भगवान के बगीचे वानखेड़े में क्रिकेट की आशिकी देखी, ग्लेन मैक्सवेल तो हनीमून पर निकले थे


हसरत है सिर्फ तुम्हें पाने की, इसके इतर कोई और ख्वाहिश नहीं… जब ग्लेन मैक्सवेल वानखेड़े के मैदान पर उतरे तो हैट्रिक बॉल पर शायद सिर्फ और सिर्फ खुद को आउट होने से बचाए रखने के बारे में सोच रहे थे। वह पहली गेंद से जीत चाहते थे, लेकिन लक्ष्य इतना मुश्किल था कि उसके लिए मुश्किल शब्द भी बहुत आसान है। दूसरी ओर, 7 विकेट चटकाने के बाद अफगान पठानों के हौसले 7वें आसमान पर थे और तेज गेंदबाजों की गेंदें 4-4 हाथ स्विंग कर रही थीं। फिर मैक्सवेल को जीवनदान मिले। कैच छूटा, DRS पर किस्मत ने साथ दिया और फिर शुरू हुई भगवान के बगीचे (जिस स्टेडियम में सचिन ने इस खेल को जिया है) में क्रिकेट की आशिकी। ये चौके, वो छक्के… ये जज्बात, वो जीत की जिद, दर्द से छटपटाना… इस विश्व कप के सुपरहिट शो में सबकुछ देखने को मिला।

अफगानिस्तान के सितारे 8.2 ओवर तक बुलंदी पर थे। लगातार दो गेंदों में दो विकेट गिरे थे। हैट्रिक बॉल थी अजमतुल्लाह के सामने सीना ताने मैक्सी खड़े थे। पहली गेंद पर अपील भी हुई। बड़ी मुश्किल से गेंद रोक भर सके। क्रिकेट में अगर सबसे गैर जिम्मेदार खिलाड़ियों की लिस्ट बनाई जाए तो शायद ग्लेन मैक्सवेल पहले नंबर पर आते। न केवल इंटरनेशनल क्रिकेट, बल्कि आईपीएल में भी कई बार ऐसा हुआ कि वह अपनी धुआंधार बैटिंग से टीम को जीत के करीब ले जाते और फिर कुछ ऐसी हरकत कर देते कि सब कुछ पानी हो जाता था। पंजाब किंग्स के साथ तो कई बार ऐसा हुआ।

यही वजह है कि पंजाब टीम के पूर्व कोच संजय बांगड़ के मुंह से कॉमेंट्री के दौरान यूं ही निकल गया कि वह ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन पर विश्वास नहीं किया जा सकता। अगर जिम्मेदारी दो तो वह झेल नहीं पाते। अच्छा होगा कि उनसे कुछ भी न कहो। उन्हें खेलने दो, जो मन करे वो करने दो। हुआ भी कुछ ऐसा ही। जब 8वें विकेट के लिए कप्तान पैट कमिंस मैदान पर उतरे तो ऑस्ट्रेलिया के हारने के चांसेज 89% थे, जबकि जीतने के 11%। पैट कमिंस बहुत बात करते नहीं दिखे। कुछ मौकों पर जरूर मैक्सवेल ने कुछ कहा, लेकिन यह शायद टीम का नहीं, सिर्फ उनका ही प्लान था। बिल्कुल छुट्टा पहलवान की तरह, जिसे अखाड़े में उतार दिया गया हो और कहा गया हो जो मन करे वो करो। मैक्सवेल ने भी उसी अंदाज में अफगानिस्तान का सब कुछ तबाह कर दिया।

सुनामी शायद उनकी पारी को सही परिभाषित करे। बेखौफ, बेअंदाज, और बेपरवाह.. बिल्कुल अल्हड़ सी। उनके बल्ले से बौछार होतीं बाउंड्री को देख हर कोई यह कह सकता था यह क्रिकेट नहीं, गेंद और बल्ले की आशिकी चल रही है। मैक्सवेल गदा की तरह बैट घुमाते और गेंद उनके इशारे पर महबूब की तरह चार या छह रन देकर उनकी ख्वाहिश पूरी कर देती। अफगानी जितना कोशिश करते मैच उतना ही उनके हाथ से फिसलता जाता। मुजीब ने एक कैच क्या छोड़ दिया अफगानिस्तान के पाले से मैच छूट गया। पल-पल दर्द से कराहते मैक्सवेल को देखकर आईसीसी के उस कानून पर भी हंसी आई, जिसमें रनर नहीं देने का बदलाव किया गया है।

एक बार तो ऐसा लगा जैसे जान ही निकल गई। मैक्सवेल चारो खाने चित मैदान पर दर्द से तड़प रहे थे और फिजियो-मेडिकल टीम पूरी कोशिश कर रही थी। अंपायर कह रहे थे कि नहीं हो पा रहा तो लौट जाओ। एडम जांपा हेलमेट पहने मैदान तक पहुंच चुके थे, लेकिन मैक्सवेल थे कि अड़े थे, इस जिद पर डटे थे कि नहीं आज वो गैर जिम्मेदार वाली छवि को उखाड़ फेंकना है। राशिद का करिश्मा धरा रह गया तो 128 गेंदों में जज्बात बदल गए। 21 चौके और 10 छक्के के दम पर नाबाद 201 रनों की पारी से वो इतिहास लिख दिया, जिसकी चमक वर्ल्ड क्रिकेट में शायद ही कोई फीकी कर पाए। अपनी विनी रमन के पति मैक्सवेल तो भारत हनीमून पर हैं और ‘ससुराल’ में दामाद की हसरत कहां अधूरी रही है।

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