पांच साल में केवल जमीन देखी, सपना बना फूड पार्क » Kelo Pravah


  • ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने के लिए जोर-शोर से हुई थी घोषणा, एक भी जगह काम शुरू नहीं

रायगढ़, 15 नवंबर। सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार को बढ़ावा देने हर ब्लॉक में एक फूड पार्क की घोषणा की थी। खाली जमीन तलाश कर उद्योग विभाग को आवंटित करने का आदेश था। चार सालों में रायगढ़ के चार ब्लॉकों में केवल जमीन पजेशन में ली गई है। काम शुरू करना तो दूर अब तक एक ईंट भी नहीं रखी जा सकी है। फूड पार्क के नाम पर ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ने की योजना भी हवामहल बनाने जैसी ही साबित हुई है। चार सालों में अधिकारी जमीनें ही नापते रहे। उद्योग विभाग के लिए जमीन ढूंढऩे में ही दो साल बर्बाद कर दिए गए। इसके बाद आवंटन हुआ तो काम शुरू नहीं हो सका। प्रदेश के 146 ब्लॉकों में फूड पार्क खोले जाने का प्रस्ताव था, लेकिन 115 में ही भूमि का चिह्नांकन किया जा सका। इसमें से 58 जगहों की भूमि उद्योग विभाग को सौंपी जा चुकी है। 53 ब्लॉकों में जमीन का आधिपत्य उद्योग विभाग को मिल गया है।

34 में इसे सीएसआईडीसी को हस्तांतरित किया गया है। 2019 में रायगढ़ जिले में नौ ब्लॉकों में फूड पार्क खोलने के लिए जमीन मांगी गई थी। पुसौर के गढ़उमरिया में 17.806 हे., खरसिया के छोटे डूमरपाली में 6.248 हे., बरमकेला के झिकीपाली में 7.134 हे., घरघोड़ा के टेण्डा में 10 हे. और धरमजयगढ़ के कटाईपाली में 6.876 हे. भूमि का प्रस्ताव उद्योग विभाग को दिया गया था। खरसिया, बरमकेला, घरघोड़ा और धरमजयगढ़ की जमीन का आधिपत्य पहले उद्योग विभाग ने लिया और सीएसआईडीसी को पजेशन सौंपा। रायगढ़, सारंगढ़, तमनार और लैलूंगा में जमीन ही नहीं मिल सकी। जहां जमीन ली गई है, वहां भी हालात कोई अच्छे नहीं हैं। पांच सालों में इन जमीनों पर एक ईंट भी नहीं रखी जा सकी।

क्या काम करें, पता ही नहीं

फूड पार्क को महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बताया गया था। ग्रामीण युवाओं को इससे रोजगार मिलना था, लेकिन सीएसआईडीसी के पास इसका कोई ठोस प्लान ही नहीं है। फूड पार्क में किस तरह के काम होंगे, यह तो तय ही नहीं है। उद्योग विभाग ने चारों ब्लॉॅकों में जमीन का आधिपत्य अगस्त 2020 में लिया। मई 2023 में जमीन सीएसआईडीसी को सौंपी गई। इतनी बड़ी योजना को समय पर पूरा करने के लिए कोई प्लानिंग ही नहीं है।


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