दिल्ली की एक अदालत ने बुराड़ी परिवहन प्राधिकरण में भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तार पांच लोगों को जमानत दे दी है।पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने बुराड़ी परिवहन प्राधिकरण में भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तार पांच लोगों को जमानत दे दी है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक आरोप है कि ऑटो परमिट, धोखाधड़ी से तथा जाली दस्तावेजों का उपयोग करके कथित तौर पर स्थानांतरित किए गये थे, जिससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हुआ था।
विशेष न्यायाधीश जय थरेजा ने कहा कि जांच एजेंसी, प्राधिकरण में 5,000 से अधिक परमिट हस्तांतरण की जांच पर विचार कर रही है और इस प्रक्रिया को पूरा होने में काफी समय लगेगा।
अदालत ने छह सितंबर को पांच आरोपियों… अनिल सेठी, रविंदर कुमार, अनूप शर्मा, अजीत कुमार और दीपक चावला को जमानत देते हुए कहा, ”इस प्रकार आरोपियों को इतने लंबे समय तक न्यायिक हिरासत में नहीं रखा जा सकता है।”
अदालत ने कहा कि 29 जून को गिरफ्तारी के बाद से आरोपियों ने हिरासत में पर्याप्त समय बिताया है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘मुझे लगता है कि आरोपियों की जमानत याचिका को अनुमति दी जानी चाहिए… क्योंकि अन्य आरोपियों में से ज्यादातर को जमानत दे दी गई है।’
न्यायाधीश ने कहा, ”आरोपियों को न्यायिक हिरासत में रखने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा होने की संभावना नहीं है।”
दिल्ली पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने आरोप लगाया था कि दिल्ली में ऑटोरिक्शा परमिट की अधिकतम सीमा एक लाख तय की गई थी तथा उक्त एक लाख ऑटोरिक्शा परमिट में से 70 फीसदी का अवैध कारोबार ऑटोरिक्शा के फाइनेंसरों/ डीलरों, दलालों और प्राधिकरण के अधिकारियों के बीच सांठगांठ से किया जा रहा था।
भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के मुताबिक, सांठगांठ का प्रभाव ऐसा था कि 2.46 लाख रुपये की कीमत वाले ऑटो रिक्शा को दिल्ली में 6.30 लाख रुपये में बेचा जा रहा था तथा कोई भी सामान्य व्यक्ति/ऑटोरिक्शा मालिक, फाइनेंसरों, डीलरों और दलालों के गठजोड़ के बिना प्राधिकरण में कुछ नहीं कर पा रहा था।
पुलिस ने आरोप लगाया कि जांच के दौरान जांच एजेंसी (एसीबी) ने पाया कि ऑटोरिक्शा के फाइनेंसरों/डीलरों, दलालों और बुराड़ी परिवहन प्राधिकरण के अधिकारियों ने, कोविड-19 महामारी के दौरान जीएनसीटीडी द्वारा शुरू की गई ‘फेसलेस योजना’ का घोर दुरुपयोग किया है ।