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नई दिल्ली5 घंटे पहले
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क्रिकेट में एशिया कप का नशा अभी भारतीयों के सिर चढ़कर बोल रहा है। अक्टूबर में वर्ल्ड कप भी शुरू होगा। इसके लिए इंडियन क्रिकेट टीम का ऐलान भी हो चुका है।
वहीं, महिला क्रिकेट खिलाड़ी हरमनप्रीत कौर को टाइम मैगजीन की ‘टाइम 100 नेक्स्ट’ में जगह मिली है। वह पहली महिला क्रिकेटर हैं जिन्हें टाइम मैगजीन ने अपनी लिस्ट में शामिल किया है।
करीब 300 साल पहले 1721 में भारत में क्रिकेट की शुरुआत तब हुई जब कच्छ में अंग्रेजों का जहाज उतरा और क्रिकेट खेला गया। तब से लेकर आज तक भारत में क्रिकेट ने लंबा रास्ता तय किया है।
आजाद भारत में हॉकी के बाद क्रिकेट ने लोगों के बीच ऐसी धूम मचाई कि अब धर्म का दूसरा नाम क्रिकेट बन चुका है।
भारत में हुए एक सर्वे के मुताबिक, 1 अरब 35 करोड़ की आबादी वाले देश में महिला और पुरुष खिलाड़ियों को मिलाकर करीब 5.45 करोड़ लोग क्रिकेट खेलते हैं। इन लोगों में से महज 11 महिला या पुरुष खिलाड़ियों को ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत के लिए खेलने का मौका मिलता है।
आईसीसी की मार्केट रिसर्च के मुताबिक दुनिया में क्रिकेट फैंस की संख्या एक अरब से भी ज्यादा है जिनमें से 90 फीसदी फैंस दक्षिण एशिया में मौजूद हैं। इनमें भी पुरुष फैंस की संख्या 61 फीसदी है तो महिला फैंस 39 फीसदी हैं।
ऐसे में क्रिकेट के शौकीन युवा इस खेल में करियर बनाने का सपना देखते हैं पर सही गाइडेंस और कोचिंग की कमी से ज्यादातर का ख़्वाब अधूरा रह जाता है।
दरअसल, क्रिकेटर एक काम में माहिर नहीं होता है उसके लिए ऑलराउंडर होना जरूरी है। प्लेयर का बैटिंग, बॉलिंग, फील्डिंग और विकेट कीपिंग में माहिर होना बहुत जरूरी है।

एक प्रोफेशनल क्रिकेट खिलाड़ी बनने के लिए वक्त और प्रैक्टिस दोनों की जरूरत होती है। प्रैक्टिस से बच्चे की क्षमताओं में बढ़ोतरी होती है और वह प्रोफेशनल क्रिकेटर की तरफ आगे बढ़ता है। इसकी शुरुआत स्कूल या कॉलेज से की जा सकती है। 10वीं या 12वीं करते समय क्रिकेट के गुर सीखे जा सकते हैं।

भारत में बड़ी संख्या में क्रिकेट एकेडमी और क्रिकेट क्लब मौजूद हैं। बेंगलुरू के चिन्नास्वामी स्टेडियम में मौजूद नेशनल क्रिकेट एकेडमी देश की सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट एकेडमी में शुमार की जाती है। कपिल देव, रवि शास्त्री और अनिल कुंबले ने 2000 में इसका गठन किया था। अगस्त 2023 तक देश में क्रिकेट क्लब की कुल संख्या 8,216 है।
जो बच्चा प्रोफेशनल क्रिकेटर बनना चाहता है उसे और उसके पेरेंट्स को कुछ बातें ध्यान में रखनी जरूरी हैं। सिर्फ बल्ले या गेंद के इस्तेमाल को समझना ही काफी नहीं होता। बच्चे को अपना एक लक्ष्य तय करना होता है और पूरी एकाग्रता से उस लक्ष्य को पाने की मेहनत करनी होती है।

सोनेट क्रिकेट क्लब के एक्सपर्ट राजवीर बताते हैं कि बच्चे को पहले यह समझना होगा कि खेल के किस हिस्से में उसकी पकड़ मजबूत है। यानी वह अच्छा गेंदबाज, बल्लेबाज, विकेट कीपर या फिर ऑल राउंडर।
प्रैक्टिस के दौरान खिलाड़ी की काबिलियत आंकी जाती है। बच्चे को यह भी सीखाना होगा कि वह अपने कमजोर पक्ष पर कैसे काम करे और कैसे अपनी ताकत बढ़ाए।

नेशनल टीम में ऐसे होता है सिलेक्शन
क्रिकेट में भाग लेने वाले सभी देशों की नेशनल टीम के अलावा A-टीम भी होती है। नेशनल टीम में अपनी जगह बनाने के लिए पहले A-टीम में जगह बनानी पड़ती है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि सिर्फ A-टीम के खिलाड़ी को ही नेशनल टीम में खेलने का मौका मिलता है। नेशनल टीम में अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को A-टीम का हिस्सा बनने का मौका दिया जाता है। सभी देशों की A-टीम एक दूसरे के साथ मुकाबला करती हैं, ताकि A-टीम के खिलाड़ियों को विदेशी पिच पर खेलने का अनुभव मिल सके।

नेशनल टीम का हिस्सा बनने के अलावा बच्चा विभिन्न देशों में आयोजित होने वाली लीग या फ्रैंचाइजी का भी हिस्सा बन सकता है। IPL (भारत), काउंटी क्रिकेट (इंग्लैंड), BBL (ऑस्ट्रेलिया) जैसे प्रसिद्ध लीग्स इसके उदाहरण हैं। लेकिन इन लीग का हिस्सा बनने से पहले BCCI द्वारा जारी गाइडलाइन्स को जरुर देखें।
रेलवे की क्रिकेट टीम को ज्वॉइन करने का भी मौका रहता है। हालांकि, इसमें रेलवे कर्मियों को प्राथमिकता मिलती है। लेकिन दूसरों को भी ट्रायल का मौका दिया जाता है। ट्रायल में चुने जाने वाले खिलाड़ी बाद में रेलवे की ओर से रणजी ट्रॉफी खेल सकते हैं। रणजी में बेहतर परफॉर्म करने वालों को इंडियन टीम में सिलेक्ट होने के चांस रहते हैं।