बच्‍चों को सेरेलैक खिलाने वाले सावधान! नेस्‍ले करती है भेदभाव, रिपोर्ट में खुलासा


हाइलाइट्स

कंपनी पर दोहरा मापदंड अपनाने और बच्‍चों की सेहत के साथ खिलवाड़ का आरोप है.
नेस्‍ले भारत, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देशों में शुगर वाले प्रोडक्‍ट बेचती है.
यूरोप, यूके सहित अन्‍य पश्चिमी देशों में कंपनी के प्रोडक्‍ट में शुगर नहीं होता है.

नई दिल्‍ली. मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्‍ले (Nestle) के खिलाफ अक्‍सर निगेटिव रिपोर्ट आती रहती है. इस बार कंपनी के फेमस बेबी फूड प्रोडक्‍ट सेरेलैक (Cerelac) को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी यूरोपीय देशों में क्‍वालिटी प्रोडक्‍ट बेचती है, जबकि भारत जैसे विकासशील देशों में घटिया उत्‍पाद बेच रही. वह भी आपके नौनिहालों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले प्रोडक्‍ट.

इंटरनेशनल बेबी फूड एक्‍शन नेटवर्क (IBFAN) और पब्लिक आई (Public Eye) जैसी ग्‍लोबल संस्‍थाओं ने नेस्‍ले के बेबी फूड प्रोडक्‍ट सेरेलैक और दूध वाले प्रोडक्‍ट निडो (Nido) की लैब में टेस्टिंग के बाद यह रिपोर्ट जारी की है. इसमें कहा गया है कि कंपनी भारत, लैटिन अमेरिका और अफ्रीकी देशों में बेचे जाने वाले अपने प्रोडक्‍ट में हाई शुगर मिलाती है. कंपनी पर दोहरा मापदंड अपनाने और बच्‍चों की सेहत के साथ खिलवाड़ करने जैसे आरोप भी रिपोर्ट में लगाए गए हैं.

ये भी पढ़ें – गर्मी की छुट्टियों में घूमने का है प्लान? ट्रेन में ऐसे बुक करें कन्फर्म सीट, इस ऑप्‍शन से मिलेंगे जबर्दस्‍त फायदे

क्‍या है कंपनी का दोहरा रवैया
पब्लिक आई और IBFAN ने कंपनी के 150 प्रोडक्‍ट को जांच के लिए भेजा था. इसमें बताया गया कि नवजात शिशुओं के सेरेलैक जैसे प्रोडक्‍ट में प्रति चम्‍मच 4 ग्राम शुगर मिली होती है, जो एक शुगर क्‍यूब के बराबर है. फिलीपींस में बिक रहे प्रोडक्‍ट में तो 6 महीने के बेबी के सेरेलैक में प्रति सरविंग यानी एक बार खिलाने जितने सेरेलैक में 7.5 ग्राम चीनी मिली हुई थी.

अपने देश में क्‍या है मानक
नेस्‍ले का दोगलापन इसी बात से समझ में आता है कि स्विटजरलैंड और यूरोप के अन्‍य प्रमुख बाजारों में कंपनी यही प्रोडक्‍ट बिना शुगर मिलाए बेचती है, जो इसका ग्‍लोबल स्‍टैंडर्ड है. जाहिर है कि कंपनी की नजर में भारत, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देशों के बच्‍चों की उतरी कीमत नहीं, जितनी यूरोपीय देशों के बच्‍चों की है.

क्‍या होगा इससे नुकसान
शिशु रोग विशेषज्ञ और न्‍यूट्रीशन एक्‍सपर्ट का कहना है कि नेस्‍ले का दोहरा रवैया सेहत के साथ-साथ बाजार की नैतिकता से भी खिलवाड़ है. WHO का भी कहना है कि अगर शुरुआती स्‍तर पर बच्‍चों को हाई शुगर प्रोडक्‍ट दिए जाते हैं तो उनके मोटापे के साथ अन्‍य गंभीर बीमारियों का खतरा पैदा हो सकता है. संयुक्‍त राष्‍ट्र की एजेंसियों ने भी 2022 के बाद से ही बच्‍चों के प्रोडक्‍ट में शुगर मिलाने पर रोक लगा दी थी.

ये भी पढ़ें – लोन बांटने वाली ऐप्स से सावधान, झट से पता लगाएं ऐप सही है या फिर ठगों का गिरोह

कितना बड़ा है कंपनी का बाजार
नेस्‍ले दुनियाभर के 20 फीसदी बेबी फूड मार्केट पर कब्‍जा रखती है और 70 अरब डॉलर (करीब 6 लाख करोड़ रुपये) का कारोबार है. कंपनी ने साल 2022 में ही 2.5 अरब डॉलर के सेरेलैक और निडो के प्रोडक्‍ट दुनियाभर में बेचे थे. विकासशील देशों में कंपनी का प्रोडक्‍ट काफी पसंद भी किया जाता है, लेकिन हालिया रिपोर्ट में उसके दोहरे मापदंड से उपभोक्‍ताओं को बड़ा झटका लगा है.

Tags: Baby Care, Business news in hindi, Food diet, Food safety Act, FSSAI


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *