बेल्जियम38 मिनट पहले
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FMCG कंपनी नेस्ले डेवलपिंग देशों में बिकने वाले बच्चों के दूध और सेरेलेक जैसे फूट प्रोडक्ट्स में शक्कर और शहद मिलाती है। ज्यूरिख स्थित पब्लिक आई एंड इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में बिकने वाले कंपनी के 150 प्रोडक्ट्स की जांच बेल्जियम स्थित लैब में की गई। इसमें पाया गया कि छह महीने तक के बच्चों के लिए गेहूं से बने लगभग सभी बेबी फूड में प्रति कटोरी (1 सर्विंग) एवरेज 4 ग्राम शुगर की मात्रा थी।
नेस्ले ने प्रोडक्ट के लेवल पर शुगर होने की जानकारी नहीं दी
इसमें सबसे ज्यादा फिलीपींस में 1 सर्विंग में 7.3 ग्राम शुगर मिली। वहीं, नाइजीरिया में 6.8 ग्राम और सेनेगल में 5.9 ग्राम शुगर शिशुओं के फूड्स में देखने को मिला। इसके अलावा, 15 में से सात देशों ने प्रोडक्ट के लेवल पर शुगर होने की जानकारी ही नहीं दी।
इसी तरह न्यूबॉर्न बेबी के लिए बेचे जाने वाले पाउडर मिल्क नीडो में प्रति बोतल औसतन 2 ग्राम शुगर मिला। दूसरी ओर, नेस्ले के अपने देश स्विट्जरलैंड या जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे यूरोपीय देशों में बिकने वाले इन्हीं उत्पादों में शुगर नहीं थी।
WHO के मुताबिक, बच्चों के फूड्स में शक्कर नहीं होना चाहिए
पब्लिक आई के न्यूट्रिशन एक्सपर्ट लॉरेंट गैबेरेल ने के मुताबिक, नवजातों और शिशुओं को शुगर खिलाना उनके लिए समस्या खड़ी कर सकता है। यह मोटापा जैसी बीमारी के प्रमुख कारणों में एक है।
ऐसे बच्चों में आगे डायबिटीज, ब्लडप्रेशर और अन्य बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के यूरोपीय निर्देशों के अनुसार 3 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए भोजन में कोई शर्करा या मीठे पदार्थ का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
नेस्ले की सफाई-लोकल रूल्स का पालन करते हैं
नेस्ले के प्रवक्ता ने कहा, बेबी फूड हाइली कंट्रोल्ड कैटेगरी में आते हैं। हम जहां भी काम करते हैं, वहां के स्थानीय कानून और अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करते हैं। इसमें लेबलिंग और शक्कर समेत कार्बोहाइड्रेट की लिमिटेशन भी शामिल है।
ज्यादा मीठी चीज खाने-पीने का नुकसान क्या है
- हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
- शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। डायबिटीज हो सकती है।
- अल्जाइमर का खतरा हो सकता है।
- दांत में कैविटीज की समस्या हो सकती है।
- चीनी का असर मेंटल हेल्थ पर पड़ता है। इससे याददाश्त पर बुरा असर पड़ता है।
- चीनी खाने से वाइट ब्लड सेल्स 50 फीसदी तक कमजोर होते हैं। इससे इम्यूनिटी वीक हो जाती है।
- नॉन अल्कोहल फैटी लिवर की समस्या हो सकती है। इससे लिवर में फैट स्टोर होता है।
बोर्नविटा जैसे प्रोडक्ट हेल्थ ड्रिंक नहीं: सरकार ने इन्हें ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर इस कैटैगरी से हटाने को कहा
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने सभी ई-कॉमर्स कंपनियों से कहा है कि वे अपनी वेबसाइट और प्लेटफॉर्म से बोर्नविटा सहित सभी पेय पदार्थों को ‘हेल्थ ड्रिंक’ की कैटेगरी से हटा दें। मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन में कहा- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की एक लीगल बॉडी की जांच में पाया कि ‘हेल्थ पेय डेफिनेशन नहीं है।’ पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…