल महंगाई बढ़कर 5.55% हुई
इससे पहले सरकार ने 12 दिसंबर को रिटेल महंगाई के आंकड़े जारी किए थे। इनके अनुसार भारत की रिटेल महंगाई तीन महीने की गिरावट के बाद नवंबर में बढ़कर 5.55% पर पहुंच गई है। इसका कारण सब्जियों और फलों की ऊंची कीमतें हैं। अक्टूबर में रिटेल महंगाई 4.87% रही थी।
डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में प्याज की कीमतें महीने दर महीने (MoM) 58% बढ़ीं, जबकि टमाटर की कीमतें 35% बढ़ीं। इसके अलावा आलू की कीमतों में भी नवंबर में 2% की बढ़ोतरी देखी गई। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
WPI का आम आदमी पर असर
थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है। अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है, तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है।
जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है। WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है।
महंगाई कैसे मापी जाती है?
भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक रिटेल, यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं। वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है।
महंगाई मापने के लिए अलग-अलग आइटम्स को शामिल किया जाता है। जैसे थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 20.02% और फ्यूल एंड पावर 14.23% होती है। वहीं, रिटेल महंगाई में फूड और प्रोडक्ट की भागीदारी 45.86%, हाउसिंग की 10.07% और फ्यूल सहित अन्य आइटम्स की भी भागीदारी होती है।

भारत में WPI तो अमेरिका में PPI से मापते हैं महंगाई
WPI का इस्तेमाल भारत में महंगाई को मापने के लिए किया जाता है। WPI में बदलाव से फिस्कल और मॉनेटरी पॉलिसी चेंज बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं। वहीं अमेरिका में प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स (PPI) का इस्तेमाल महंगाई को मापने के लिए किया जाता है।