पीएम मोदी ने फूड डिप्लोमेसी से मिलेट को ग्‍लोबल मंच तक पहुंचाया! भारतीय किसानों को होगा जबरदस्त फायदा


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फूड डिप्लोमेसी से मिलेट यानि मोटे अनाज को वैश्विक मंच पर पहुंचाया। उन्होंने इसे श्रीअन्न का नाम दिया है। पीएम मोदी के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को इंटरनेशनल ईयर आफ मिलेट घोषित किया। आज दुनियाभर के रेस्तरां में मिलेट की रेसिपी शामिल होने लगी है। पीएम मोदी जब अमेरिका दौरे पर गए थे तो वहां की फूड थीम मिलेट थी। इसके बाद जी20 शिखर सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय मेहमानों को भारतीय आतिथ्य का स्वाद चखने को मिला। यहां भी मिलेट के तरह-तरह के व्यंजन मेहमानों को परोसे गए। इसने मिलेट फूड को ग्‍लोबल मंच तक पहुंचाया। सेलिब्रिटी खानसामों ने मिलेट्स के इर्द-गिर्द मेनू तैयार किए। जिसे कभी गरीबों का भोजन माना जाता था आज यह ग्लूटेन-मुक्त आहार दुनियाभर में लोकप्रिय हो रही है। दुनियाभर में मिलेट्स के उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से ज्यादा है। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया में खाद्य संकट गहराता जा रहा है ऐसे में भारतीय मिलेट दुनिया का पेट भर सकती है और निर्यात बढ़ने से भारत के किसानों को जबरदस्त फायदा होने वाला है। यह सब पीएम मोदी के विजन संभव हो रहा है।

G 20 शिखर सम्मेलन में मिलेट्स से बने व्यंजनों की खूब चर्चा
देश की राजधानी दिल्ली में G 20 शिखर सम्मेलन के दौरान विदेशी मेहमानों को परोसे जाने वाले मोटे अनाज यानी मिलेट्स से बने व्यंजनों की खूब चर्चा रही। इसमें मिलेट्स से बने कई खास तरह के व्यंजन शामिल रहे। मेहमानों के ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर में 500 से ज्यादा डिशेज को शामिल किया गया, जिसमें मिलेट्स के व्यंजन को काफी प्राथमिकता दी गई थी। शिखर सम्मेलन में राष्ट्राध्यक्षों और VVIP मेहमानों को मिलेट्स के बने खीर और कुकीज भी परोसा गया। मिलेट्स की चर्चा इस सम्मेलन में तो रही ही, आज मिलेट्स को दुनिया के कई देशों में बड़े चाव से खाया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया
संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया है। भारत सरकार ने 2018 में यह प्रस्ताव दिया था कि 2023 को मिलेट ईयर के रूप में मनाया जाए, ताकि मोटे अनाज के उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जा सके। इस पहल को आगे बढ़ाते हुए, भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र आमसभा में 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट ईयर के रूप में घोषित करने के प्रस्ताव का नेतृत्व किया था। भारत द्वारा रखे गए प्रस्ताव का 72 देशों ने समर्थन दिया था। इसके तहत दिनांक 5 मार्च 2021 को वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया। नीति आयोग ने संयुक्त राष्ट्र खाद्य कार्यक्रम के साथ आशय घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए। साझेदारी के तहत मोटे अनाज पर विशेष ध्यान दिया जाएगा और ज्ञान के आदान-प्रदान में भारत को विश्व का नेतृत्व करने में समर्थन दिया जाना है। आशय पत्र के तहत नीति आयोग और विश्व खाद्य कार्यक्रम के बीच रणनीतिक तथा तकनीकी सहयोग पर ध्यान दिया जाएगा।

पीएम मोदी ने कहा- दुनिया के सामने समस्या, समाधान भारत के पास
पीएम मोदी इतने आक्रामक तरीके से मिलेट्स का प्रचार क्यों कर रहे हैं?रूस और यूक्रेन दोनों दुनिया के सबसे बड़े गेहूं निर्यातक हैं। दुनिया भारी खाद्य संकट का सामना कर रही है और समय के साथ यह संकट और भी बड़ा हो जाएगा। यहीं पीएम मोदी की दूरदर्शी नीति सामने आती है। उन्होंने दुनिया से कहा कि हमारे पास इस खाद्य संकट का समाधान है और वह समाधान है मिलेट्स। पीएम मोदी कहते हैं- दुनिया के सामने समस्या है और समाधान हमारे पास है।

भारत में पारंपरिक भोजन का हिस्सा रहे हैं मिलेट्स
जब हम अनाज के बारे में बात करते हैं तो सबसे प्रसिद्ध अनाज हैं: गेहूं और चावल। वहीं मिलेट्स भी अनाज है जिसे भारत में मोटे अनाज के नाम से भी जाना जाता है। लोकप्रिय मिललेट्स हैं: बाजरा, ज्वार, राजगिरा, कुट्टू, रागी, समा, संवत्, कोडो, कांगनी, चेना आदि। इसे कई रूपों में खाया जा सकता है जैसे मिस्सी रोटी, बाजरा पोहा, सामा खिचड़ी, कुट्टू रोटी, बाजरा दलिया आदि। मिलेट्स हमेशा से पारंपरिक भारतीय व्यंजनों का अनिवार्य हिस्सा रहा है।

