पचासों कैमरा, अंपायर्स की फौज फिर भी दो-दो गलत फैसले, IPL के इस सिस्टम पर शर्म आनी चाहिए


नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट बोर्ड को इंडियन प्रीमियर लीग पर घमंड है। दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड की सबसे महंगी टी-20 लीग। वर्ल्ड क्रिकेट के सारे बड़े सूरमा सालभर इस टूर्नामेंट का इंतजार करते हैं। खिलाड़ियों पर पैसों की बरसात होती है। ग्रैंड ओपनिंग और क्लोजिंग सेरेमनी में पैसा पानी की तरह बहाया जाता है। बीसीसीआई दम्भ भरती है कि आईपीएल में लेटेस्ट टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल होता है। मैच की 360 एंगल कवरेज के लिए मैदान पर 30-35 कैमरा लगे होते हैं। साथ ही आठ हॉकआक कैमरे की तकनीक इसी साल लाई गई। त्वरित फैसले लेने के लिए अंपायर्स की फौज होती है। साइंटिफिक तकनीक का डिसिजन रिव्यू सिस्टम जनरेट किया गया है। बावजूद इसके जो आईपीएल 2024 में बीती रात हुआ वह शर्मनाक है।
दिल्ली कैपिटल्स और राजस्थान रॉयल्स के बीच दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में एक हाई स्कोरिंग मैच जारी था। टॉस गंवाकर पहले बल्लेबाजी करते हुए दिल्ली ने स्कोरबोर्ड पर आठ विकेट खोकर 221 रन बनाए। जवाब में राजस्थान रॉयल्स ने जबरदस्त अंदाज में पलटवार किया। संजू सैमसन शुरूआत से ही अच्छी लय में नजर आए। 28 गेंद में अर्धशतक पूरा किया। रॉयल्स को आखिरी पांच ओवर में जीत के लिए 63 रन की दरकार थी। मैच के इस नाजुक मौके पर अंपायर्स से एक नहीं बल्कि दो-दो अहम गलतियां हो गई। टूर्नामेंट जब अपने अंत की ओर बढ़ रहा हो। एक-एक पॉइंट प्लेऑफ में पहुंचने के लिए अहम हो तो अंपायरिंग भी उतनी ही सावधानी से होनी चाहिए।

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बाउंड्री पर संजू सैमसन का विवादित कैच
16वें ओवर की चौथी बॉल पर जमकर ड्रामा हुआ। दरसअल, इस ओवर की जिम्मेदारी तेज गेंदबाद मुकेश कुमार के पास थी। शुरुआती तीन गेंदों में सिर्फ तीन रन देने के बाद मुकेश ने चौथी बॉल आउट साइड ऑफ स्टंप स्लोअर फेंकी। लैंथ पर आई 118 KM/H की इस गेंद को सैमसन ने सीधा मारा, जो छक्के के लिए जा रही थी, लेकिन अचानक शाई होप वहां आ टपके और अपनी बायीं ओर छाती की ऊंचाई के आसपास कैच ले लिया। पहले दो-तीन कदम दोनों पैरों को लड़खड़ाते और आगे की ओर घसीटते ले गए और बाउंड्री कुशन से दूर रहने की कोशिश करते दिखे हालांकि रिप्ले में साफ नजर आया कि जूता बाउंड्री के बेहद करीब था। बिना चेक किए अंपायर्स ने संजू सैमसन को आउट दे दिया। संजू पहले तो आधे रास्ते तक लौट गए और फिर वापस आकर अंपायर्स से बातचीत करने लगे। वह वापस नहीं जाना चाहते थे। राजस्थान के डगआउट में भी काफी गहमागहमी दिखी। संजू डीआरएस लेना चाहते थे, लेकिन तबतक काफी देर हो चुकी थी। ऐसे में सवाल उठता है कि जब आपके पास टेक्नॉलॉजी है तो इतने निर्णायक मौके पर क्रीज पर सेट बल्लेबाज को बिना अच्छे से जांचे-परखे आउट कैसे दिया जा सकता है।

19वें ओवर में जबरदस्ती की वाइड

अंपायर्स की लापरवाही यही नहीं थमी। 19वें ओवर की आखिरी गेंद पर भी इसी तरह की घटिया डिसिजन मेकिंग देखने को मिली। तेज गेंदबाद रसिख सलाम डार ने रोवमैन पॉवेल को ऑफ साइड के बाहर फुल गेंद फेंकी, जिसे कायदे से वाइड दिया जाना चाहिए था, लेकिन अंपायर्स के मुताबिक वह लीगल डिलिवरी थी। पॉवेल ने फौरन रिव्यू ले लिया। रिप्ले में साफ पता चल रहा था कि शॉट खेलने के लिए पॉवेल ने घुटना टेकर उस मारने की कोशिश की, लेकिन गेंद काफी बाहर थी। बल्ला क्रीज के ठीक सामने था और गेंद शायद आधा मीटर आगे तक गई, लेकिन बल्ले ने फ्रंट-ऑन कोण से गेंद को छिपा दिया। थर्ड अंपायर ने कई बार रिप्ले देखने के बावजूद वाइड डिसिजन को पलटना जरूरी नहीं समझा और कह दिया कि कॉल रिवर्स करने का कोई निर्णायक सबूत नहीं है। इस डॉट बॉल के बाद अब राजस्थान को आखिरी ओवर में जीत के लिए 29 रन की दरकार थी। दबाव में पॉवेल टूट गए और राजस्थान जीत से 20 रन दूर रह गई।


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