पल जो यादगार बन गए: जब 127 किलो के प्लेयर ने लपका कैच…जब सचिन के विकेट पर स्टेडियम में फैंस ने लगाई आग


2 घंटे पहले

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साल 1975, जब क्रिकेट का पहला वर्ल्ड कप खेला गया। पिछले 48 सालों में कुल 20 टीमें वर्ल्ड कप मुकाबलों का हिस्सा रहीं, जिनमें से 5 टीमें ही अब तक टूर्नामेंट में चैंपियन बन सकी हैं। हर वर्ल्ड कप में कुछ ऐसे मौके रहे, जो यादगार बन गए। जैसे 1983 वर्ल्ड कप में कपिल देव का विवियन रिचर्ड्स का कैच पकड़ना हो या फिर 1996 में क्रिकेट फैंस का सचिन के आउट होने के बाद स्टेडियम में आग लगाना हो।

आज दैनिक भास्कर की खास सीरीज इंडिया का वर्ल्ड कप कनेक्शन में क्रिकेट एक्सपर्ट अयाज मेमन से जानिए वर्ल्ड कप के कुछ यादगार मोमेंट्स के पीछे की कहानी …

मोमेंट 1: जब कपिल ने लपका विवियन का कैच…

साल 1983 का फाइनल मैच, लॉर्ड्स के मैदान में भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेला जा रहा था। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए सिर्फ 183 रन का टारगेट खड़ा किया था। विवियन रिचर्ड्स जिस तरह बल्लेबाजी कर रहें थे उससे ऐसा लगने लगा था कि मैच भारत के हाथ से निकल गया। लेकिन फिर मदनलाल की गेंद पर विवियन ने हवा में एक शॉट खेला, जिसको लपकने के लिए कपिल देव और यशपाल शर्मा दौड़े। कपिल देव ने उल्टे दौड़ते हुए यशपाल शर्मा को सिग्नल दिया कि कैच वो खुद पकड़ेंगे। कपिल के कैच पकड़ते ही मैच का रुख बदल गया।

मोमेंट 2: ऑस्ट्रेलियन पत्रकार जिनको खाने पड़े अपने शब्द…

डेविड फ्रीथ अपने लिखे शब्द खाते हुए।

डेविड फ्रीथ अपने लिखे शब्द खाते हुए।

साल 1983, भारत वर्ल्ड कप फाइनल में वेस्टइंडीज के सामने था। उन दिनों के मशहूर क्रिकेट राइटर और विजडन मैगजीन के एडिटर रहे डेविड फ्रीथ ने प्रीव्यू में लिखा कि ‘मैं अपने शब्द खा लूंगा अगर भारत ये वर्ल्ड कप जीतता है’। उनके इस लेख ने काफी सुर्खियां बटोरी। जब भारत उम्मीद के उलट इस मुकाबले को जीत गया तो उन्हे अपने छपे लेख को फाड़कर खाना पड़ गया था।

मोमेंट 3: आमिर सोहेल ने मारा चौका तो वेंकटेश प्रसाद ने किया क्लीन बोल्ड…

1996 वर्ल्ड कप क्वाटर फाइनल भारत और पाकिस्तान के बीच खेला गया। भारत पहले बल्लेबाजी करते हुए नवजोत सिद्धू और अजय जडेजा की पारियों के बदौलत एक सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचा। दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने उतरे पाकिस्तानी बल्लेबाज आमिर सोहेल और सईद अनवर। दोनों की जबरदस्त बल्लेबाजी की बदौलत एक समय ऐसा लगने लगा कि ये मैच भारत के हाथ से निकल गया। लेकिन तभी एक दिलचस्प वाकया हुआ, वेंकटेश प्रसाद की गेंद पर आमिर सोहेल ने कवर की तरफ एक जबरदस्त चौका मारा। सोहेल ने वेंकटेश को चिढ़ाते हुए बाउन्ड्री की ओर इशारा किया। वेंकटेश प्रसाद ने भी इसका जवाब देते हुए अगली ही गेंद पर सोहेल को क्लीन बोल्ड कर दिया। आगे चलकर यही वाकया वर्ल्ड कप में बल्लेबाज और गेंदबाज के बीच हुई एक टसल की मिसाल बना।

मोमेंट 4: जब 127 किलो के खिलाड़ी ने कूदकर पकड़ा कैच…

लेवरॉक का कैच जो आज भी लोगों के जहन में...

लेवरॉक का कैच जो आज भी लोगों के जहन में…

साल 2007 वर्ल्ड कप, ग्रुप स्टेज मुकाबले में भारत के सामने बरमूडा थी। पहले बल्लेबाजी करने उतरी इंडियन टीम के ओपनर रॉबिन उथप्पा दूसरे ही ओवर में स्लिप पर खड़े खिलाड़ी के हाथों में कैच थमा बैठे। स्लिप पर खड़े थे ड्वेन लेवरॉक, 127 किलो के खिलाड़ी। कैच लपकते ही लेवरॉक तेजी से उठकर दौड़ते हुए ग्राउंड का चक्कर लगाने लग जाते है। ये दिलचस्प वाकया लोगों के जहन में हमेशा के लिए रह गया।

मोमेंट 5: सचिन के आउट होते ही बिखरी टीम इंडिया, फैंस ने स्टेडियम में आग लगाई…

साल 1996 वर्ल्ड कप, भारत-श्रीलंका सेमीफाइनल में आमने-सामने थे। श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत को 251 रनों का लक्ष्य दिया। दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने उतरे ओपनर सचिन और सिद्धू। नवजोत सिद्धू जल्दी आउट होकर पवेलियन लौट गए। इसके बाद सचिन तेंदुलकर संभलकर बल्लेबाजी करते हुए भारत को लक्ष्य के और करीब ले गए। जयसूर्या की गेंद पर सचिन ने आगे बढ़कर शॉट खेलने का प्रयास किया लेकिन बॉल मिस हो गई और कालूविथरणा ने तेजी से स्टम्पिंग कर सचिन को आउट कर दिया। सचिन के आउट होते ही पूरी इंडियन टीम 22 रनों के भीतर 6 विकेट खोकर पवेलियन लौट गई। भारतीय बल्लेबाजों के इस बुरे प्रदर्शन से स्टेडियम में बैठे फैंस इस कदर गुस्सा हुए कि वो ग्रॉउंड में बोतलें फेंकने और स्टेडियम की सीटें जला दी।

जब नाखून चबाते दिखे भारतीय दिग्गज

जब नाखून चबाते दिखे भारतीय दिग्गज

मोमेंट 6: 2007 वर्ल्ड कप को समझाती एक तस्वीर

1979 के बाद 2007 वर्ल्ड कप भारत के लिए सबसे बुरा रहा। ग्रुप स्टेज में श्रीलंका से हारने के बाद सबको उम्मीद थी कि भारत कम से कम बांग्लादेश से जीत दर्ज कर लेगा। लेकिन इस मैच में भी भारतीय टीम के प्रदर्शन ने फैंस को निराश किया। पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम 191 रनों के भीतर ही ऑल आउट हो गई। बांग्लादेश ने इस लक्ष्य को आराम से हासिल कर लिया। पूरे टूर्नामेंट में टीम के बुरे प्रदर्शन के चलते फैंस ने देशभर में विरोध किया और खिलाड़ियों के पोस्टर भी जलाए।

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