बुरांश के जूस से लेकर आम के अचार तक… उत्तराखंड की इस कंपनी का देशभर में जलवा, ऐसे एक युवा ने जमाई धाक?


तनुज पाण्डे/ नैनीताल. कहते हैं कि सपने उन्हीं के पूरे होते हैं, जिनके सपनों में जान होती है. ऐसा ही एक उदाहरण नैनीताल से लगभग 17 किलोमीटर दूर भवाली के फरसौली गांव के उद्यमी संजीव भगत ने पेश किया है. अपनी जी तोड़ मेहनत के बलबूते संजीव की कंपनी फ्रूटेज आज पूरे देश में फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में मशहूर ब्रांड बन चुकी है. फ्रूटेज के मालिक संजीव भगत ने ‘लोकल 18’ को बताया कि उनकी कंपनी फलों के प्रशोधन के क्षेत्र में काम कर रही है. फ्रूटेज पहाड़ों में उगने वाले मौसमी फल जैसे- सेब, आड़ू, खुमानी आदि फलों से जूस, अचार, जैम, चटनी और मुरब्बा बनाती है. फिर देशभर में अपने उत्पादों को बेचती है.

संजीव भगत ने बताया कि उन्होंने साल 1993 में फ्रूटेज की शुरुआत की थी. शुरू में यह काम थोड़ा चुनौतीपूर्ण जरूर था, लेकिन अपनी अथक मेहनत और जज्बे के दम पर उनकी कंपनी ने रफ्तार पकड़ ली. वर्तमान में भवाली-भीमताल रोड पर स्थित फरसौली के अलावा नैनीताल और हल्द्वानी में फ्रूटेज के शोरूम हैं. उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी द्वारा कुल 45 उत्पाद तैयार किए जाते हैं और इनकी 85 पैकेजिंग हैं. फ्रूटेज के उत्पादों को देश के कोने-कोने तक भेजा जाता है.

महिलाओं को मिल रहा स्वरोजगार
संजीव भगत ने बताया कि उनकी फरसौली स्थित फ्रूटेज की फैक्ट्री में स्थानीय महिलाएं कई तरह के उत्पादों को तैयार करती हैं. इससे स्थानीय महिलाओं को रोजगार मिल रहा है. फलों के सीजन के समय उनकी फैक्ट्री में काम करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ जाती है.

बुरांश का जूस 120 रुपये लीटर
फ्रूटेज में पहाड़ी फूल और फलों से बने कई तरह के उत्पाद मिलते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से बुरांश (फूल) का जूस है. इसकी कीमत 120 रुपये प्रति लीटर है. यहां मिलने वाली चटनी की कीमत 110 रुपये प्रति 500 ग्राम है. इसके अलावा आम का अचार और आंवला कैंडी का मूल्य 110 रुपये तक है.

फूड प्रोसेसिंग क्या है?
संजीव भगत ने बताया कि जिस प्रकार आम के अचार को आम के सीजन में डालकर सालभर वो खराब नहीं होता और खाने योग्य बना रहता है, ठीक उसी प्रकार बुरांश और अन्य मौसमी फलों को उनके सीजन में इकट्ठा कर लिया जाता है. उसके बाद उनके उत्पाद बनाए जाते हैं, जिसे प्रिजर्वेटिव के माध्यम से सालों साल तक सुरक्षित रखा जाता है. इसे ही फूड प्रोसेसिंग कहा जाता है.

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