पोषण का पावरहाउस होते हैं मिलेट्स
मिलेट्स का आहार फाइबर से भरपूर होता है, जो इन अनाजों को स्वस्थ पाचन तंत्र के लिए बेहतरीन बनाता है। मिलेट्स विटामिन ए, बी और फॉस्फोरस, पोटेशियम, नियासिन, कैल्शियम, आयरन और पर्याप्त एंटीऑक्सीडेंट जैसे खनिजों से भरपूर होता है। जो इन अनाजों को पोषण का पावरहाउस बनाते हैं और हृदय रोगों, स्ट्रोक, मधुमेह और उच्च रक्तचाप के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं।

वैश्विक मिलेट्स का 44 प्रतिशत उत्पादन भारत में
भारत वैश्विक मिलेट्स का 44 प्रतिशत उत्पादन करता है। कुल वैश्विक उत्पादन 30 मिलियन टन है। उसमें से भारत अकेले 13.2 मिलियन टन का उत्पादन करता है, जो लगभग आधा है। अगर मिलेट्स दुनिया का स्वीकृत वैश्विक भोजन बन जाता है, तो सबसे ज्यादा फायदा किसे होगा?निश्चित रूप से इसका सबसे ज्यादा फायदा भारतीय किसानों और भारत को होगा।

पोषण से भरपूर मिलेट्स का बहुत बड़ा बाजार
पोषण से भरपूर होने के बावजूद दुनिया में आज भी मिलेट्स की खपत उतनी नहीं है जितनी की गेहूं की है। गेहूं की खपत करीब 760 मीट्रिक टन, चावल की खपत करीब 503 मीट्रिक टन और मिलेट्स की खपत 30 मीट्रिक टन है। इस तरह से देखें जलवायु परिवर्तन के इस दौर में मिलेट्स का बहुत बड़ा बाजार है और पीएम मोदी ने उस बाजार को पहचाना और उस पर काम करना शुरू किया। पीएम मोदी का मंत्र है “प्रत्येक वैश्विक चुनौती भारत के लिए एक अवसर है।” आज जबकि अवसरवादी खाद्य संकट का फायदा उठाते हुए सिंथेटिक मांस जैसे उत्पादों की वकालत कर रहे हैं वहीं पीएम मोदी दुनिया को अधिक स्वस्थ भोजन का विकल्प दे रहे हैं। कुछ साल पहले पीएम मोदी ने दुनिया को योग दिया और अब मिलेट्स के जरिये स्वस्थ भोजन का रास्ता दिखा रहे हैं जो कि सेहत के लिए अच्छा है।

किसानों की आमदनी बढ़ाने में करेगा मदद
दुनिया ने सेहत के लिहाज से मोटे अनाजों के महत्व को समझा है, इसलिए किसानों के लिए इसे उगाना ज्यादा फायदेमंद हो गया है। ये अनाज कम पानी और कम उपजाऊ भूमि में भी उग जाते हैं और दाम भी गेहूं से अधिक मिलता है। इसके महत्व को ऐसे समझा जा सकता है कि केंद्र सरकार ने 2018 को मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया था।

देश में 2018 में मनाया गया मिलेट ईयर
मिलेट्स अनाज सेहत को दुरुस्त रखने के सुपर फूड के तौर पर पहचाना जाता है। पीएम मोदी के विजन से सरकार ने साल 2018 से ही भारतवासियों की थाली में इसकी पक्की वापसी के लिए कोशिशें तेज कर दी थीं। भारत सरकार ने 2018 को कदन्न वर्ष (मिलेट ईयर) यानी मोटे अनाज के तौर पर मनाया था। सरकार ने कदन्न फसलों यानी ज्वार, बाजरा, रागी, मडुवा, सावां, कोदों, कुटकी, कंगनी, चीना जैसे मोटे अनाज की अहमियत समझते हुए ये कदम उठाया था। सरकार ने मोटे अनाज के उत्पादन को प्रोत्साहन देने की कोशिशों को भी अमली जामा पहनाया है।

मिलेट्स की पैदावार बढ़ाने के लिए श्री अन्न योजना
केंद्रीय बजट 2023 पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में मोटे अनाज यानी मिलेट्स की पैदावार बढ़ाने के लिए श्री अन्न योजना शुरुआत करने की घोषणा की है। उन्होंने ज्वार, रागी, बाजरा, कुट्टु, रामदाना, कंगनी, कुटकी, कोदो, चीना और सामा जैसे मोटे अनाजों का जिक्र किया। मोटे अनाज के कई स्वास्थ्य फायदे हैं। पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में मोटे अनाज मंडुवे, जौ, मक्का, चौलाई की खेती होती है। मंडुवे से रोटी, बिस्कुट, मोमो समेत कई फूड प्रोडक्ट्स बनते हैं।

