‘मेरा मन भारत में नहीं था’
कमिंस ने क्रिकेट.कॉम.एयू से बातचीत में कहा कि जब मैं उस विमान (भारत दौरे पर) पर चढ़ रहा था तो मुझे पता था कि मुझे कुछ हफ्तों में वापस आना होगा। शायद केवल कुछ ही लोग जानते थे कि ऐसा होने वाला है। उन कुछ हफ्तों के लिए मैं भारत में था। खासकर अब जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो मेरा मन भारत में नहीं था। पूरे समय घर पर ही मेरा ध्यान लगा हुआ था।
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‘मां मारिया के निधन ने कमिंस को नेतृत्व के प्रति सोचने पर मजबूर किया’
अपनी मां मारिया के निधन ने कमिंस को नेतृत्व के प्रति अपने दृष्टिकोण के बारे में सोचने के लिए मजबूर किया। अपने स्वयं के अनुभवों से प्रेरित होकर वह खिलाड़ियों को क्रिकेट से परे जीवन अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। चाहे वह नए शहरों की खोज करना हो, शौक पूरा करना हो या परिवार के साथ समय बिताना हो।
‘समय कीमती है, इसे बर्बाद नहीं करना’
कमिंस ने बताया कि उन्होंने अपनी मां के निधन के बाद यह सीखा कि कैसे क्रिकेट के साथ अन्य चीजों पर भी ध्यान देना जरूरी है। वह मानते हैं कि समय कीमती है और इसे बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए। कमिंस ने कहा कि हम अपने शेड्यूल में उतनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि लोग अपना जीवन जी सकें। यह निश्चित रूप से मां से सीखा गया एक सबक है। मैं समय बर्बाद नहीं करना चाहता।
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