जयपुर3 घंटे पहले
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दुनिया में सिर्फ एक ही विकलांगता है और वह है नकारात्मक सोच। इस बात को सच साबित कर न सिर्फ अपने लिए बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन रहे हैं कुछ लोग। इन्होंने अपनी शारीरिक अक्षमता को कमजोरी नहीं बनने दिया। वर्ल्ड डिसएबल्ड डे पर सिटी भास्कर ऐसे ही कुछ प्लेयर्स की कहानी लेकर आया है जिन्होंने सीमित संसाधनों के बावजूद किस्मत को मात देने की ठानी है। इनका मानना है िक समाज केवल उगते सूरज को सलाम करता है। एक फिजिकल चैलेंज ही समझ सकता है कि समाज में लोगों के तानों के साथ-साथ कैसे सुविधाओं के लिए जूझना पड़ता है। कई सालों तक घर-परिवार को छोड़ा, दिन में 7 से 8 घंटे ग्राउंड पर बिताए… सरकारी नौकरी हासिल की। लेकिन अब पैरालिंपिक का सपना देख रहे हैं ये जाबांज…।
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