फास्ट फूड के दौर में घरेलू व्यंजनों का रुतबा


– Advertisement –

  • रोटियों में भी मशीनों का दखल, सांझा चूल्हे
  • संयुक्त परिवारों में आने लगी आटा मथनी मशीन
  • सेवईं और मंगोड़ियों की भी मशीनें

जनवाणी संवाददाता |

किठौर: फास्ट फूड और एकल परिवारों के दौर में भी पुरातन घरेलू व्यंजनों व संयुक्त परिवारों का अलग रुतबा है। मगर इसमें भी मशीनी दखल शुरू हो गई है। संयुक्त परिवारों में मनचाहे घरेलू व्यंजनों के स्वाद के लिए लोगों ने मशीनों का प्रयोग शुरू कर दिया है। आटा मथने तक की मशीनें आ गई हैं।

19 23

वर्तमान युग फास्ट फूड और एकल परिवार प्रणाली का युग है। बाजार में चाऊमीन, बर्गर, पिज्जा, मोमोज, पेटीज और चिली पटेटो सरीखे सैकड़ों स्वादिष्ट फास्ट फूड उपलब्ध हैं। इनके स्वाद भी अलग हैं। फास्ट फूड्स का उपभोग एकल परिवारों में अधिक हो रहा है।

एकल परिवारों की अधिकतर महिलाएं बच्चों को स्कूल भेजते समय घरेलू भोजन के बजाय चंद रुपये थमाकर आसपास कंफेक्शनरी से फास्ट फूड खरीद खाने का सबक देती हैं, लेकिन पुरातन घरेलू व्यंजनों सेवईं, चने, उड़द व मूंग की दाल मंगोड़ियों के स्वाद का रुतबा आज भी लोगों के दिलो जेहन में कायम है।

20 23

रोटी-सब्जी की बात करें तो शहर से देहात तक ज्यादातर घरों में गैस चूल्हों पर बन रही है। हालांकि देहात में संयुक्त परिवारों में मिट्टी के चूल्हों पर बनी रोटी-सब्जी की सौंध और स्वाद अभी बरकरार है, लेकिन अब ये घरेलू व्यंजन भी मशीनों से अछूते नही रहे। सिवंईं और मंगोड़ियों से लेकर आटा मथने तक की मशीनें आ गई हैं। बड़े संयुक्त परिवारों और साझा चूल्हों में महिलाओं के मनमुटाव को देख आटा मथने की मशीने लाई जा रही हैं।

इंजन से चलती है सिवंईं मशीन

घरेलू पेच की जगह अब सिंवईं और मंगोड़ियों की भी मशीन है। जो डीजल इंजन से चलती और प्रतिदिन 3-4 कुंतल मैदा की सेवंईंया बना देती है। श्रमिक इसे स्वरोजगार के तौर पर भी चला रहे हैं। वे 15-20 रुपए प्रतिकिलो सेवईं और 10-12 रुपये प्रतिकिलो मंगोड़ी तैयार करते हैं।

शिवसदन में लगी है आटा मथनी मशीन

किठौर के भगवानपुर खादर स्थित शिवसदन की सांझा रसोई में आटा मथने की मशीन लगी है। सेवादार कुलवंत सिंह खारा और सांझा चूल्हे पर रोटी बनाने में सहयोग कर रहे अमरीक सिंह ने बताया कि शिवसदन में आटा मथनी मशीन वर्षों से लगी हुई है।

21 22

ये इलेक्ट्रिक मशीन एक कुंतल आटा प्रतिघंटा आसानी से मथ देती है। बताया कि शिवसदन फार्म के सांझा चूल्हे पर पहले 200-250 लोगों का खाना बनता था। मगर आपसी कलह में कुछ लोग अलग हो गए। आज भी यहां 100-150 सेवादारों का सामूहिक भोजन सेवादार बीबियां बनाती हैं।

– Advertisement –


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *