बदनावर क्षेेत्र में फूड प्रोसेसिंग प्लांट से किसानों को उपज का मिलेगा उचित दाम » दैनिक अग्निपथ


रोजगार के साथ आर्थिक उन्नति में होगा सहायक, प्रतिदिन कई टन मटर की होगी खपत

बदनावर, अग्निपथ। बीते एक दशक में बदनावर तहसील में उद्यानिकी एवं कच्ची फसलों में देश ही नहीं विदेशों में ख्याति अर्जित की है। लेकिन फूड प्रोसेसिंग यूनिट नहीं होने से किसानों को भाव में घाटा भी उठाना पड़ता था। खासकर मटर जैसी फसल पूरी तरह समय और मौसम पर निर्भर करती है। फरवरी माह के बाद देव शयनी एकादशी तक मांगलिक व अन्य भोज समारोह में फ्रोजन मटर का भारी मात्रा में प्रयोग होता है। क्षेत्र में अब एक प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित होने जा रही है। इससे उद्यानिकी खासकर मटर की फसल उपजाने वाले किसानों को अच्छा खासा फायदा होगा। इससे 500 से अधिक प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन होगा। यहां फ्रोजन की गई उद्यानिकी उपज व सब्जियां विदेशों में भी निर्यात होगी। इकाई की क्षमता प्रतिदिन 350 टन की रहेगी। बदनावर को मिनी पीथमपुर बनाने में इकाई का योगदान भी रहेगा।

बदनावर क्षेत्र में इस वर्ष के विभिन्न गांवों में मटर 4600 हेक्टेयर, प्याज 4500 हेक्टेयर, लहसुन 3200, अमरूद, 350, नींबू 150, स्ट्राबेरी 60 हेक्टेयर के साथ ही हरा चना, अनार, सीताफल, गोभी आदि अन्य फसलों की खेती की गई है। प्रोसेसिंग यूनिट नही होने से इन्हें स्थानीय मंडियों सहित देश भर की मंडियों में तुरंत माल भेजना होता है। कई मर्तबा परिवहन अवरूद्ध होने से उपज खराब भी हो जाती है।

मालवा में बदनावर के साथ ही बडऩगर, खाचरौद, नागदा जंक्शन, रतलाम के सिमलावदा, सुजलाना आदि क्षेत्रों में मटर की फसल बहुतायत में ली जाती है। खासकर इन क्षेत्रों का मटर भारत ही नही बांग्लादेश, दुबई, नेपाल आदि देशों में भी निर्यात होता है। यहां से रतलाम और उज्जैन से रेल मार्ग तथा इंदौर से हवाई मार्ग द्वारा भी निर्यात होता है।

साथ ही जल मार्ग से गुजरात के कांडला बंदरगाह से अन्य देशों में भेजा जाता है। इसी कारण क्षेत्र में फूड प्रोसेसिंग यूनिट की मांग लंबे समय से की जा रही थी जो अब पांच बीघा क्षेत्र में करीब 50 करोड़ की लागत से मूर्तरूप ले रही है। मालवांचल में ग्रीष्मकाल में फ्रोजन मटर की अत्यधिक डिमांड होती है। यहां मटर फ्रोजन करके आइक्यूब कर कोल्ड रूम में मायनस 20 डिग्री सेल्सियस में रखेंगे।

भारतीय मसाले वैसे भी दुनिया भर में प्रसिद्ध है। उसमें भी मालवा के लहसुन, प्याज और मटर दुनिया भर में पसंद किए जा रहे है। स्टोरेज होने के बाद अमरूद और स्ट्राबेरी भी विदेशों तक निर्यात होने लगेगी। प्रोसेस होकर हर मौसम में मिलने पर इनकी खपत में वृद्धि होगी। स्थानीय किसानों और व्यापारियों को भी स्थानीय स्तर पर उचित दाम मिल जाएंगे। यूनिट में सीताफल और आम का पल्प तैयार किया जाएगा।

इसी तरह वर्तमान मे उंचे दामों में बिक रही है लेकिन कभी कभी किसानों को लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है। तब इसे स्टोरेज कर और पेस्ट बनाकर भाव का संतुलन बनाने में सहायता होगी। यूनिट द्वारा स्थानीय बाजारों में भी प्रोडक्ट दिए जाने के लिए परिसर में ही एक आउटलेट स्थापित किया जाएगा। जिससे स्थानीय आमजनों को रियायती दरों पर उत्पाद मिल सकेंगे। रोजगार के सृजन भी उपलब्ध होंगे।


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