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चंडीगढ़। लिटराटी फेस्ट के पहले दिन की शुरुआत बेस्टसेलिंग लेखक अश्विन सांघी के ‘एक लेखक का धर्म’ विषय पर भाषण के साथ हुई। उन्होंने कहा कि लेखकीय कार्य की तीन विशेषताएं हैं। मनोरंजन, शिक्षा और एनलाइनमेंट यानी बोधगम्यता। इन तीनों के बिना कोई भी किताब अधूरी है।
सांघी ने कहा कि इनमें मनोरंजन 70 प्रतिशत, शिक्षा 20 प्रतिशत और बोधगम्यता 10 प्रतिशत रहनी चाहिए ताकि पाठक को संतुष्टि का भाव आ सके। सत्र में एक छात्र द्वारा लेखकीय कार्य से पैसा कमाने को लेकर पूछे एक सवाल पर सांघी ने कहा कि माना कि पैसा खुदा नहीं, लेकिन खुदा की कसम, खुदा से कम भी नहीं। महोत्सव का मुख्य आकर्षण डॉ. सुमिता मिश्रा और अंतरराष्ट्रीय स्टार कबीर बेदी के बीच एक स्पष्ट बातचीत रही। तीसरे सत्र में दो बुद्धिजीवियों- हड़प्पा (अब अपग्रेड का हिस्सा) के संस्थापक और अध्यक्ष प्रमथ राज सिन्हा और अशोक विश्वविद्यालय में इतिहास के चांसलर और प्रो. रुद्रांग्शु मुखर्जी ने महात्मा गांधी और टैगोर में आधुनिकता में प्रभाव और संगम की फिर से खोज पर चर्चा की। बलबीर माधोपुरी और प्रो. रेणुका सिंह ने लेखक और फिल्म निर्माता बलप्रीत के साथ बातचीत में अपने सत्र द ग्रेटेस्ट पंजाबी स्टोरीज एवर टोल्ड में पंजाबियत के बारे में जानकारी दी।
इस अवसर पर राइवर्स पब्लिशिंग ने रूबी मोहन की पुस्तक कॉशन के साथ अपनी हिंदी पत्रिका भी लॉन्च की। देवी अहेड, दिवालिया वकील और कुमाऊं साहित्य महोत्सव के संस्थापक सुमंत बत्रा की आगामी पुस्तक अनारकली पर भी चर्चा हुई। गायिका और कवयित्री रूप कौर कूनर की कविता ‘नहीं मिलना’ की प्रस्तुति से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।