दिल को चाहिए सही खान-पान: लेकिन हम वो खा रहे हैं जो हमारे दिल को बीमार बना रहा है, जानिए कहां गलती हो रही है


डॉ. अमित गुप्ता17 मिनट पहले

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हाल ही में 19 वर्षीय युवक की ट्रेडमिल पर दौड़ते वक़्त दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई। ये केवल एक क़िस्सा नहीं है, बीते कुछ समय में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें दिल का दौरा पड़ने से कई युवाओं की जान गई। इनमें ज़्यादातर युवा ऐसे थे जो नियमित व्यायाम करते थे। यानी क्रियाशील होना काफ़ी नहीं है। फिर कहां और क्या ग़लत है? एक उंगली खान-पान पर उठ रही है।

हम क्या ग़लत खा रहे हैं?

बाहर के खाने में बहुत सारा पनीर, चीज़ और तेल परोसा जाता है। जब मोनोसैचुरेटेड या पॉलीसैचुरेटेड वेजिटेबल ऑयल को हाइड्रोज़नेटेड किया जाता है, और मार्गेरीन (तेल से तैयार किया गया उत्पाद) बनाने के लिए कठोर किया जाता है, और डीप फ्राइंग के लिए तेल व बेक्ड उत्पादों के लिए शॉर्टनिंग (तेल से तैयार किया गया उत्पाद) बनाए जाते हैं, तो ट्रांस फैटी एसिड बनते हैं। इन कठोर वैजिटेबल फैट और शॉर्टनिंग का उपयोग केक, बिस्किट व डीप फ्राइड टेकअवे मील्स बनाने के लिए किया जाता है।

ट्रांसफैट से भरपूर आहार…

ट्रांसफैट ख़ून में एलडीएल (बैड) कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है, साथ ही यह एचडीएल (गुड) कोलेस्ट्रॉल को कम भी करता है। ये दिल की बीमारियां और स्ट्रोक का ख़तरा बढ़ा सकता है।

सैचुरेटेड फैट युक्त आहार…

इनसे ख़ून में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। ख़राब वसा के आम स्रोतों में पशु उत्पाद जैसे बटर, मीट फैट के अलावा पाम ऑयल और नारियल तेल शामिल हैं।

अधिक नमक का सेवन…

अत्यधिक नमक वाला खान-पान उच्च रक्तचाप का कारण है, जिससे हृदय रोगों और स्ट्रोक का ख़तरा बढ़ जाता है। हममें से ज़्यादातर लोग सोडियम की अपनी ज़रूरत का 10 गुना नमक खाते हैं। पैकेज्ड, प्रोसेस्ड फूड और मीठे आहार, जो स्वाद में नमकीन नहीं होते, उनमें भी बहुत अधिक सोडियम हो सकता है।

कॉम्प्लेक्स शुगर से भरपूर आहार…

इसकी वजह से मधुमेह और मोटापा बढ़ता है। मिठाइयां, चॉकलेट, सॉफ्ट ड्रिंक्स, आलू के चिप्स आदि से शुगर का स्तर बढ़ता है।

आहार बदलें

  • पर्याप्त मात्रा में सब्जि़यां, फल और साबुत अनाज आहार में शामिल करें।
  • विभिन्न तरह के स्वस्थ प्रोटीन स्रोत, ख़ासकर मछली और सी फूड, फलियां जैसे बीन्स और दालें आदि, नट्स और सीड्स लें। कुछ मात्रा में अंडे ले सकते हैं। मांसाहारी भोजन सप्ताह में अधिकतम 3 बार तक ही करें।
  • बिना फ्लेवर वाले दूध, दही और चीज़ का सेवन करें। जिन लोगों के ख़ून में कोलेस्ट्रॉल ज़्यादा है, उन्हें वसा युक्त खाद्यों का सेवन कम करना चाहिए।
  • वसा के स्वस्थ विकल्प- नट्स, सीड्स, एवोकेडो, जैतून और खाना पकाने के लिए उनके तेल।
  • खाने में नमक बहुत कम मात्रा डालें। नमक के बजाय नींबू, काली मिर्च व मसालों का उपयोग कर सकते हैं।
  • स्वस्थ आहार में आदर्श रूप से प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और सब्ज़ियां शामिल होनी चाहिए।
  • बाहर का खाना नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करें। घर का खाना ही खाएं। सरसों, तिल और मूंगफली के तेल में खाना पकाएं।

तेल मुश्किलें बढ़ा सकता है

भारत में लगभग ढाई करोड़ टन पाम ऑयल का इस्तेमाल नमकीन, बिस्किट, चिप्स, चॉकलेट, ब्रेड, पैकेट वाले कुकिंग ऑयल, आइसक्रीम, कुकीज़, नूडल्स आदि में किया जाता है। कुछ वेजिटेबल ऑयल में भी यह मिला होता है। इसलिए आप जाने-अनजाने में रोज़ किसी न किसी तरह से पाम तेल का सेवन कर लेते हैं। बाहर के खाने में 95 फ़ीसदी खाद्य पदार्थ पाम तेल से ही बने होते हैं।

पाम ऑयल में अधिक मात्रा में ट्राइग्लिसराइड्स मिला होता है। इसमें सैचुरेटेड फैटी एसिड और पामिटिक एसिड अधिक मात्रा में पाया जाता है जो ख़ून का कॉलेस्ट्राल स्तर बढ़ाते हैं और दिल की बीमारी का ख़तरा भी अधिक हो जाता हैं। इसके अधिक सेवन से हृदय धमनियों में अधिक मात्रा में वसा जमा होने लगता है और बाद में यह हार्ट ब्लॉकेज का कारण बन जाता है। यदि आपने ध्यान नहीं दिया, तो इससे हार्ट अटैक का जोखिम भी हो सकता है।

– डॉ. समीर कुब्बा, डायरेक्टर-कार्डियोलॉजी धर्मशिला नारायणा हॉस्पिटल

बार-बार तेल गर्म करना भी ग़लत

घर में हम इस्तेमाल किए हुए तेल को दोबारा से गर्म करके उपयोग में ले लेते हैं। वहीं बाहर का खाना तो अमूमन एक ही तेल को बार-बार गर्म करके ही बनाया जाता है। तेल को बार-बार गर्म करने से इनमें मौजूद सारे पौष्टिक तत्व ख़त्म हो जाते हैं। यह शरीर में ख़राब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता है। उसमें एल्डिहाइड जैसे ज़हरीले तत्व पैदा हो जाते हैं और ऑक्साइड बनना शुरू हो जाता है। ऑक्साइड से कोशिकाओं में फ्री रेडिकल्स बनने लगते हैं जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी समस्याएं उत्पन्न करते हैं। इस तेल से कैंसर, मोटापा और मधुमेह भी हो सकता है जो हृदय रोग की मुख्य वजह हैं।

– डॉ. अमर सिंघल, सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट


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