बिहार के सासाराम के रहने वाले आकाशदीप के लिए यहां तक पहुंचना आसान नहीं थी। गरीबी और पारिवारिक समस्याओं के चलते आकाशदीप को अपना सपना पूरा करने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा है। आकाशदीप बचपन से ही देश के लिए क्रिकेट खेलना चाहते थे। लेकिन लेकिन उनके पिता ने उन्हें हतोत्साहित किया। साथ ही बिहार क्रिकेट की लचर हालत भी उनके राह का रोड़ा बनी।
आकाश दीप क्रिकेट खेलना चाहते थे लेकिन गरीबी के चलते पिता उनका सपोर्ट नहीं करते थे। ऐसे में नौकरी की तलाश में उन्होंने घर छोड़ दिया और सासाराम से दुर्गापुर चले गए। जहां उनके चाचा ने उनका खर्च उठाया और उन्हें सपोर्ट किया। वहां उन्होंने एक स्थानीय एकेडमी जॉइन की और क्रिकेटर बनाने का सपना देखना शुरू किया। उन्हें उनकी धार दार गेंदबाजी के लिए प्रसिद्धि मिलनी शुरू हो गई। लेकिन तभी उनके पिता का दिल दौरा पड़ने से देहांत हो गया। वे इस झटके से उभर भी नहीं पाये थे कि दो महीने बाद उनके बड़े भाई का भी निधन हो गया। इस तरह वे बुरी तरह टूट गए।
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घर पर माँ अकेली हो गईं और परिवार आर्थिक तंगी से जूझने लगा। जिसके चलते आकाश दीप ने क्रिकेट छोड़ दिया और सासाराम वापस लौट गए। तीन साल तक आकाश दीप क्रिकेट के मैदान में वापस नहीं गए। लेकिन क्रिकेटर बनाने की जिद के आगे संघर्ष ने भी घुटने टेक दिये और वे कोलकाता चले गए। यहां तेज गेंदबाज ने एक छोटा कमरा किराए पर लिया और अपने चचेरे भाई के साथ रहने लगे। इसके बाद उनका क्रिकेट से नाता फिर से जुड़ा और वे आगे बढ़ते चले गए।
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जल्दी की बेहतरीन प्रदर्शन कर उन्होंने बंगाल की अंडर-23 टीम में जगह बना ली। जिसके बाद उन्हें रणजी ट्रॉफी में डेब्यू करने का मौका मिला। दिसंबर 2019 में उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू किया और बेहतरीन प्रदर्शन किया। जिसकी वजह से रॉयल चैलेंजर्स बैंगलौर (RCB) की नज़रों में आ गए और 2022 के आईपीएल ऑक्शन में उन्हें फ्रेंचाईजी ने खरीद लिया। हालांकि, दो सीजन में उनको सात ही मैच खेलने को मिले।