उज्जैनएक घंटा पहले
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बच्ची की यह तस्वीर सोमवार तड़के 3 बजे की है। इसमें वह स्कूल जैसी यूनिफॉर्म में सही – सलामत दिख रही है।
उज्जैन पुलिस ने बच्ची से रेप के केस में गुरुवार तक 5 ऑटो ड्राइवर को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। नई जानकारी में सामने आया है कि पुलिस जांच में पता चला है कि बच्ची सतना जिले की रहने वाली है। शुरुआती जांच में पुलिस और एक्सपर्ट ने बच्ची से बातचीत की थी, तब यह अनुमान लगाया गया था कि वह प्रयागराज (UP) की रहने वाली हो सकती है।
25 सितंबर को लड़की बदहवास हालत में महाकाल थाना इलाके में दांडी आश्रम के पास मिली थी। उसके कपड़े खून से सने हुए थे। बच्ची आधे-अधूरे कपड़ों में सांवराखेड़ी सिंहस्थ बायपास की कॉलोनियों में ढाई घंटे तक भटकती रही। इसके CCTV फुटेज पुलिस ने खोजे हैं। वह पूरे आठ किलोमीटर चलती गई। फुटेज में ही बच्ची 5 ऑटो ड्राइवर के साथ दिखी है।
पुलिस ने पहले बच्ची की उम्र 12 साल बताई थी। हालांकि, FIR कॉपी में उम्र 15 साल दर्ज है। SP सचिन शर्मा ने बताया कि पीड़ित सतना जिले के एक गांव की रहने वाली है। 24 सितंबर को घर से गायब हुई थी। उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट सतना जिले के जैतवारा थाने में दर्ज है।
सोमवार को बच्ची घटना के बाद उज्जैन में 8 किलोमीटर तक भटकती रही। उसने लोगों से मदद भी मांगी थी।
मां बचपन में छोड़कर चली गई, पिता अर्धविक्षिप्त
जैतवारा पुलिस ने बताया कि बच्ची की मां बचपन में ही उसे छोड़कर चली गई थी। पिता अर्धविक्षिप्त हैं। बच्ची अपने दादा और बड़े भाई के साथ एक गांव में रहती है। गांव के ही स्कूल में 8वीं कक्षा में पढ़ती है। उसके लापता होने पर दादा ने 24 सितंबर को गुमशुदगी दर्ज कराई थी। सतना पुलिस की टीम भी उज्जैन के लिए रवाना हुई है।
तड़के 3.15 से सुबह 5 बजे तक घुमाते रहे ऑटो ड्राइवर
बच्ची अपने घर से निकलकर ट्रेन से उज्जैन पहुंची थी। वह सोमवार तड़के 3 बजे उज्जैन रेलवे स्टेशन पर उतरी। यहां उसने एक ऑटो ड्राइवर से कुछ बात की। सुबह 5 पांच बजे तक बच्ची अलग-अलग ऑटो ड्राइवर के साथ CCTV फुटेज में नजर आई है।
प्रियंका गांधी ने कहा, भाजपा के कुशासन में कोई सुरक्षित नहीं
उज्जैन की घटना पर प्रियंका गांधी ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा, ‘भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में एक छोटी बच्ची के साथ हुई बर्बरता आत्मा को झकझोर देने वाली है। अत्याचार के बाद वह ढाई घंटे तक दर-दर मदद के लिए भटकती रही और फिर बेहोश होकर सड़क पर गिर गई, लेकिन मदद नहीं मिल सकी। ये है मध्यप्रदेश की कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा? भाजपा के 20 साल के कुशासन तंत्र में बच्चियां, महिलाएं, आदिवासी, दलित कोई सुरक्षित नहीं है। लाड़ली बहना के नाम पर चुनावी घोषणाएं करने का क्या फायदा है? अगर बच्चियों को सुरक्षा और मदद तक नहीं मिल सकती।
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रेप विक्टिम खून से सने कपड़ों में 8KM भटकी; किसी ने मदद नहीं की
जगह- उज्जैन की एक कॉलोनी। वक्त- सुबह 6 बजे। डरी-सहमी 15 साल की लड़की लड़खड़ाते हुए आती दिखती है। आधे-अधूरे कपड़े पहने हैं। शरीर के निचले हिस्से से खून बह रहा है। रोते हुए मदद की गुहार लगाती है, लेकिन इस बीच कोई मदद नहीं करता। वो करीब तीन घंटे पैदल चलकर 8 किलोमीटर का सफर तय करती है। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट