ज्ञान-विज्ञान मातृभाषा में सुलभ हो तो करोड़ों भारतीय अनजान शब्दों पर अटकने के बजाय अपनी समझ और कौशल पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। दूसरी ओर स्वास्थ्य देखभाल बैंकिंग न्याय जैसी व्यवस्थाओं की भी सहजता बढ़ेगी। यह काम अब अलग-अलग तकनीकें करने लगी हैं। ये नई तकनीके भाषा के विकास में भी कारगर साबित हुई है। आइये इनके बारे में जानते हैं।