जबलपुर: जिले के एक आदिवासी हॉस्टल में लगभग 100 बच्चे फूड प्वॉइजनिंग का शिकार हो गए। घटना जिले के मांडवा बस्ती में स्थित एकलव्य आदिवासी हॉस्टल की है। दरअसल सभी बच्चे शाम का खाना खाकर अपने कमरों में लौटे, तभी उन्हें उल्टियां होने लगीं। घटना सामने आने के तुरंत बाद आनन-फानन में कुछ बच्चों को मेडिकल कॉलेज, तो कुछ को प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बीमार हुए सभी बच्चे आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। फिलहाल बच्चों को प्राइमरी ट्रीटमेंट दिया जा रहा है।
इस पूरे मामले पर जिले के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ संजय मिश्रा का बयान भी सामने आया है। उन्होंने बच्चों की तबियत खराब होने के पीछे फूड प्वॉइजनिंग को ही वजह बताया है। आंकड़ों के मुताबिक इस ट्राइबल हॉस्टल में लगभग 460 बच्चे रहते हैं। बच्चों को शिफ्ट के अनुसार खाना खिलाया जाता है। पहली शिफ्ट में कक्षा पांच से कक्षा आठ तक के बच्चे खाना खाते हैं। इसी शिफ्ट में खाना खाए लगभग 120 बच्चों की तबियतअचानक बिगड़ गई। जानकारी के अनुसार बच्चों ने दाल-चावल और कटहल की सब्जी के साथ रोटियां खाईं थीं।
सभी बच्चों की हालत स्थिर
अस्पताल में बच्चों का इलाज कर रहे सिविल सर्जन डॉ मनीष मिश्रा ने बताया कि सभी बच्चे बेहतर रिकवर कर रहे हैं। सभी फूड प्वॉइजनिंग का शिकार हुए हैं। कुछ का इलाज यहीं किया जा रहा है, जबकि कुछ को मेडिकल अस्पताल भेजा जा रहा है। छात्रावास से खाने का सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा जा रहा है। रिपोर्ट सामने आने पर स्थिति साफ होगी।
घटना के बाद परिजनों ने हॉस्टल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि बच्चों को हमेशा खराब खाना ही दिया जाता है। शिकायत करने के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ। इसी वजह से आज बच्चों की जिंदगी पर बन आई।
जिला प्रशासन भी हुआ मुस्तैद
बच्चों के बीमार होने की खबर सुनकर जिलाधिकारी सौरभ कुमार मौके पर पहुंचे। एसडीएम गोरखपुर पंकज मिश्रा ने जानकारी दी कि बीमार बच्चों को विद्यालय के स्टाफ, स्थानीय लोगों और पुलिस की मदद से अस्पताल में भर्ती कराया गया है।