पीएम मोदी ने मन की बात में किया मोटे अनाज का जिक्र
2022 के अगस्त महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात कार्यक्रम’ में मिलेट्स जैसे मोटे अनाज का जिक्र किया था। इस दौरान उन्होंने मोटे अनाज के लिए लोगों में जागरुकता लाने और लोगों की थाली में इसकी मौजूदगी के लिए जन आंदोलन चलाने की बात भी कही थी। पीएम मोदी ने मोटे अनाज को कुपोषण के खिलाफ कारगर हथियार तो डायबिटीज और हाइपरटेंशन सरीखी बीमारियों को दूर भगाने का जरिया बताया था।

पीएम मोदी ने 2018 में किया था मंडुवे के बिस्कुट का जिक्र
साल 2018 में पीएम नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के मुनार गांव में रहने वाली महिलाओं द्वारा स्थापित मां चिल्ठा सहकारिता समूह की तारीफ की थी। पीएम मोदी ने कहा था कि, ‘उत्तराखंड के बागेश्वर में मुख्य रूप से मंडुवा, चौलाई होता है। मंडुवे के बिस्कुट में काफी मात्रा में आयरन होता है। ये बिस्कुट गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद उपयोगी हैं। इन किसानों ने मुनार गांव में एक सहकारी संस्था बनाई और बिस्कुट बनाने की फैक्ट्री खोली है। किसानों की हिम्मत देखकर प्रशासन ने भी इसे राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जोड़ दिया। ये बिस्कुट अब न सिर्फ बागेश्वर जिले में बल्कि कौसानी और अल्मोड़ा में भी पहुंचाए जा रहे हैं। किसानों की मेहनत से संस्था का सालाना टर्नओवर न केवल 10 से 15 लाख रुपए पहुंच गया है बल्कि 900 से अधिक परिवारों को रोजगार के अवसर मिल चुके हैं। इस जिले से होने वाला पलायन भी रुक गया है।’

संसद में हुआ मोटे अनाज का लंच
संसद में देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सांसदों और अन्य नेताओं ने 20 दिसंबर 2022 को मोटे अनाज का लंच किया। संसद परिसर में केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय ने इस लंच का आयोजन किया था।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव को मोटे अनाज का लंच
विदेश मंत्री एस जयशंकर की तरफ से संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस सहित यूएन सुरक्षा परिषद के सदस्यों को मोटे अनाज के लंच के लिए 15 दिसंबर 2022 को आमंत्रित किया गया था। लंच से पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि इसके जरिए मोटे अनाज की खासियतों से सुरक्षा परिषद के सदस्य वाकिफ हो पाएंगे। ये लंच टाटा समूह के ताज होटेल से जुड़े पियरे होटल में बनाया गया था। इसे लेकर विदेश मंत्री ने ट्वीट किया था, “न्यूयॉर्क में आज संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और यूएनएससी सदस्यों के ‘मिलेट लंच’ की मेजबानी से खुशी हो रही है।”


वर्ष 2022-23 में 608 करोड़ का बाजरा निर्यात किया गया
वर्ष 2018-19 में भारत ने बाजरे के निर्यात से 542 करोड़ रुपये की कमाई की। वहीं 2019-20 में 426 करोड़, 2020-21 में 436 करोड़, 2021-22 में 469 करोड़ और 2022-23 में यह बढ़कर 608 करोड़ रुपये हो गया। 2018-19 में भारत ने 219402 मीट्रिक टन, 2019-20 में 129013 मीट्रिक टन, 2020-21 में 146994 मीट्रिक टन, 2021-22 मे 158510 और 2022-23 में 169049 मीट्रिक टन बाजरे का निर्यात किया। इसके साथ ही 47249 मीट्रिक टन ज्वार का निर्यात कर 185 करोड़ रुपये, 21439 मीट्रिक टन रागी का निर्यात कर 116 करोड़ रुपये और 16845 मीट्रिक टन अन्य मोटे अनाज का निर्यात कर 52 करोड़ रुपये की कमाई की गई।  

भारत दुनिया में बाजरा के शीर्ष पांच निर्यातकों में से एक
भारत दुनिया में बाजरा के शीर्ष पांच निर्यातकों में से एक है और भारतीय बाजरा को विदेशों में काफी पसंद किया जा रहा है। भारतीय बाजरा के टॉप दो आयातक संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब हैं। इसके बाद नेपाल और बांग्लादेश का नाम आता है। 2022-23 में भारत ने इन चार देशों को लगभग 100,000 मीट्रिक टन बाजरा निर्यात किया। वैल्यू के हिसाब से इनसे 266 करोड़ रुपये की कमाई हुई।


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