हाइब्रिड पिच को बिछाने में यूनिवर्सल मशीन का इस्तेमाल होता है.Image Credit source: sispitches
भारतीय क्रिकेट में एक नया अध्याय शुरू हो रहा है. क्रिकेट की पिच को और बेहतर बनाने के लिए अब हाइब्रिड आर्टिफिशियल ग्रास का इस्तेमाल होगा. भारतीय क्रिकेट बोर्ड BCCI ने इसे मंजूरी दे दी है. हिमाचल प्रदेश का धर्मशाला स्टेडियम पहला भारतीय स्टेडियम है जहां हाइब्रिड घास का इस्तेमाल हुआ है. देशभर के बाकी मैदानों में भी जल्द इस तरह की घास देखने को मिलेगी. ऐसे में सवाल उठता है कि हाइब्रिड ग्रास आखिर होती क्या है और यह साधारण घास से किस मायने में बेहतर है.
हाइब्रिड पिच आर्टिफिशियल फाइबर और नेचुरल घास को मिलाकर बनती है. यह नेचुरल ग्रास जैसी ही दिखती है. धर्मशाला में जो हाइब्रिड पिच लगी है उसमें केवल 5 प्रतिशत आर्टिफिशियल फाइबर है. कम मात्रा में आर्टिफिशियल फाइबर होने से मैदान की नेचुरल खूबियां बरकरार रहती हैं. हाइब्रिड आर्टिफिशियल ग्रास का इस्तेमाल मुख्य पिच के साथ-साथ चार प्रैक्टिस पिचों और गेंदबाजी के रनिंग एरिया में भी लगाई गई है.
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आम घास की तुलना में कितनी बेहतर है हाइब्रिड ग्रास
हाइब्रिड ग्रास से क्रिकेट के पिच ज्यादा टिकाऊ बनती है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आर्टिफिशियल घास आसानी से खराब नहीं होती है. मैदान में कहीं भी चकते नहीं दिखेंगे. पिचों की तेजी से रिकवर होने की खूबी खेल के मौसम में काफी अहम साबित होगी. इससे एक ही पिच का ज्यादा बार इस्तेमाल करने का मौका मिलेगा.
The Himachal Pradesh Cricket Associations pioneering initiative in adopting SIS Hybrid Pitch technology marks a significant advancement in cricket ground infrastructure across the state. This is the second state-of-the-art technology following the installation of SISAir in 2022. pic.twitter.com/zrjlEIz7Ul
— HPCA (@himachalcricket) April 4, 2024
क्रिकेट पिच पर बारिश का काफी असर पड़ता है. कभी-कभार तो पूरा मैच ही बारिश में धुल जाता है, जिससे दर्शकों का मजा भी किरकिरा हो जाता है. लेकिन हाइब्रिड पिच बारिश में आम घास की तुलना में जल्दी रिकवर हो जाएगी. हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (HPCA) की ओर से अब सव एयर सिस्टम भी लगाया जा रहा है. इसमें बारिश के बाद 10 से 15 मिनट में पानी को सुखाने की क्षमता है. HPCA के चेयरमैन ने कहा कि अब हाइब्रिड पिच धर्मशाला में स्थापित होने से और बेहतर हो सकेगी.
कैसे लगती है ग्राउंड पर
हाइब्रिड पिच को बिछाने में यूनिवर्सल मशीन काफी अहम होती है. इसे यूके की कंपनी SISGrass ने साल 2017 में बनाया था. यह कंपनी सिर्फ क्रिकेट ही नहीं बल्कि फुटबॉल और रग्बी की पिच के डिजाइन से लेकर रखरखाव का काम संभालती है. SIS के इंटरनेशनल क्रिकेट डायरेक्टर एवं इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर पॉल टेलर ने कि हाई ब्रिड पिच बनाने के लिए किसी भी तरह की कंक्रीट का इस्तेमाल नहीं करते हैं. आर्टिफिशियल ग्रास को मैदान की जमीन के अंदर लगाया जाता है. टेलर ने कहा कि गेंदबाजी करते हुए रनरअप व विकेटकीपर के खड़े होने के स्थान पर भी आर्टिफिशियल ग्रास लगाई जा रही है, जिससे काफी हद तक मैदान एक तरह का बना रहता है. इससे खिलाडियों के खेल में निखार आता है.
दुनिया के तमाम देश अपने खेल के मैदान में आर्टिफिशियल घास का इस्तेमाल कर रहे हैं. यूनाइटेड किंगडम इस मामले में सबसे आगे खड़ा नजर आता है. भारत में जहां पहली बार इस तरह की पिच तैयार की गई है तो वहीं यूके की अधिकतर पिचों में इसका इस्तेमाल हो रहा है. अरुण धूमल ने बताया कि इंगलैड के लॉर्ड और ओवल क्रिकेट स्टेडियम में सफलतापूर्वक यह घास लगाई जा चुकी है.
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