बेहद खास है खोया और छेना से बना जलेबी, 3 घंटे में हो जाती है खत्म….


विशाल कुमार/छपरा: बिहार में एक से बढ़कर एक लजीज आइटम खाने को मिल जाएंगे. यहां नमकीन से लेकर मीठी लजीज डिश खाने को मिलती है. हर जगह की अपनी अलग-अलग विशेषता है. वहीं, खानपान के मामले में बिहार के छपरा जिला भी किसी से कम नहीं है. यहां आपको स्ट्रीट फूड से लेकर हर तरह के डिश बेहतर स्वाद के साथ खाने के लिए मिल जाएगी. 

आज हम आपको छपरा में मिलने वाला एक प्रसिद्ध मिठाई के बारे में बताने जा रहे हैं. जो खोया और छेना से तैयार होती है. जिसकी डिमांड छपरा सहित आस-पास के जिले में भी है. जी हां हम बात कर रहे हैं बेहद खास मिठाई जलेबी की. यहां की जलेबी सबसे अलग है. इस खास जलेबी को खाने के लिए छपरा जिला मुख्यालय के नगर पालिका चौक पर आना होगा. यह दुकान 30 वर्ष पुरानी है और मौना निवासी सुनील कुमार खोया और छेना से खास जलेबी बनाकर लोगों को खिलाते हैं.

बेहद खास है खोया और छेना से बनी जलेबी

सुनील ने बताया कि इस जलेबी को बनाने में खोया और छेना का मिश्रण करते हैं. यह जलेबी बनाना भी बेहद आसान है. आप चाहें तो अपने घर में भी इस जलेबी को बना सकते हैं. इसके लिए, सबसे पहले दूध को कड़ाही या पतीला में गर्म कर उससे छेना निकाल लेते हैं. उसी तरह दूध को खौलाकर खोया भी निकाल सकते हैं. छेना और खोया तैयार करने के बाद उसमें हल्का मैदा और सोडा, इलाइची, जायफल मिलाकर उसे मिक्स किया जाता है. इसके बाद पहले इसे गर्म तेल में तला जाता है. इस तरह से खोया और छेना वाला जलेबी तैयार हो जाती है. स्थानीय लोगों की माने तो सुनील कुमार के हाथ से बने जलेबी का कोई तोड़ नहीं है. इनके जलेबी का डिमांड दूर-दूर तक है.

तीन घंटे में खत्म हो जाती है 250 पीस जलेबी

सुनील कुमार ने बताया कि खोया और छेना से तैयार जलेबी ज्यादा मात्रा में नहीं बनाते हैं. ग्राहकों के डिमांड के अनुसार जलेबी तैयार करते हैं. 200 से 250 पीस जलेबी दो से तीन घंटे में ही समाप्त हो जाती है. रोजाना शाम को 6 बजे से रात 9 बजे तक नगरपालिका चौक पर ठेला लगाकर लोगों को जलेबी सहित छेना की मिठाई खिलाते हैं. यह दुकान 50 साल पुरानी है और इसे पहले पिताजी चलाते थे और अब खुद संभाल रहे हैं. ग्राहकों को एक पीस जलेबी 10 रुपए में खिलाते हैं जबकि 300 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं. सुनील ने बताया कि कम रेट रखने के पीछे की वजह यह है कि यहां की जलेबी काफी प्रसिद्ध है और हर वर्ग के लोग खाने के लिए आते हैं. लोग खाने के अलावा पैक कराकर भी ले जाते हैं. इसलिए सभी का ख्याल रखते हुए कम मुनाफा कमाने के बावजूद लोगों को देते हैं. वहीं, रोजाना 3 हजार से अधिक की बिक्री हो जाती है.

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